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बिल्डर ने ले लिए 52 लाख, फ्लैट के नाम दिखाया ठेंगा

रेरा ने 45 दिन के भीतर कब्जा देने और विलंब पर 12 लाख अदा करने का दिया आदेश

Amit Bhatt, Dehradun: दून में बिल्डरों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है। फ्लैट खरीदारों से मोटी रकम लेने के बाद भी उन्हें दर-दर भटकने को विवश किया जा रहा है। ऐसा ही एक प्रकरण गणेश कृपा इन्फ्राडेवलपर्स की आवासीय परियोजना में सामने आया है। फ्लैट खरीदने वाली महिला से 52 लाख रुपए लेने के बाद भी उन्हें 02 साल से चक्कर कटवाए जा रहे हैं। अब उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) सदस्य नरेश सी मठपाल ने बिल्डर को 45 दिन के भीतर कब्जा देने और विलंब ब्याज के भुगतान का आदेश दिया है।

नेहरू कालोनी निवासी आरती बिष्ट ने सितंबर 2022 में शिमला बाईपास रोड स्थिति आवासीय परियोजना में 70 लाख का फ्लैट बुक कराया था। बुकिंग राशि के रूप में उन्होंने तत्काल 1.30 लाख रुपये अदा किए थे। अनुबंध में तय किया गया था कि फ्लैट पर कब्जा 31 दिसंबर 2022 तक कार्यपूर्ति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के साथ दे दिया जाएगा।

इस दौरान आरती बिष्ट ने अलग-अलग तिथियों पर कुल 52.41 लाख रुपये जमा करा दिए। जिसमें 38.41 लाख रुपये बैंक ऋण के रूप में भी शामिल थे। हालांकि, बिल्डर ने तय समय पर कब्जा नहीं दिया और बार-बार के आग्रह के बाद भी अब तक कब्जे की स्थिति नजर नहीं आ रही। बिल्डर के रवैए से परेशान होकर आरती बिष्ट ने रेरा में शिकायत दर्ज कराते हुए कब्जा देने में देरी पर विलंब ब्याज के भुगतान की मांग की।

शिकायत पर सुनवाई करते हुए रेरा सदस्य नरेश सी मठपाल ने बिल्डर को नोटिस जारी कर कारण पूछा। पहली सुनवाई में बिल्डर सुनवाई में उपस्थित नहीं हुआ। दोबारा अवसर देने के बाद बिल्डर किसी अधिवक्ता के माध्यम से पेश हुए, मगर वकालतनामा प्रस्तुत नहीं किया गया। न ही कोई अधिकार पत्र सौंपा गया। बिल्डर की नाफरमानी को देखते हुए रेरा ने प्रकरण में एक पक्षीय आदेश पारित कर दिया। जिसमें रेरा सदस्य ने माना कि फ्लैट पर कब्जा देने में 02 वर्ष से अधिक का विलंब किया गया है।

लिहाजा, कब्जा देने की वास्तविक तिथि से अब तक विलंब ब्याज की गणना करते हुए 12.20 लाख रुपये अदा करने का आदेश दिया गया। इसका समायोजन फ्लैट की अवशेष राशि में से किया जाएगा। साथ ही बिल्डर को 45 दिन के भीतर सभी औपचारिकता को पूरी करते हुए कब्जा देना होगा। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो फ्लैट खरीदार पूरी राशि ब्याज के साथ वापस प्राप्त कर सकती हैं। यदि वह रकम वापसी की जगह फ्लैट का विकल्प बरकरार रखती हैं तो अतिरिक्त विलंब के लिए ब्याज की गणना पूर्व की भांति ही की जाएगी।

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