पतंजलि के 14 उत्पादों पर रोक, उत्तराखंड सरकार ने उठाया बड़ा कदम
दृष्टि आई ड्रॉप से लेकर मधुनाशिनी तक पर लगाई गई रोक, भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद हरकत में मशीनरी, 30 अप्रैल को फिर सुनवाई
Amit Bhatt, Dehradun: भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद उत्तराखंड सरकार की मशीनरी भी हरकत में आ गई है। राज्य की मशीनरी ने बड़ा कदम उठाते हुए पतंजलि आयुर्वेद लि. के 14 उत्पादों पर रोक लगा दी है। इनमें दृष्टि आई ड्रॉप से लेकर मधुनाशिनी वटी जैसे उत्पाद भी शामिल हैं। रोक के आदेश हरिद्वार जिले के औषधि निरीक्षक/जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी के हस्ताक्षर से जारी किए गए हैं। भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार 30 अप्रैल को सुनवाई तय है। इससे पहले विभाग ने इस कार्रवाई को अंजाम दे दिया।
इन उत्पादों पर लगी रोक
दृष्टि आई ड्रॉप, स्वासरि गोल्ड, स्वासरि वटी, ब्रोंकोम, स्वासरि प्रवाही, स्वासरि अवलेह, मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर, लिपिडोम, बीपी ग्रिट, मधुग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट, आईग्रिट गोल्ड।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में लाइसेंसिग अथॉरिटी ने कहा कि भ्रामक विज्ञापनों के मामले में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की दिव्य फार्मेसी के अंतर्गत बनने वाले 14 उत्पादों के लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं। विभाग के आदेश में कहा गया है कि पतंजलि आयुर्वेद के विभिन्न उत्पादों को लेकर विभिन्न माध्यम से निरंतर भ्रामक विज्ञापन जारी किए जाने की शिकायत मिल रही थी। इस संबंध में आयुष मंत्रालय भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार नोटिस भी जारी किए। यह कार्रवाई ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1945 की धारा 159(1) के प्रावधानों के अंतर्गत की गई है।
इसके बाद भी कंपनी से शर्तों का निरंतर उल्लंघन किया जा रहा था। जो नोटिस पतंजलि को को जारी किए जा रहे थे, उनका जवाब भी प्राप्त नहीं हो रहा था। साथ ही भ्रामक विज्ञापन भी जारी किए जाते रहे। लिहाजा, कंपनी को आदेश दिया जाता है कि वह उल्लिखित उत्पादों का निर्माण तत्काल प्रभाव से बंद कर दें। इसके साथ ही आदेश में पतंजलि और दिव्य फार्मेसी को उतपादों के मूल फॉर्म्यूलेशन शीट उपलब्ध कराने को कहा गया है। पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी को इस आदेश के विरुद्ध अपील करने के लिए 03 माह का समय भी दिया गया है। वहीं, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को उपस्थित रहने का आदेश दिया गया है।