जिस पर सरकारी जमीन कब्जाने का मुकदमा, मंत्री की सिफारिश पर उसे सौंप दी पालिका भूमि
मसूरी में सामने आया सरकारी भूमि की लूट का नायब मामला, पालिका अध्यक्ष और ईओ की मंशा पर सवाल

Rajkumar Dhiman, Dehradun: सरकारी जमीन की लूट का नायब उदाहरण मसूरी नगर पालिका परिषद में सामने आया है। पालिका प्रशासन ने जिस व्यक्ति पर एसआईटी की संस्तुति के बाद जमीन कब्जाने का मुकदमा दर्ज कराया, अब उसे ही वही जमीन 11 माह के लिए महज 50 हजार रुपए के किराए पर दे दी। यह सब काबीना मंत्री गणेश जोशी के सिफारशी पत्र की आड़ में किया गया। बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती है, पालिका प्रशासन ने जमीन कब्जाने के आरोपी का मुकदमा वापस लेने के लिए नैनीताल हाई कोर्ट में अर्जी भी दाखिल कर दी है।
मसूरी नगर पालिका ने वर्ष 1993 में किंक्रेग स्थित पालिका की संपत्ति को रोटरी क्लब को किराए पर दिया था। वर्ष 2007 में क्लब ने नियमों के विपरीत जाकर ओम फिलिंग स्टेशन के संचालक सुनील कुमार गोयल के साथ जमीन के प्रयोग का समझौता कर दिया। जिसके बाद वर्ष 2010 में क्लब के तत्कालीन अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार और सचिव शरद गुप्ता ने भूमि की रजिस्ट्री फाइलिंग स्टेशन संचालक के भाई संजय के नाम कर दी। तहसील सदर की जांच में जब पालिका की भूमि पर फर्जीवाड़ा पाया गया तो एसआइटी भूमि को जांच सौंपी। एसआइटी की संस्तुति के क्रम में तत्कालीन जिलाधिकारी और मंडलायुक्त के निर्देश पर सुनील गोयल समेत चार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया था।

पुलिस मामले में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है और आरोपित जमानत पर हैं। वहीं, नगर पालिका का नया बोर्ड गठित किया गया तो नगर पालिका की भूमि पर कब्जे का नया खेल शुरू कर दिया गया। शासन के आदेश के विपरीत 1884 वर्गफीट सरकारी भूमि को महज 50 हजार रुपए में 11 माह के किराए पर दे दिया। जो 05 हजार रुपये मासिक किराए से भी कम पर है। इसके लिए अधिकारियों ने मसूरी क्षेत्र के विधायक और काबीना मंत्री गणेश जोशी के संस्तुति वाले पत्र की आड़ ली। सिर्फ इतना ही नहीं, पालिका प्रशासन ने मुकदमा वापसी के लिए हाई कोर्ट में याचिका भी दाखिल कर दी है। हालांकि, कोर्ट ने प्रकरण में विस्तृत आपत्ति मांग ली है।
सरकारी जमीनों की लूट रोकने वाला शासनादेश भी नहीं मान रहे
नगर निकायों में सरकारी जमीनों की लूट रोकने के लिए शहरी विकास सचिव नितेश कुमार झा ने नवंबर 2024 में सभी नगर निकायों को सख्त पत्र जारी किया था। जिसमें उन्होंने कहा है कि नगर निकायों के प्रबंधन और स्वामित्व वाली संपत्तियों को किराए/लीज पर बाजार दर से कम दरों पर आवंटित किया जा रहा है। वहीं, जिन संपत्तियों की लीज अवधि समाप्त हो गई है, उन्हें भी शासन की अनुमति के बिना बाजार दर से कम दरों पर आवंटित किया जा रहा है। यह स्थिति ठीक नहीं है। लिहाजा, सभी नगर निकाय 30 अप्रैल 2010 के शासनादेश का संदर्भ ग्रहण करें। जिसके अनुसार लीज का नवीनीकरण शासन की अनुमति के बिना न किया जाए और जो भी संपत्ति किराए पर दी जा रही है, उन्हें बाजार दर से अधिक पर किराए पर दिया जाए।