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210 करोड़ रुपये लुटाकर बैठे उत्तराखंड के हजारों लोग, कंगाल बना रही अमीर बनने की चाहत

एसटीएफ ने 03 दिन में 03 साइबर अपराधियों को पकड़ा, साथ में सामने आई मोटा मुनाफा कमाने के कच्चे लालच की कहानी

Amit Bhatt, Dehradun: अमीर बनने का ख्वाब देखने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन, दुनिया में ऐसा कोई फॉर्मूला नहीं है, जो किसी को रातों-रात अमीर बना दे। लेकिन, लालच ऐसी बला है, जो अच्छे खासे व्यक्ति की सोचने समझने की शक्ति को कुंद कर देती है। साइबर ठग भी इस बात को समझते हैं और दुनियाभर में फैला इनका नेटवर्क न सिर्फ नागरिकों तक फेसबुक, टेलीग्राम और यूट्यूब जैसे माध्यमों से आसानी से पहुंच जाता है, बल्कि कई लोग मोटे मुनाफे के इनके सब्जबाग में फंस जाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्ष 2024 में साइबर ठगों ने उत्तराखंड के लोगों की 210 करोड़ रुपये से अधिक की रकम उड़ा दी। हालांकि, साइबर क्राइम पुलिस और एसटीएफ की मदद से इसमें से 28 करोड़ रुपये बचा लिए गए। लेकिन, यह आंकड़ा कुल ठगी का महज 13.34 प्रतिशत ही है। गंभीर यह भी कि वर्ष 2023 में ठगी का जो आंकड़ा 68 करोड़ रुपये था, वह सालभर में ही 03 गुना से अधिक की छलांग लगा गया। ठगी का शिकार होने वालों में देहरादून और ऊधम सिंह नगर के लोगों की संख्या सर्वाधिक रही।

एसटीएफ की गिरफ्त में आया साइबर ठग।

साइबर ठगी के नेटवर्क को ध्वस्त करने में हमारी एसटीएफ उत्तराखंड, साइबर क्राइम पुलिस दिन-रात जुटी है। लेकिन, लोगों के लालच में सरकारी मशीनरी की चुनौती भी बढ़ती जा रही है। लालच की इस कहानी को बीते 03 दिन में पकड़े गए 03 साइबर अपराधियों से की गई पूछताछ में समझा जा सकता है। ताजा प्रकरण हरिद्वार की एक पीड़ित महिला से जुड़ा है। जिसने लालच में आकर अपने 1.43 करोड़ रुपये लुटवा दिए। एसएसपी एसटीएफ नवनीत सिंह के अनुसार हरिद्वार निवासी शिकायतकर्ता को यूके स्थित व्हाट्सएप नंबर +447570899124 से फर्म क्वांटम कैपिटल के नाम से एक व्हाट्सएप संदेश प्राप्त हुआ। जिसके बाद व्हाट्सएप नंबर +447570899056 से एक व्यक्ति ने स्वयं को भारतीय ब्रोकर के रूप में पेश किया और 12000 रुपये के निवेश पर 16000 रुपये का एक छोटा सा रिटर्न देकर विश्वास में लिया।

फिर उसने अपने फर्म पोर्टल क्वांटम कैपिटल के माध्यम से इसे 50% तक बढ़ाने के लिए शिकायतकर्ता से 18 लाख रुपये जमा करवा लिए। उक्त ठगों के द्वारा शिकायतकर्ता को रोजाना व्हाट्सएप कॉल की जाती थी और निवेश हेतु मांगे गए रुपयों को किसी ट्रेड पोर्टल के माध्यम से निवेश करना बताया जाता था। साथ ही शिकायतकर्ता को फोन पर डाउनलोड कराई गई फर्जी वेबसाइट पर मुनाफा दिखाया जाता था। कहा जाता था कि निकासी पर क्लिक करने पर 15 मिनट में पैसे प्राप्त हो जाएंगे। लेकिन शिकायतकर्ता को कभी पैसे नहीं मिले तथा बात करने पर टालमटोल किया जाता रहा। इस प्रकार अज्ञात साइबर ठगों ने शिकायतकर्ता इस पूरे प्रकरण में क्वांटम कैपिटल के माध्यम से 64,27,668/-रुपये और QYOU मीडिया के माध्यम से 78,75,987/- रुपये कुल 1,43,03,655 रुपये की साइबर धोखाधड़ी कर ली।

प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच साइबर थाने के निरीक्षक विजय भारती के सुपुर्द कर घटना के शीघ्र अनावरण के लिए अंकुश मिश्रा पुलिस उपाधीक्षक, साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन को सौंप कर टीम गठित की गई। जांच टीम ने घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/मोबाइल नंबरों तथा व्हाट्सएप की जानकारी हेतु संबंधित बैंकों, सर्विस प्रदाता कंपनी तथा मेटा (फेसबुक) एवं गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया। प्राप्त डेटा के विश्लेषण से जानकारी मे आया कि अभियुक्तगणों द्वारा पीड़िता से धोखाधड़ी से ठगी गई धनराशि को विभिन्न बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया था। जिसमें से अलवर राजस्थान के विभिन्न 05 आईडीबीआई बैंक खातों में 55,94,110/- रुपये ट्रांसफर होना तथा इन खातों में कुल 2,33,17,920/- रुपये का लेन देन पाया गया। यह भी पता चला कि इन बैंक खातों के विरुद्ध राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल पर 15 शिकायतें दर्ज हैं।

