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जेल में ही रहेंगे चैंपियन, हत्या के प्रयास की धारा नहीं हटी

पुलिस ने केस में से धारा 109 (हत्या का प्रयास) हटाने की मांग की थी कोर्ट से

Amit Bhatt, Dehradun: हरिद्वार के खानपुर क्षेत्र के विधायक उमेश कुमार के कार्यालय पर गणतंत्र दिवस के दिन ताबड़तोड़ फायरिंग करने के मामले में जेल में बंद पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को झटका लगा है। वह फिलहाल जेल में ही रहेंगे। कोर्ट ने उन पर से हत्या की धारा हटाने की अर्जी को नामंजूर किया है। वहीं, सीजीएम कोर्ट ने प्रकरण की जांच मौजूदा आईओ (विवेचक) धर्मेंद्र राठी से हटाकर सीओ स्तर के अधिकारी को सौंपने के निर्देश एसएसपी हरिद्वार को दिए हैं।

आज शुक्रवार 07 फरवरी को पूर्व विधायक प्रणव सिंह चैंपियन समेत अन्य आरोपियों पर हत्या के प्रयास की धारा हटाने के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई की। दरअसल, पुलिस ने कोर्ट के समक्ष केस में से धारा 109 (हत्या का प्रयास) हटाने की मांग की थी। लेकिन सीजीएम कोर्ट ने पुलिस के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इस प्रकरण को गंभीरता से लिया है।

यह है विधायक उमेश और पूर्व विधायक प्रणव के बीच का विवाद
उमेश और चैंपियन के बीच विवाद तब सतह पर आ गया था, जब 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर चैंपियन दल-बल के साथ खानपुर विधायक के आवास/कैंप कार्यालय पर धमके और कई राउंड की फायरिंग कर दी। इस दौरान चैंपियन और उनके समर्थकों ने भद्दे शब्दों का भी प्रयोग किया। इस कांड को अंजाम देने के बाद देहरादून लौटते समय नेहरू कालोनी पुलिस ने चैंपियन को गिरफ्तार कर रुड़की पुलिस के सुपुर्द कर दिया था। दूसरी तरफ गोलीबारी के बाद कैंप कार्यालय पहुंचे विधायक उमेश गुस्से में हाथ मे पिस्टल लिए बाहर निकलते देखे गए, जिन्हें पुलिस और कार्यकर्ताओं ने किसी तरह काबू किया। दोनों घटनाओं के वीडियो भी सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म और डिजिटल मीडिया पर खूब वायरल हुए।

तब यह बात भी सामने आई कि चैंपियन ने विधायक उमेश की मां को टारगेट करते हुए भद्दे शब्दों का प्रयोग किया था। जिस पर 25 जनवरी को उमेश अपने कार्यकर्ताओं के साथ चैंपियन के महल पहुंचे थे। यहां उमेश ने चैंपियन को ललकारा और अपना गुस्सा उतारा। इस घटना का वीडियो भी सामने आया है। लिहाजा, पुलिस ने इस मामले में चैंपियन की पत्नी देवयानी की तहरीर पर न सिर्फ मुकदमा कायम किया, बल्कि 26 जनवरी की ही रात को विधायक उमेश को भी गिरफ्तार कर लिया।

यहां तक भी मामला दोनों तक सीमित था। लेकिन, जब 27 जनवरी को सीजेएम कोर्ट से चैंपियन को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया और उमेश को बेल मिल गई तो चैंपियन समर्थक भड़क उठे। इसी के बाद पहले गुर्जर समाज की एकजुटता और उमेश के विरोध का ज्वार उठा। जो बुधवार 29 जनवरी को लंढौरा कूच के रूप में सामने आया। इसके बाद अब खानपुर में विधायक उमेश के समर्थन में महापंचायत को लेकर भारी भीड़ जुटना शुरू हुई तो पुलिस-प्रशासन के हाथ पांव सुबह से ही फूलने लगे थे।

हाई कोर्ट ले चुकी संज्ञान
उमेश कुमार और चैंपियन विवाद का संज्ञान नैनीताल हाई कोर्ट ले चुकी है। हाइ कोर्ट की शीतकालीन अवकाश पीठ ने प्रकरण का स्वतः संज्ञान लिया और इस पूरे घटनाक्रम को राज्य की छवि खराब करने वाला बताया। इस मामले में कोर्ट ने हरिद्वार के एसएसपी और डीआईजी को वर्चुअली तलब किया। जिसमें पुलिस अधिकारियों ने बताया कि चैंपियन और उनके परिजनों के 09 असलहे जब्त कर उनके लाइसेंस निरस्त करवा दिए और दूसरी तरफ जिलाधिकारी देहरादून ने विधायक उमेश कुमार का शस्त्र लाइसेंस निलंबित कर दिया।

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