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अभावों से निकलकर आइएएस बनीं अनुराधा को बड़ा जिम्मा, उत्तराखंड की पहली महिला आबकारी आयुक्त बनीं

वर्ष 2016 बैच की आइएएस अधिकारी अनुराधा पाल ने संभाला आबकारी विभाग का कामकाज, शराब तस्करों पर अंकुश लगाने को बताया प्राथमिकता

Rajkumar Dhiman, Dehradun: वर्ष 2016 बैच की आइएएस अधिकारी अनुराधा पाल को उत्तराखंड सरकार ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें आबकारी विभाग का आयुक्त बनाया गया है। वह आबकारी विभाग की पहली महिला आयुक्त भी होंगी। इस पद पर तैनात आइएएस एचसी सेमवाल के रिटायर हो जाने के बाद अनुराधा को यह जिम्मा सौंपा गया। इससे पहले अनुराधा पाल बागेश्वर में जिलाधिकारी, पिथौरागढ़ में मुख्य विकास अधिकारी की कमान संभाल चुकी हैं। वह कोरोनाकाल में देहरादून सिटी मजिस्ट्रेट पद पर भी अपनी सेवा दे चुकी हैं। अनुराधा पाल ने आयुक्त का पदभार संभालने के साथ ही कामकाज को आगे बढ़ाना भी शुरू कर दिया है।

वर्ष 2016 बैच की आइएएस अधिकारी अनुराधा पाल एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता दूध बेचने का काम करते थे। अभावों के बाद भी उन्होंने बड़े जतन से बेटी को पढ़ाया। अनुराधा की शुरुआती पढाई हरिद्वार के जवाहर नवोदय विद्यालय से हुई। वर्ष 2008 में उन्होंने गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की। बीटेक करने के बाद उन्होंने टेक महिंद्रा कंपनी में काम किया और फिर नौकरी छोड़कर सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी।

वर्ष 2012 में उन्होंने यूपीएससी का पहला अटेंप्ट दिया। ऑल इंडिया में 451वीं रैंक प्राप्त होने के चलते उनका आइएएस बनने का सपना पूरा नहीं हो सका। अनुराधा ने हार नहीं मानी और दोबारा तैयारी में जुट गईं। वर्ष 2015 में उन्होंने दोबारा यूपीएससी क्रैक किया और अबकी बार उन्हें 62वीं रैंक मिली। इस तरह उन्हें आइएएस का 2016 बैच मिला। अनुराधा का कहना है कि सिविल सेवा में चुनौतियां तो कई हैं, लेकिन उनसे यही उम्मीद की जाती है कि वह उन्हें पार कर देश की तरक्की में अपना अहम योगदान दें। नवनियुक्त आबकारी आयुक्त अनुराधा पाल बैडमिंटन की खिलाड़ी भी हैं। विभिन्न प्रतियोगिताओं में उन्हें कई अवार्ड भी मिल चुके हैं।

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