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चिट्ठी बनी अभिनव की ‘छुट्टी’ का कारण?, नागवार गुजरी नसीहत!

नवंबर 2023 में कार्यवाहक डीजीपी बनाए गए अभिनव कुमार को अचानक हटाए जाने के पीछे के कई कारणों पर भी चर्चा हुई तेज

Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड के पुलिस महकमे में बड़े उलटफेर के कयास अक्टूबर माह के आरंभ से तभी से लगाए जा रहे थे, जब से यूपीएससी बोर्ड ने पुलिस महानिदेशक पद के लिए भेजे गए नामों के पैनल में से वर्ष 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार के नाम पर असहमति जता दी थी। लेकिन, इसके बाद भी कोई पुख्ता रूप से यह कहने की स्थिति में नहीं था कि अभिनव कुमार को इस पद से मुक्त किया जा सकता है। हालांकि, रविवार 24 नवंबर रविवार को छुट्टी के दिन न सिर्फ समीकरण तेजी से बदले, बल्कि सोमवार दिन चढ़ने तक अभिनव कुमार की डीजीपी पद से छुट्टी कर दी गई। उनकी जगह तत्काल ही वर्ष 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी दीपम सेठ ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) उत्तराखंड की कुर्सी भी संभाल ली।

पुलिस मुख्यालय, उत्तराखंड।

यह सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि किसी को सोचने और समझने का मौका भी नहीं मिल पाया। यूपीएससी बोर्ड की असहमति के क्रम में यह सब हुआ होता तो बहुत पहले ही निर्णय ले लिया जाता। फिर आखिर हुआ क्या? बताया जा रहा है कि एक चिट्ठी ने अभिनव कुमार की कार्यवाहक डीजीपी के पद से छुट्टी कर दी। दरअसल, अभिनव कुमार यूपीएससी बोर्ड की असहमति के बाद से अपने मुताबिक स्वाभाविक रूप से समीकरण तलाश रहे थे। वह भी नहीं चाहते थे कि जिस कार्यवाहक पद को फुलफ्लैश मान लिया गया है, वह उनके हाथ से चला जाए।

तभी उन्होंने नवंबर के मध्य के आसपास एक पत्र उत्तराखंड के गृह सचिव को लिखा। जिसमें उन्होंने सलाह दी कि उत्तर प्रदेश की नियमावली की तर्ज पर उन्हें पुलिस महानिदेशक पद पर स्थाई नियुक्ति दी जा सकती है। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के प्रकाश सिंह बनाम अन्य केस में दिए गए निर्णय के अनुरूप डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया में संघ लोक सेवा आयोग और गृह मंत्रालय की निर्णायक भूमिका को संवैधानिक और व्यवहारिक दृष्टिकोण से सही नहीं माना। साथ ही कहा कि उत्तराखंड में पहले से ही पुलिस महानिदेशक पद पर नियुक्ति के नियमों की व्यवस्था है।

यह पत्र इसकी भाषा के अनुरूप वायरल भी हो गया। माना जा रहा है कि सरकार को कार्यवाहक डीजीपी का नसीहतभरा यह पत्र रास नहीं आया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी यह अंदाज नागवार गुजरा। यही कारण है कि यूपीएससी बोर्ड के स्पष्ट निर्णय के बाद भी जो मामला डेढ़ माह से अधिक समय तक लंबित पड़ा रहा, वह न सिर्फ बाहर निकला, बल्कि उसने सभी समीकरण भी बदल डाले।

टिप्पणियों और तुनकमिजाजी के लिए भी चर्चा में रहते आए अभिनव
एक टीवी शो को दिए गए सालों पुराने साक्षात्कार की बात करें या अगस्त माह के अंत और सितंबर माह के आरंभ में गरमाए हरिद्वार ज्वेलर्स डकैती कांड का मामला हो, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अपनी टिप्पणियों के लिए हमेशा चर्चा में रहते आए हैं। टीवी शो में अभिनव कुमार ने किसी प्रसंग में पुलिस की भूमिका की तुलना शिकारी कुत्ते से भी कर दी थी। वहीं, जब हरिद्वार डकैती प्रकरण में भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री और क्षेत्रीय सांसद त्रिवेंद्र राहत ने बढ़ते अपराध पर पुलिस को घेरा तो अभिनव ने उन्हें ही पाठ पढ़ा डाला था। जिस पर त्रिवेंद्र ने अभिनव कुमार को अपने दायरे में रहने की सलाह दे डाली थी। वहीं, कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और कद्दावर नेता हरीश रावत ने उन्हें कह डाला कि रिटायरमेंट के बाद वह अभिनव को कांग्रेस में शामिल कराएंगे।

कितने दूर और पास होते रहे अभिनव
पुष्कर सिंह धामी ने जब अपने पहले अल्प कार्यकाल में मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण किया तो उसी के साथ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार का कद भी बढ़ गया था। उन्हें असमान्य रूप से अपर प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री के साथ ही विशेष प्रमुख सचिव सूचना और खेल की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी। हालांकि, धामी के दूसरे कार्यकाल में ऐसा कुछ हुआ कि अभिनव कुमार की न सिर्फ सभी पदों से छुट्टी कर दी गई थी, बल्कि वह लंबे समय तक व्यवस्था से भी दूर हो गए थे। फिर अचानक अभिनव कुमार तब उभरकर सामने आए जब, अशोक कुमार के पुलिस महानिदेशक पद से रिटायरमेंट के बाद उन्हें कार्यवाहक के रूप में पुलिस के मुखिया की कुर्सी नवाज दी गई। खैर, फिलहाल अभिनव कुमार अपर महानिदेशक कारागार प्रशासन और सुधार सेवा विभाग की जिम्मेदारी दी गई है।

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