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इंसानियत के लिए एक हुए आरिफ और अंकित, अल्मोड़ा हादसे में घायलों की जान बचाने को दिया खून

रक्तदान करने वाले व्यक्तियों की प्रत्येक सूची में नजर आया मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति का नाम, दिया एकता का अटूट संदेश

Amit Bhatt, Dehradun: हिंदू और मुसलमान को अच्छे और बुरे के चश्मे से देखने वालों को अल्मोड़ा में बस हादसे की घटना को करीब से देखना चाहिए। उन्हें देखना चाहिए कि हादसे का शिकार हुए लोग जब जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे, तब वहां इंसानियत मौत को मात देने के लिए खड़ी थी। इंसानियत का वह चेहरा हिंदू और मुस्लमान में नहीं बंटा था, बल्कि इंसानियत को जिंदा रखने के लिए आरिफ और अंकित जैसे तमाम नाम एक हो गए थे। घायलों को बचाने के लिए खून की एक-एक बूंद की जरूरत पड़ी तो रक्तदान की कतार में न कोई हिंदू नजर आया और न मुसलमान। आपदा की इस घड़ी में साथ डटकर खड़ी थी तो बस एकाकार हुई इंसानियत।

अल्मोड़ा बस हादसे में घायल व्यक्तियों को बचाने के लिए रक्तदान करने पहुंचे नागरिकों की सूची।

अल्मोड़ा जिले के मरचूला क्षेत्र में बस दुर्घटना में घायलों के उपचार के लिए खून की जरूरत पड़ी तो आमजन के रूप में समाज के कल्याण की कामना करने वाले तमाम कदम स्वैच्छिक रक्तदान की तरफ स्वस्फूर्त ही बढ़ चले। यह बात भी गर्व करने वाली है कि रक्तदान करने वाले 140 से अधिक व्यक्तियों के नाम की सूची में मुस्लिम समुदाय के लोगों के नाम भी इंसानियत की चमक बिखेर रहे थे। प्रत्येक सूची में कोई न कोई याकूब, आरिफ, दानिश और अजमत जैसा नाम जरूर शामिल था।

सामान्य अवसरों पर भी ऐसे नाम अपने आसपास आपको जरूर मिल जाते हैं। जाती, धर्म और किसी एजेंडे से ऊपर उठकर इंसानियत के बिंदु पर सोचा जाए तो इनमें कोई विभेद भी नजर नहीं आता है। अच्छाई और बुराई किसी भी धर्म के लोगों में हो सकती है और उन्हें उसी चश्मे से देखना चाहिए। लेकिन, किसी समुदाय या धर्म विशेष के लिए अलग चश्मा नहीं हो सकता। यह बात अल्मोड़ा हादसे के बाद जिंदगियों को बचाने के जतन में साफ देखी गई।

अल्मोड़ा हादसे पर एक नजर
यह दर्दनाक हादसा सोमवार सुबह उस समय हुआ, जब रामनगर स्टेट हाइवे पर कुपि गांव के मरचूला क्षेत्र में निजी ऑपरेटर की बस गहरी खाई में जा गिरी। बस चालक समेत 43 सीट पर पास थी, जबकि उसमें कुल 63 लोग सवार थे। बस हादसा इतना भीषण था कि 28 लोगों की जान घटनास्थल पर ही चली गई थी। वहीं, 08 ने अस्पताल में दम तोड़ा। बस दुर्घटना में मारे गए कुल 36 लोगों में 23 पुरुष, 10 महिलाएं, 01 पांच वर्षीय बालक और 02 किशोर शामिल हैं। वहीं, 27 यात्री अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। इनमें 03 साल की मासूम शिवानी समेत 08 साल की अवनी और एक 04 वर्षीय बच्ची (अभी पहचान नहीं) भी शामिल है।

हादसे की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पौड़ी के प्रभारी आरटीओ (प्रवर्तन कुलवंत सिंह) और रामनगर की परिवहन कर अधिकारी (प्रभारी आरटीओ प्रवर्तन) नेहा झा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री धामी ने मंडलायुक्त कुमाऊं को दुर्घटना की मजिस्ट्रेटी जांच कराने के निर्देश दिए हैं, जबकि संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह ने हादसे की तकनीकी जांच के लिए उप परिवहन आयुक्त राजीव कुमार मेहरा, सहायक निदेशक लोनिवि/सदस्य लीड एजेंसी संजय बिष्ट, सहायक निदेशक परिवहन/सदस्य लीड एजेंसी नरेश संगल और सहायक निदेशक पुलिस/सदस्य लीड एजेंसी अविनाश चौधरी की समिति गठित की गई है।

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