शर्मनाक: उत्तराखंड में महिला ग्राम प्रधान को गले में जूतों की माला डालकर घुमाया
वीडियो वायरल, महिला ने पुलिस को दी शिकायत, नौ के खिलाफ मुकदमा दर्ज
Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड में मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक महिला ग्राम प्रधान को जूतों की माला पहनाकर घुमाया गया। आपदा प्रभावितों को राहत सामग्री बांटने गई ग्राम प्रधान के साथ जमकर बदसलूकी की गई।बनबसा नगर के गुदमी गांव की ग्राम प्रधान विनीता राणा के साथ हुई अभद्रता और उन्हें जूतों की माला पहनाने के मामले में पुलिस ने नौ आरोपितों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर ली है। मामले की जांच सीओ शिवराज सिंह कर रहे हैं। ग्राम प्रधान विनीता गांव के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में का जायजा लेने और राहत सामग्री बांटने गई थीं। आरोप है कि इस दौरान ग्रामीणों ने हंगामा काटते हुए ग्राम प्रधान के साथ अभद्रता की। इंटरनेट मीडिया में इसका वीडियो भी प्रसारित होने लगा। वीडियो में कुछ महिलाएं प्रधान के गले में जूतों की माला डालते हुए दिख रहीं हैं।
ग्राम प्रधान ने बनबसा थाने में अभद्रता करने वालों के विरुद्ध नामजद तहरीर दी। ग्राम प्रधान की तहरीर के आधार पर पुलिस ने नौ नामजद आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया। जांच अधिकारी सीओ शिवराज सिंह ने बताया कि एक और व्यक्ति की भूमिका भी सामने आई है। उसके विरुद्ध भी मुकदमा दर्ज किए जाने की कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि सोमवार को सभी आरोपितों के बयान दर्ज किए जाएंगे। चंपावत के एसपी अजय गणपति ने बताया कि ग्राम प्रधान के साथ हुई अभद्रता का प्रकरण काफी गंभीर है। जांच सीओ रैंक के अधिकारी को सौंपी गई है। मैं खुद मामले की निगरानी कर रहा हूं। अफवाह फैलाने वालों पर भी पुलिस की नजर है।
चंपावत विकासखंड में अनुसूचित जनजाति समुदाय की महिला ग्राम प्रधान के गले में जूते की माला डालने का आरोप लगाते हुए उत्तराखंड के पंचायत प्रतिनिधियों ने रोष जताया है। उन्होंने कहा कि मामले में पुलिस ने अभी तक एक भी आरोपित को गिरफ्तार नहीं किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी संज्ञान लेकर कार्रवाई की मांग की है। सोमवार को विभिन्न मांगों को लेकर पंचायतीराज निदेशालय में शुरू होने जा रहे बेमियादी धरने में भी पंचायत प्रतिनिधि इस मामले को भी उठाएंगे। उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन के कार्यक्रम संयोजक जगत मर्तोलिया ने कहा कि इस तरह की घटना समाज को शर्मसार करती है। नामजद आरोपितों की गिरफ्तारी न होना पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़ा करता है। उन्होंने पुलिस पर आरोपितों को बचाने का आरोप लगाया। जिस मोबाइल से इस मामले का वीडियो लिया गया है, पुलिस ने उसे कब्जे में तक नहीं लिया है।
तहसीलदार ने आपदा प्रबंधन एक्ट का उल्लंघन व सरकारी कार्य में बाधा डालने की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है। इस तरह की घटना के बाद उत्तराखंड के त्रिस्तरीय पंचायत के 70 हजार प्रतिनिधि सहमे हुए हैं। पुलिस की लापरवाही पर आज पंचायत प्रतिनिधि मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक से भी शिकायत करेंगे। पंचायती राज निदेशालय के बाहर धरना देंगे।