विवेचना के दौरान साइबर थाना पुलिस टीम ने तकनीकी/डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर घटना के मास्टर मांइड व मुख्य आरोपियों को चिह्नित करते हुए अभियुक्तों की तलाश शुरू की और उनकी गिरफ्तारी के लिए दिल्ली, उत्तर प्रदेश व राजस्थान में कई स्थानों पर दबिश दी। साईबर पुलिस टीम द्वारा अथक मेहनत एवं प्रयास से तकनीकी संसाधनों का प्रयोग करते हुए साक्ष्य एकत्रित कर मास्टर माइंड कैलाश सैनी पुत्र पप्पू राम सैनी निवासी ग्राम व पो. उमरैण, थाना अकबरपुर, जिला-अलवर, राजस्थान, उम्र-32 वर्ष को जयपुर हाईवे पर रिंग रिंग्स बाइपास, जिला सीकर, राजस्थान से गिरफ्तार किया गया। जिसके कब्जे से संबंधित बैंक खाता, जिसमें शिकायतकर्ता से धोखाधड़ी कर 8,39,610/-रुपये गलवाए गए थे का एसएमएस अलर्ट नंबर सहित घटना में प्रयुक्त एक मोबाइल हैंडसेट और 02 सिम कार्ड भी बरामद किए गए। अब तक की विवेचना से उक्त गिरफ्तार अभियुक्त के संबंधित आईडीबीआई बैंक अकाउंट में कुल 30,50,242/- रुपये की धनराशि फर्जी तरीके से आना प्रकाश में आया है और उसके खाते के विरुद्ध राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल में 03 शिकायते दर्ज हैं।

इसी तरह इससे पहले केस में नैनीताल निवासी एक पीड़ित व्यक्ति के 90 लाख रुपये ठगने के लिए साइबर अपराधियों ने एम. स्टॉक (मिराया एसेट) जैसी नामी इन्वेस्टमेंट और ब्रोकर कंपनी का कर्मचारी बनकर झांसा दिया था। इस मामले में राजस्थान से ही गिरफ्तार किए गए दो आरोपियों से पूछताछ में भी मोटे मुनाफे के झांसे की ऐसी ही कहानी सामने आई। अधिकतर मामलों में जल्द अमीर बनने की ख्वाहिश में ही लोग लुट-पिट रहे हैं। बेशक पुलिस भरसक प्रयास क्र रही है, लेकिन ऑनलाइन धोखाधड़ी में लूटा गया पैसा इतनी जल्दी अलग अलग बैंक खातों में या विदेश में भी ट्रांसफर कर दिया जाता है, जिसकी रिकवरी आसान नहीं हो पाती। हालांकि, पुलिस की कार्रवाई इस चेन को ब्रेक करने का काम कर रही है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। लिहाजा, जागरुकता ही असली बचाव है।

गिरफ्तारी करने वाली पुलिस टीम
1-निरीक्षक विजय भारती
2- उप निरीक्षक हिम्मत सिंह
3-कॉन्स. नीरज नेगी
4- कॉन्स. योगेश्वर कांति

एसएसपी एसटीएफ की अपील, मानेंगे तो बचेंगे लुटने से
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ उत्तराखंड नवनीत सिंह द्वारा जनता से अपील की गई है कि वे किसी भी प्रकार के लोक लुभावने अवसरों/फर्जी साईट/धनराशि दोगुना करने व टिकट बुक करने वाले अंनजान अवसरो के प्रलोभन में न आयें। साथ ही, सभी से अपील है कि वे फर्जी निवेश ऑफर जैसे YouTube like सब्सक्राइव, टेलीग्राम आधारित निवेश वेबसाइट ऑफर में निवेश न करें व किसी भी अन्जान व्यक्ति के सम्पर्क में न आएं अथवा न ही किसी भी अन्जान व्यक्ति से सोशल मीडिया पर दोस्ती न करें। किसी भी अन्जान कॉल आने पर लालच में न आएं, अन्जान कॉलर की सत्यता की जांच करे बिना किसी भी प्रकार की सूचना/दस्तावेज न दें। किसी भी प्रकार के ऑनलाइन जॉब हेतु एप्लाई कराने से पूर्व उक्त साईट का पूर्ण वैरीफिकेशन संबंधित कंपनी आदि से भली-भांति इसकी जांच पड़ताल अवश्य करा लें तथा गूगल से किसी भी कस्टमर केयर नंबर को सर्च न करें। आजकल सोशल मीडिया पर तेजी से बढ़ रहे इन्वेस्टमेंट स्कैम्स ने लाखों लोगों को अपना शिकार बनाया है। यह स्कैम्स सस्ती वेबसाइट्स और नकली रिव्यू प्रोग्राम्स के माध्यम से लोगों को पहले छोटे-छोटे इनाम देकर भरोसा जीतते हैं और फिर धीरे-धीरे उन्हें भारी रकम निवेश करने पर मजबूर कर देते हैं। कहीं भी पैसा कमाने के चक्कर में इन्वेस्ट ना करें व शक होने पर तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन पर संपर्क करें। वित्तीय साइबर अपराध घटित होने पर तुरंत 1930 नंबर पर कॉल करें।

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