Uttarakhandआपदा प्रबंधन

वीडियो: बदरीनाथ राजमार्ग पर दरकी पहाड़ी, 1000 यात्री फंसे रहे, कुदरत की यह कैसी परीक्षा?

केदारनाथ क्षेत्र में मंदाकिनी नदी पर भारी मलबा जमा होने से झील बनने का खतरा बढ़ने पर रुद्रप्रयाग तक अलर्ट, दोनों यात्रा राजमार्ग पर निरंतर खड़ी हो रही चुनौती

Rajkumar Dhiman, Dehradun: मानसून सीजन में आसमान से बरस रही आफत की बारिश में चारधाम राजमार्ग की पहाड़ियां जगह-जगह बुरी तरह दरक रही हैं। अभी राज्य सरकार ने 31 जुलाई को केदारनाथ पैदल मार्ग पर लिंचोली-भीमबली के बीच फटे बादल से मची तबाही से हालात काबू में किए ही थे कि नई मुसीबत सिर पर खड़ी हो गई है। रविवार को एक तरफ बदरीनाथ राजमार्ग पर छिनका के पास पूरी पहाड़ी दरक पड़ी तो, दूसरी तरफ केदारनाथ मार्ग पर भीमबली के सामने की पहाड़ी से भारी मलबा मंदाकिनी नदी में जमा होने लगा। छिनका में पहाड़ी दरकने से 1000 से अधिक तीर्थयात्री लंबे समय तक दोनों छोर पर फंसे रहे और देर रात तक सड़क पर यातायात बहाल किया जा सका। वहीं, मंदाकिनी नदी पर मलबा जमा होने से झील बनने की नौबत आ खड़ी हुई। जिसके चलते जिला प्रशासन को रुद्रप्रयाग तक अलर्ट जारी करना पड़ गया। इन दोनों भूस्खलन के वीडियो भी सामने आए हैं, जो प्रकृति के रौद्र रूप को साफ तौर पर दर्शा रहे हैं।

भारी बारिश के बीच बदरीनाथ और केदारनाथ मार्ग पर दुश्वारियों का दौर जारी है। इससे पहले 08-09 जुलाई को बदरीनाथ राजमार्ग जोशीमठ के पास जोगीधरा में भारी भूस्खलन के चलते बाधित हो गया था। जिसके चलते राजमार्ग का बड़ा हिस्सा पूरी तरह तबाह हो गया था। यहां पर राजमार्ग को बहाल करने में 04 दिन का समय लग गया था और 12 जुलाई को किसी तरह फंसे यात्रियों को वाहनों से निकाले जाने का क्रम शुरू हो पाया। हालांकि, इस दौरान राज्य सरकार से लेकर स्थानीय प्रशासन और सेना तक ने यात्रियों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा। इस बीच 02 अगस्त को सोनप्रयाग की पहाड़ी से भी मलबा गिरता रहा। जिससे राहत एवं बचाव कार्यों में लगी मशीनरी को अतिरिक्त सावधानी और तेजी बरतने की चुनौती से भी झूझना पड़ा।

अभी सरकार और स्थानीय प्रशासन ने राहत की सांस ली ही थी कि 21 जुलाई को केदारनाथ पैदल मार्ग पर पहाड़ी से बड़े बड़े पत्थर गिरने से 03 यात्रियों की मौत हो गई, जबकि 08 घायल हो गए। कुदरत का खर यहीं नहीं थमा और 31 जुलाई की रात को केदारनाथ पैदल मार्ग पर लिंचोली-भीमबली के बीच फटे बादल से वर्ष 2013 की आपदा जैसी तबाही मच गई। हजारों यात्री जगह-जगह फंस गए और इस बीच 03 यात्रियों की जान भी चली गई। फंसे यात्रियों को सुरक्षित निकलने के लिए सरकार ने वर्ष 2013 की तरह ही वृहद रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और 06 अगस्त तक सभी 15 हजार से अधिक यात्रियों को सुरक्षित निकल लिया।

हालांकि, इस दौरान केदारनाथ पैदल मार्ग बुरी तरह ध्वस्त हो गया और सोनप्रयाग-केदारनाथ मार्ग का बड़ा हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हो गया। जिसे दुरुस्त करने का क्रम जारी है। इसी बीच केदारनाथ से एक बार फिर डराने वाली खबर आ रही है। रविवार को भीमबली के सामने वाली पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा गिरकर मंदाकिनी नदी में जमा हो रहा है। जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग इस पर पैनी निगाह बनाए हुए है। इसके अलावा केदारनाथ क्षेत्र में गौरीकुंड हाइवे पर फाटा और बदरीनाथ राजमार्ग पर कमेड़ा, नंदप्रयाग और सिरोबगड़ जैसे पुराने भूस्खलन जोन में निरंतर मलबा गिर रहा है। जिससे सरकारी मशनरी के समक्ष निरंतर चुनौती बढ़ती जा रही है। राहत की बात यह जरूर है कि आपदा से निपटने के लिए सरकार के स्तर पर हरसंभव त्वरित प्रयास किए जा रहे हैं।

एनएचआईडीसीएल पर दर्ज कराना पड़ा मुकदमा
भारी बारिश के बीच बार-बार हो रहे भूस्खलन से सरकारी अधिकारियों का धैर्य भी जवाब दे रहा है। साथ ही अधिकारी किसी भी खामी को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं। भूस्खलन से शनिवार को जब बदरीनाथ राजमार्ग कमेड़ा के पास बाधित हुआ तो कार्यदाई संस्था एनएचआईडीसीएल (नेशनल हाइवेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन लि.) से मलबा हटाने में विलंब हो गया। जिससे यात्रियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी। इसे घोर लापरवाही मानते हुए कर्णप्रयाग के उपजिलाधिकारी संतोष कुमार पांडे के निर्देश पर एनएचआईडीसीएल जिम्मेदार अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करा दिया गया। क्योंकि, राजमार्ग से मलबा हटाने के कार्य में 05 घंटे का विलंब हो गया था। स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदा प्रबंधन के कार्यों में लापरवाही बरतने पर सख्त कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं।

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