
Amit Bhatt, Dehradun: पुरकल यूथ डेवलपमेंट सोसाइटी के स्कूल में प्रबंधन की ओर से प्रताड़ित किए जाने पर स्टाफ और छात्र-छात्राएं एकजुट होकर आवाज उठा रहे हैं। स्कूल जरूरतमंदों बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा मुफ्त प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, लेकिन यहां छात्रों का भी उत्पीड़न किया जा रहा है। वर्तमान में एक छात्रा निकाले जाने के विरोध में बाल आयोग की शरण में गई है। वहीं, स्कूल के स्टाफ ने भी सचिव अनूप सेठ के खिलाफ मोर्चा खोला दिया है। महिला स्टाफ ने सचिव पर मानसिक उत्पीड़न कर स्कूल से निकालने का आरोप लगाते हुए महिला आयोग को शिकायत कर मदद की गुहार लगाई है। जिस पर महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने स्कूल प्रबंधन को 24 अप्रैल को आयोग में उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। एक छात्रा की शिकायत पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग में 22 अप्रैल को सुनवाई रखी गई है। जिसमें स्कूल के सचिव अनूप सेठ को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।
आयोग में शिकायत के बाद स्कूल प्रबंधन में मची खलबली
पुरकल यूथ डेवलपमेंट सोसायटी (पीवाईडीएस) पर छात्रा एवं महिला कर्मचारियों ने संस्थान से बेवजह बाहर निकालने का आरोप लगाया। महिला कर्मचारियों ने इसकी शिकायत उत्तराखंड राज्य महिला आयोग से की है। जबकि छात्रा के अभिभावक ने उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। आज बाल आयोग की अध्यक्ष डा. गीता खन्ना एवं सचिव डा. शिव कुमार बरनवाल पीड़ित एवं सोसायटी के मामले में सुनवाई करेंगे। दरअसल, जोहड़ी गांव स्थित पुरकल यूथ डेवलपमेंट सोसायटी लर्निंग अकादमी के खिलाफ सोमवार को पीड़ित महिला कर्मचारियों ने उत्तराखंड राज्य महिला आयोग एवं छात्रा के अभिभावक ने उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग में निदेशक के खिलाफ शिकायत दर्ज की। महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने बताया कि शिकायती पत्र प्राप्त हो गया है। सचिव को मामले की सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित करने के निर्देश दिए गए हैं। जबकि बाल आयोग के सचिव डा. शिव कुमार बरनवाल ने बताया कि छात्रा के मामले में स्कूल प्रबंधन को तलब किया गया है। स्कूल प्रबंधन की तरफ से कोई भी कर्मचारी एवं अधिवक्ता सुनवाई में उपस्थिति नहीं होगा।
अधिवक्ता एवं प्रतिनिधि के माध्यम से भेजा पत्र स्वीकार नहीं किया जाएगा। मामले में विपक्षी को स्वयं उपस्थिति दर्ज करानी होगी। बताया कि मामला छात्रा के भविष्य से जुड़ा हुआ है। इसलिए किसी तरह की लापरवाही बरतने पर कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी।
महिला आयोग ने लिया इन शिकायतों का संज्ञान
प्रार्थिनी पूनम मिश्रा पत्नी सर्वोदय मिश्रा निवासी काली मंदिर के पास यूपीईएस रोड देहरादून ने सोमवार को महिला आयोग को शिकायत दी। बताया कि उन्होंने 15 अक्टूबर 2021 को छात्रावास संचालिका (हास्टल वार्डन) के पद पर कार्यभार प्राप्त किया। अगस्त 2024 में प्रार्थिनी की तबीयत अचानक खराब होने पर प्रार्थिनी ने 13 सितंबर से चार नवंबर तक छुट्टी ले ली। उन्होंने अपना आरपेशन कराया और स्वस्थ होने के बाद फिटनेस प्रमाण पत्र के साथ स्कूल में कार्य ग्रहण करना चाहा तो एचआर मैनेजर वैशाखी दास ने फोन कर कहा कि स्कूल के सचिव अनूप सेठ ने दो माह आराम करने को कहा है। इसके बाद 15 मार्च 2025 को ई-मेल के माध्यम से उनकी सेवानिवृत्त करने की सूचना दी गई। प्रार्थिनी की आयु 54 वर्ष है और वह इसी नौकरी पर निर्भर है। ऐसे में महिला आयोग से आग्रह है कि उन्हें सेवानिवृत्ति की आयु तक वेतन दिलाने का कष्ट करें। महिला आयोग को कंचन ध्यानीकी ओर से दी गई शिकायत में उन्होंने कहा कि विगत 10 वर्षों से वह देहरादून स्थित पुरकल यूथ डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा संचालित एक एनजीओ स्कूल में विज्ञान विषय की शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं। बीते जुलाई में उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया और तब सेमातृत्व अवकाश पर थीं। यह अवकाश सितंबर 2024 तक स्वीकृत था, जिसे उन्होंने बढ़ाकर जनवरी 2025 तक करवा लिया था। विद्यालय प्रबंधन ने उन्हें अप्रैल 2025 में स्कूल में ज्वाइन करने को कहा। इसके बाद जब अप्रैल में वह नौकरी पर लाैटने लगीं तो उन्हें व्हाट्सएप के माध्यम से यह सूचना दी गई कि विद्यालय में पुनः कार्य करने की अनुमति नहीं है। प्रबंधन ने बिना किसी पूर्व सूचना या ठोस कारण के उन्हें व्हाट्सएप के माध्यम से सेवा समाप्त करने की सूचना दी। यह संपूर्ण प्रक्रिया न केवल मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 का उल्लंघन है, बल्कि एक महिला कर्मचारी के साथ अन्यायपूर्ण और अपमानजनक व्यवहार है।
इसके अलावा संजला वज़ीर, आरती नागराज, मनीष चंदेल, रोमा सकलानी, पलक बहुगुणा, स्कूल के अंग्रेजी विभाग के निखिल, मंजुला डोभाल और सोमवती ने भी सचिव समेत प्रबंधन पर प्रताड़ित करने व स्कूल छोड़ने पर मजबूर करने का आरोप लगाया है। सभी ने महिला आयोग और जिलाधिकारी कार्यालय में शिकायत दी है।