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प्रशासन का नया चेहरा: 97 साल की महिला की टूट चुकी थी आस, 25 साल दर-दर भटकीं, अब डीएम सविन ने दिलाया जमीन पर कब्जा

भूमाफिया ने जमीन पर कर लिया था कब्जा, जिलाधिकारी ने पहले अवैध रूप से चल रहे गैस गोदाम को सील करवाया और अब वयोवृद्ध महिला को सौंपी गई चाबी

Amit Bhatt, Dehradun: देहरादून निवासी 97 वर्षीय लीला देवी गुरुंग उम्र के आखिरी पड़ाव में अपनी उम्मीद को चुकी थीं। उनकी यह उम्मीद लगभग टूट चुकी थी कि अपनी जमीन छुड़ाने की जो लड़ाई वह 25 सालों से लड़ रही हैं, वह इस जन्म में उन्हें मिल पाएगी। लीला देवी के साथ इस लड़ाई में शामिल उनकी 80 वर्षीय अविवाहित पुत्री नीना गुरुंग भी थक हार चुकी थीं। लेकिन, जिलाधिकारी सविन बंसल ने त्वरित न्याय की दिशा में मिसाल पेश करते हुए महज 02 माह में वह कर दिखाया, जो 25 सालों में कोई अधिकारी नहीं कर सका। बुधवार को उपजिलाधिकारी न्यायिक कुमकुम जोशी ने जब महिला को उनकी जमीन और संपत्ति पर विधिक रूप से कब्जा दिलाया तो प्रशासन का नया चेहरा सामने आया। जिसे देखकर स्वयं लीला देवी भी भावुक हो गईं और प्रशासन के लिए कृतज्ञता से भरकर उन्होंने हाथ जोड़ लिए।

यह तस्वीर जिला प्रशासन का नया चेहरा दिखाती हैं। जहां असल में जनता जनार्दन है। 97 साल की लीला देवी को उनकी जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए उपजिलाधिकारी कुमकुम जोशी ने हाथ पकड़कर सहारा दिया और उन्हें संपत्ति तक पहुंचाकर चाबी सुपर्द की। त्वरित न्याय की ऐसी मिसाल देखकर महिला पूरी तरह कृतज्ञ नजर आईं।

97 वर्षीय लीला देवी की संपत्ति पर अवैध कब्जे का यह प्रकरण जिलाधिकारी सविन बंसल की जनसुनवाई में दिसंबर माह के मध्य में पहुंचा था। जिसमें महिला की 80 वर्षीय पुत्री नीना गुरुंग ने बताया था कि रायपुर क्षेत्र में रांझावाला में उनकी संपत्ति पर अवैध रूप से नंदा गैस एजेंसी का गोदाम संचालित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह भूमि वर्ष 1988 में उनके पिता स्व. रतन सिंह गुरुंग ने नंदा सुब्बा को महज 01 रुपये की लीज पर दी थी। उस समय नंदा को भूमि नहीं मिल रही थी। भूमि के अभाव गैस एजेंसी निरस्त हो सकती थी, लिहाजा नंदा की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया गया था।

लेकिन, कुछ समय बाद ही नंदा सुब्बा ने लीज शर्तों का उल्लंघन करते हुए भूमि पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया था। जिस पर नंदा को जमीन छोड़ने के लिए कहा गया था। लेकिन, उन्होंने वर्ष 2004 में कब्जे के आधार पर जमीन पर मालिकाना हक जताना शुरू कर दिया। उस दौरान फर्जी ढंग से उनकी संपत्ति को विपक्षियों ने अपने नाम पर भी चढ़ाया, लेकिन प्रशासन ने बाद में उसे निरस्त कर दिया था। इसके बाद जब वर्ष 2021 के आसपास जब नंदा सुब्बा ने गैस एजेंसी को सरेंडर कर दिया तो उनकी भूमि पर किसी लोकेश उनियाल नाम के व्यक्ति का कब्जा करा दिया गया।

जिलाधिकारी ने प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए उपजिलाधिकारी न्यायिक कुमकुम जोशी को जांच सौंपी थी। जांच में अवैध कब्जे की पुष्टि की गई और जनवरी 2025 में गैस गोदाम को सील कर दिया गया था। हालांकि, अभी वयोवृद्ध महिला का न्याय अधूरा था। क्योंकि, संबंधित भूमि पर महिला को विधिवत कब्जा दिलाया जाना था। जिलाधिकारी ने फिर से उपजिलाधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी और समिति गठित करवाई। सभी औपचारिकताओं की पूर्ति के बाद बुधवार को उपजिलाधिकारी न्यायिक कुमकुम जोशी ने मौके पर वृद्धा को चाबी सौंपकर प्रशासन की जिम्मेदारी पूरी की।

उम्मीद खो चुकीं लीला देवी ने हाथ जोड़कर किया धन्यवाद
वयोवृद्ध महिला लीला देवी उम्मीद छोड़ चुकी थीं। लेकिन, जब उन्हें चाबी सौंपी गई तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ। मौके पर उपस्थित उपजिलाधिकारी कुमकुम जोशी के लिए उन्होंने धन्यवाद अदा करना चाहा तो उनका गला रुंध गया। भीगी पलकों से उन्होंने हाथ जोड़ते हुए अपनी खुशी और इसके पीछे की वजह बने जिला प्रशासन को धन्यवाद किया।

उपजिलाधिकारी जोशी का रहा अहम योगदान
देहरादून कलेक्ट्रेट में उपजिलाधिकारी न्यायिक के पद पर तैनात कुमकुम जोशी ने वयोवृद्ध महिला को न्याय दिलाने के लिए अथक प्रयास किया। आमतौर पर अधिकारी ऐसे मामलों को लटका कर रखते हैं। लेकिन, कुमकुम जोशी ने नागरिकों को त्वरित न्याय देने की सरकार की मंशा को धरातल पर उतारकर ही दम लिया। जिला प्रशासन की इस कार्रवाई की चौतरफा प्रशंसा की जा रही है।

जिला प्रशासन का यही उद्देश्य रहता है कि जनता को त्वरित न्याय मिले। इससे प्रशासन और सरकार के प्रति नागरिकों का भरोसा बढ़ता है। हमारी यह मूल जिम्मेदारी है। हमारी पूरी टीम नागरिकों की सेवा के लिए दिन-रात खड़ी है। सेवा की यह भावना जारी रहेगी।
सविन बंसल, जिलाधिकारी, देहरादून।

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