वीडियो: गैरसैंण पर आग-बबूला हुए हाई कोर्ट के जस्टिस थपलियाल, कहा उत्तराखंड की पब्लिक क्या बेवकूफ है…
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के वर्ष 2027 में जीतकर आने पर राजधानी गैरसैंण बनाने के बयान पर लिया आड़े हाथ

Amit Bhatt, Dehradun: नैनीताल हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस राकेश थपलियाल की कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग की एक फुटेज सामने आई है। जिसमें वह राजधानी गैरसैंण के मुद्दे पर बेहद तल्ख नजर आ रहे हैं। वह कड़ी टिप्पणी करते हुए सवाल कर रहे हैं कि उत्तराखंड की पब्लिक क्या बेवकूफ है? चुनाव जीतने के लिए उन्हें गैरसैंण स्थाई राजधानी का झुनझुना थमाओ और फिर सो जाओ। यह टिप्पणी उन्होंने एक मामले में सुनवाई करते हुए कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ताजा बयान पर की। जिसमें हरदा ने कहा कि अगर वर्ष 2027 में जनता कांग्रेस को सत्ता में लाती है तो वह गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थाई राजधानी घोषित कर देंगे।
गैरसैंण में विधानसभा की 08 हजार करोड़ की संपत्ति, बस अटैची लेकर जाना है
जस्टिस थपलियाल ने राजधानी गैरसैंण को चुनावी लाभ लेने का विषय तक सीमित रखने की मानसिकता पर भी चोट की। उन्होंने कहा कि गैरसैंण में विधानसभा भवन की 08 हजार करोड़ की संपत्ति है। वहां सभी व्यवस्था हैं, बस इन्हें (राजनेताओं को) अटैची लेकर जाना है। जस्टिस थपलियाल ने हरीश रावत के बयान पर सवाल करते हुए कहा कि जब वह सत्ता में थे, तब गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित क्यों नहीं कर दिया?
हिल कैपिटल होता तो बदल जाती पहाड़ की सूरत
विकास में असमानता पर जस्टिस थपलियाल ने कहा कि यदि शुरू से ही यह प्रदेश हिल कैपिटल वाला होता तो पहाड़ की सूरत बदल जाती। गांव-गांव में अस्पताल, स्कूल, बिजली आदि सुविधाएं होती। लेकिन, अफसोस कि विकास का पैमाना बस देहरादून बन गया है। सारा विकास केवल देहरादून में किया जा रहा है।
संपादकीय टिप्पणी
गैरसैंण के मुद्दे पर जस्टिस राकेश थपलियाल की तल्खी महज एक सख्त टिप्पणी नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक दलों की ओछी मानसिकता पर भी करारी चोट है। इस टिप्पणी के बहाने यह बात भी बेपर्दा हो चुकी है कि स्थाई राजधानी गैरसैंण सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दाभर रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि हाई कोर्ट से निकली यह बात राजनीतिक दलों को भीतर तक झकझोरेगी और जनता के भीतर दबी हुई टीस को नई दिशा मिलेगी।