Amit Bhatt, Dehradun: डीआरडीओ के एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट प्रतिष्ठान में ड्रोन प्रोजेक्ट (लक्ष्य) से जुड़ी खरीद में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। यह आरोप लगाने वाले भी और कोई नहीं, बल्कि प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ही हैं। इस वैज्ञानिक ने न सिर्फ ड्रोन प्रोजेक्ट से जुड़ी खरीद को लेकर आरोप लगाए हैं, बल्कि उन्होंने सीबीआई को एक शिकायती पत्र भी भेज डाला। इस पत्र के क्रम में सीबीआई के एक डीएसपी स्तर के अधिकारी डीआरडीओ के प्रतिष्ठान पर भी पहुंचते हैं। जिसके बाद ड्रोन प्रोजेक्ट लक्ष्य से जुड़े कई दस्तावेज कार्यालय परिसर में कूड़े के ढेर में पाए जाते हैं।
बताया जा रहा है कि सीबीआई की सक्रियता के बाद प्रोजेक्ट से जुड़े सभी कागजात एकत्रित कराए गए और उन्हें जलाने की तैयारी थी। डीआरडीओ के प्रतिष्ठान परिसर में कूड़े के ढेर में पड़े इन दस्तावेजों के फोटोग्राफ्स और वीडियो भी बाहर आए हैं। किसी माध्यम से इसकी जानकारी प्रतिष्ठान के निदेशक को भिजवाई गई, लेकिन अभी तक उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। यह प्रकरण डीआरडीओ के एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट (एडीई) बंगलुरू का है।
वैज्ञानिक की ओर से सीबीआई को भेजी गई शिकायत के मुताबिक प्रोजेक्ट लक्ष्य के तहत करोड़ों रुपये के साजो-सामान खरीदे गए थे। लेजर में इनकी एंट्री तो मिली, लेकिन ये संसाधन भौतिक रूप से नहीं पाए गए। वैज्ञानिक ने सीबीआई को यह पत्र मार्च 2024 के मध्य में भेजा। इसी क्रम में सीबीआई (एसीबी) बंगलुरू के एक डीएसपी ने डीआरडीओ के प्रतिष्ठान में जाकर जांच-पड़ताल शुरू की। चौंकाने वाली यह भी है कि इसी शिकायत के बाद प्रोजेक्ट से जुड़े कागजात इस तरह कूड़े के ढेर में क्यों पाए गए।
इन तमाम सवालों को लेकर एडीई को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। ताकि स्पष्ट हो सके कि वैज्ञानिक की शिकायत में कितना दम है। साथ ही यह भी बताना चाहिए कि प्रोजेक्ट लक्ष्य लिखी हुई पत्रावलियां या दस्तावेज परिसर में क्यों फेंके गए। क्या इन्हें नियमानुसार विनिष्ट किया जा रहा था या बात कुछ और है। इस खबर को लेकर एडीई प्रशासन की ओर से आधिकारिक बयान मिलने पर उसे भी प्रमुखता के साथ दर्ज किया जाएगा।