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पिरामिड कैफे मामले में भी आशुतोष नेगी को मिली जमानत, जेल से आएंगे बाहर

पिरामिड कैफे और रजवाड़ा रेस्तरां में कर्मचारियों के वेतन के मामले में वसूली और अभद्रता पर उक्रांद नेता आशुतोष नेगी और आशीष नेगी को एक साथ भेजा गया था जेल, आशीष पहले आ चुके जेल से बाहर

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ता आशुतोष नेगी को देहरादून में 02 रेस्तरां में घुसकर वसूली करने और अभद्रता के मामले में बड़ी राहत मिली है। रायपुर थाना क्षेत्र के नालापानी चौक स्थित रजवाड़ा रेस्तरां मामले के बाद उन्हें राजपुर रोड के पिरामिड कैफे के प्रकरण भी जमानत मिल गई है। अब वह जेल से बाहर आ पाएंगे। इससे पहले उक्रांद के ही नेता आशीष नेगी को दोनों मामलों में जमानत मिल गई थी। वह फिलहाल जमानत पर रिहा हैं। दोनों को पुलिस ने 27 मार्च को जेल भेजा था।

सत्र न्यायाधीश प्रेम सिंह खिमाल की कोर्ट में आशुतोष नेगी की जमानत पर सुनवाई की गई। शुक्रवार को जारी किए गए सत्र न्यायाधीश के आदेश के अनुसार बचाव पक्ष के अधिवक्ता आलोक घिल्डियाल ने दलील पेश करते हुए कहा कि अभियुक्तगण निर्दोष हैं। पुलिस ने राजनीतिक दबाव में झूठा मुकदमा दर्ज किया है। लिहाजा, उनकी जमानत मंजूर करना न्यायोचित होगा। वहीं, अभियोजन पक्ष ने जमानत का विरोध किया।

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (दांडिक )गुरु प्रसाद रतूड़ी ने कहा कि अभियुक्त (आशुतोष नेगी ) 20 मार्च को 40-50 लोगों के साथ नारेबाजी करते हुए पिरामिड कैफे में घुसे और अभद्रता/गाली गलौज की। उस दौरान 06 कर्मचारियों की सैलरी के नाम पर 01 लाख 07 हजार रुपये वसूल किए गए। पिरामिड कैफे में विरोध प्रदर्शन का एक वीडियो भी वायरल हुआ था। उस दौरान दोनों रेस्तरां/कैफे की घटना को लेकर आशुतोष नेगी और आशीष नेगी ने आरोप लगाया था कि संबंधित प्रतिष्ठान संचालक पहाड़ी मूल के कर्मचारियों का उत्पीड़न कर रहे हैं। पिरामिड कैफे संचालक ने पहाड़ी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया और उनकी सैलरी भी नहीं दी।

इसी तरह राजवाड़ा रेस्तरां से काम छोड़कर गए शौकीन सिंह का अवशेष वेतन जारी नहीं किया गया। घटना के बाद व्यापारिक संगठनों ने कारोबारियों के उत्पीड़न के विरोध में एसएसपी कार्यालय में प्रदर्शन किया, जबकि उक्रांद भी गिरफ्तारी को लेकर निरंतर विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि, वर्तमान में दोनों आरोपियों को जमानत मिल गई और तनाव की स्थिति भी नहीं है।

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