उत्तराखंड

एमडीडीए में भ्रष्टाचार का बोलबाला, उच्चाधिकारियों को कानोंकान भनक नहीं

इंजीनियर का पार्ट टाइम, आर्किटेक्ट बनकर नक्शे भी कर रहे पास

देहरादून। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) में कई तरह के गड़बड़झाले चल रहे हैं। कोई इंजीनयर पार्ट टाइम के रूप में अपनी ही फर्म में जमा होने वाले नक्शे पास कराने का ठेका संभाल रहे हैं, तो कोई अवैध निर्माण को संरक्षण देने में लिप्त है। सबसे बड़ी बात यह कि उच्चाधिकारियों को या तो कानोंकान खबर नहीं या है वह सब जानकर भी अनजान बने हैं।

एमडीडीए में एक इंजीनयर ऐसे हैं, जो कुछ साल पहले तक आर्किटेक्ट का काम करते थे। इस बात से वह भलीभांति परिचित हैं कि प्राधिकरण में आर्किटेक्ट का कितना होल्ड होता है। इसीलिए जब वह यहां इंजीनियर बने तो आर्किटेक्ट पेशे का मोह नहीं छोड़ पाए। अब वह अपनी फर्म से नक्शे दाखिल करते हैं और उन्हें पास कराने का ठेका भी पूरे आत्मविश्वास के साथ लेते हैं। उनकी इस आदत के चलते प्राधिकरण के तमाम ड्राफ्ट्समैन भी नाराज चल रहे हैं। दूसरी ओर एक इंजीनयर साहब मसूरी व राजपुर रोड क्षेत्र में चल रहे अवैध निर्माण पर आंखों पर पट्टी बांधकर बैठे हैं। उनके क्षेत्र में क्यारकुली भट्टा का वह क्षेत्र भी आता है, जहां जमीनी विवाद के चलते जिलाधिकारी ने जमीनों की रजिस्ट्री पर रोक लगा रखी है। अब कोई इनसे पूछे कि ऐसे में संबंधित क्षेत्र में धड़ाधड़ अवैध निर्माण कैसे हो रहे हैं। इन साहब के बारे में यह भी प्रचलित है कि ये बिना चढ़ावे के काम नहीं करते और फर्जी कोटेशन में भी इनका हाथ ठीक काम करता है। दूसरी ओर एक इंजीनियर ऐसे हैं, जिनका पुत्र आर्किटेक्ट है और इनके नक्शे भी जिस गति के साथ दाखिल होते हैं, उसी गति से पास भी हो जाते हैं। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस तो यहीं काम कर रहा है। जबकि नियमों के मुताबिक पिता पुत्र का इस तरह एक ही संस्थान में काम करना उचित नहीं है। इसके अतिरिक्त रिटायर होने के बाद भी कार्मिक एमडीडीए का मोह नहीं त्याग पा रहे। तमाम बेरोजगार और योग्य भले ही लाइन में क्यों न हों, मगर नौकरी तो रिटायरमेंट वाले ही एमडीडीए में नौकरी बजा रहे हैं। बड़ा सवाल यह कि जो बिंदु यहाँ उठाये गए हैं और तमाम लोग सवाल कर रहे हैं, क्या अधिकारी इसकी जांच कराएंगे। बहरहाल, सैयां भये कोतवाल तो डर कहे का।

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