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कांग्रेस महामंत्री को ईडी का समन, रजिस्ट्री फर्जीवाड़े से जुड़ा है मामला

उत्तराखंड में प्रदेश महामंत्री संगठन विजय सारस्वत को 21 फरवरी को किया गया तलब

Amit Bhatt, Dehradun: प्रदेश की मशीनरी को हिलाकर रख देने वाले अरबों रुपए के रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में अब उत्तराखंड कांग्रेस के एक बड़े नेता की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। ईडी ने फर्जीवाड़े में कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री संगठन विजय सारस्वत को समन जारी किया है। उन्हें 21 फरवरी को कार्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है। यह प्रकरण विशेष रूप से क्लेमेनटाउन में जमीन 4.55 करोड़ रुपए की जमीन धोखाधड़ी से जुड़ा भी बताया जा रहा है। इस मामले में उनका नाम रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मुख्य आरोपियों में शामिल समीर कामयाब और बाबर हुमायूं के साथ सीधे रूप से जुड़ा पाया गया है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सूत्रों के मुताबिक रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की जांच में विजय सारस्वत का नाम भी प्रकाश में आया है। बताया जा रहा है कि जांच में कुछ ऐसे दस्तावेज ईडी अधिकारियों के हाथ लगे हैं, जिनमें विजय सारस्वत का नाम सामने आया है। जिसके पीछे के कारण जानने के लिए ईडी ने सारस्वत के लिए सवालों की लंबी लिस्ट तैयार की है। जिसमें उनसे रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मुख्य आरोपियों में शामिल समीर कामयाब और हुमायूं परवेज के साथ कनेक्शन पर भी सवाल किए जाएंगे।

इससे पहले ईडी ने अगस्त 2024 में रजिस्ट्री फर्जीवाड़े से जुड़े आरोपियों के ठिकानों पर बड़े स्तर पर छापेमारी की थी। उस दौरान ईडी ने उत्तराखंड समेत उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और असम में आरोपितों के 18 ठिकाने खंगाले थे। तब ईडी ने 95 लाख रुपए की नकदी और आभूषण कब्जे में लेते हुए करोड़ों रुपए की संपत्ति के दस्तावेज भी जब्त किए।

बताया जा रहा है कि छापेमारी के दौरान ईडी ने संपत्ति और मनी ट्रेल के जो दस्तावेज कब्जे में लिए थे, उनकी जांच में विजय सारस्वत का नाम सामने आया है। अब इन सवालों के जवाब मिलने बाकी हैं कि कांग्रेस नेता का नाम रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के आरोपियों के साथ कैसे जुड़े। क्या यह महज संयोग है या वास्तव में मामला गंभीर है।

जुलाई 2023 में सामने आया था फर्जीवाड़ा, उड़ गए थे होश 
रजिस्ट्री फर्जीवाड़े का मामला जुलाई 2023 में प्रकाश में आया था। जिसमें पता चला कि कुछ नामी अधिवक्ताओं ने प्रापर्टी डीलरों और भूमाफिया से मिलकर देहरादून के सब रजिस्ट्रार कार्यालय के रिकार्ड रूम में घुसपैठ कर रजिस्ट्रियों के रिकॉर्ड बदल दिए हैं। साथ ही कलेक्ट्रेट के राजस्व अभिलेखागार से रिकॉर्ड भी गायब किए गए हैं। इस काम में सब रजिस्ट्रार कार्यालय के कुछ कार्मिकों ने भी फर्जीवाड़े में मदद की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त रुख के बाद प्रकरण में 02 एसआईटी (पुलिस व स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग) का गठन किया गया। पुलिस ने रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मुख्य मामलों में 13 मुकदमे दर्ज कर 20 आरोपितों को जेल भेजा। इनमें से एक आरोपी केपी सिंह की सहारनपुर जेल में मौत हो चुकी है। वहीं, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग की एसआइटी की संस्तुति पर 70 के करीब मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। सभी में विधिक कार्रवाई गतिमान है।

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