ScienceUttarakhandआपदा प्रबंधन

सिलक्यारा में 44 मीटर लंबा और 1.2 मीटर चौड़ा छेद बंद

एसजेवीएनएल की टीम ने सुरंग की सुरक्षा के लिए बंद किया छेद, निकासी सुरंग के लिए शुरू की गई थी वर्टिकल ड्रिलिंग

Amit Bhatt, Dehradun: सिलक्यारा सुरंग की पहाड़ी के ऊपर निकासी सुरंग के लिया किया गया 44 मीटर लंबा और 1.2 मीटर चौड़ा छेद बंद कर दिया गया है। जब सुरंग के मुख्य द्वार की तरफ से 41 श्रमिकों को बाहर निकालने की कसरत बार-बार बाधित हो रही थी, तब सतलुज जलविद्युत निगम (एसजेवीएन) लिमिटेड के माध्यम से वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू कार्रवाई गई थी। हालांकि, 28 नवंबर मंगलवार को रैट माइनर्स की टीम ने मैनुअल काम करते हुए सुरंग के मुख्य द्वार से ही निकासी सुरंग (एस्केप टनल) के शेष काम को अंजाम तक पहुंचा दिया। लिहाजा, सुरंग की सुरक्षा के मद्देनजर बैकपुल तकनीक का प्रयोग करते हुए सुरंग के ऊपर बनाए छेद को बंद कर दिया गया। अपना काम पूरा कर एसजेवीएन लिमिटेड की टीम भी वापस कारपोरेट आफिस शिमला पहुंच गई है। साथ ही ड्रिलिंग की तमाम मशीनों को भी सिलक्यारा से रवाना कर दिया गया है।

सिलक्यारा सुरंग की पहाड़ी के ऊपर की गई वर्टिकल ड्रिलिंग के दौरान इस तरह खड़ी सुरंग तैयार की जा रही थी।

सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने की राह जब निरंतर मुशिकल हो रही थी, तब राहत एवं बचाव की मशीनरी ने विभिन्न विकल्पों पर काम शुरू कर दिया था। इसमें एक विकल्प यह भी था कि सुरंग की ऊपरी पहाड़ी पर वर्टिकल (लंबवत) ड्रिलिंग कर एस्केप टनल बनाई जाए। इसी रणनीति के मुताबिक एसजेवीएन ने 26 नवंबर को सुरंग के ऊपर चैनेज 300 से 305 के बीच वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू कर दी थी। हालांकि, 28 नवंबर की सुबह जब यह तय हो गया था कि रैट माइनर्स की टीम मैनुअली एस्केप टनल की राह खोल देगी (जो काम अंजाम तक भी पहुंचा) तो वर्टिकल ड्रिलिंग को बंद करा दिया गया था। मंगलवार की सुबह साढ़े नौ बजे जब वर्टिकल ड्रिलिंग बंद कराई गई, तब तक 88 मीटर में से 44 मीटर की ड्रिलिंग की जा चुकी थी।

ड्रिलिंग मशीनों के साथ एसजेवीएन लिमिटेड के महाप्रबंधक जसवंत कपूर और महाप्रबंधक अक्षय आचार्य।

अब सवाल यह था कि वर्टिकल ड्रिलिंग से सुरंग के ऊपर जो 1.2 मीटर व्यास का जो छेद 44 मीटर गहराई में किया जा चुका था, उसे जल्द से जल्द कैसे बंद किया जाए। ताकि इसके माध्यम से सीपेज (पानी का रिसाव) की आशंका को समाप्त किया जा सके। इस काम को भी एसजेवीएन लिमिटेड के अधिकारियों ने तत्परता के साथ अंजाम दिया। निगम के महाप्रबंधक जसवंत कपूर के मुताबिक बैकपुल तकनीक से छेद को बंद कर दिया गया है। इसमें पहले छेद में सैंड की परत बनाई गई, फिर मिट्टी की परत और बाद में कंक्रीटिंग कर दी गई। अब यह स्थल पूर्व की भांति दुरुस्त हो गया है।

हाईपावर अमेरिकन ऑगर मशीन, जिसके असफल हो जाने के बाद वर्टिकल ड्रिलिंग का अपनाया गया।

20 नवंबर को तय किया गया था ड्रिलिंग का स्थल, 26 को लिया निर्णय
वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए सुरंग की ऊपरी पहाड़ी स्थल का चयन 20 नवंबर को कर लिया गया था। ड्रिलिंग की भारी-भरकम मशीनरी को पहाड़ी पर पहुंचाने के लिए बीआरओ ने युद्धस्तर पर काम करते हुए पहाड़ी के ड्रिलिंग स्थल तक 1200 मीटर से अधिक की सड़क भी एक दिन में तैयार कर दी थी। इसके बाद भी यह उम्मीद थी कि श्रमिकों को सुरंग के मुख्य द्वार की तरफ से ऑगर ड्रिलिंग मशीन के माध्यम से तैयार की जा रही एस्केप टनल से बाहर निकाल लिया जाएगा। जब ऑगर मशीन ने लोहे के अवरोधों के आगे जवाब दे दिया था, तब रविवार 26 नवंबर को वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू कराई गई। फिर रैट माइनर्स ने मोर्चा संभाला और अभियान को अंजाम तक पहुंचाया तो उससे चंद घंटे पहले ही वर्टिकल ड्रिलिंग बंद करा दी गई थी। इस अभियान में सभी 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया। श्रमिक उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में ऑल वेदर रोड की निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 12 नवंबर की सुबह करीब 5.30 पर फंस गए थे। यहां सुरंग का एक हिस्सा ध्वस्त हो जाने से 60 मीटर भाग पर मलबा भर गया था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button