उत्तराखंड के अधिकारी को नहीं आती अंग्रेजी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कोई भाषा नहीं योग्यता का मानक
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अधिकारी के अंग्रेजी न बोल पाने पर योग्यता की जांच के दिए थे आदेश

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है, जिसमें एक अधिकारी के अंग्रेजी न बोल पाने के आधार पर उसकी योग्यता की जांच कराने का निर्देश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि सिर्फ भाषा के आधार पर किसी अधिकारी की क्षमता पर प्रश्न नहीं उठाया जा सकता।
मामला उत्तराखंड के नैनीताल जिले के बुधलाकोट का है, जहां ग्राम पंचायत चुनाव में मतदान के दौरान एक अधिकारी पर यह सवाल उठा कि वह अंग्रेजी नहीं बोल सकता, जबकि पद पर रहते हुए उसे चुनाव संबंधी दस्तावेज अंग्रेजी में पढ़ने और समझने होते हैं। इस आधार पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने यह जांच कराने का आदेश दिया कि क्या अधिकारी अपने पद की जिम्मेदारियों को प्रभावी रूप से निभा सकता है या नहीं।
इस आदेश को चुनौती देते हुए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची। सर्वोच्च न्यायालय ने अंतरिम राहत देते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है।
सरकार का पक्ष
राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि संबंधित अधिकारी अंग्रेजी पढ़ और समझ सकते हैं, केवल बोलने में कठिनाई है, जो उनकी कार्यक्षमता को प्रभावित नहीं करता। ऐसे में उनके खिलाफ इस आधार पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई या जांच उचित नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकारी की कार्यक्षमता का आकलन केवल भाषा के आधार पर नहीं किया जा सकता, खासकर जब वह अंग्रेजी समझने में सक्षम हो और कार्यदायित्वों का निर्वहन सही ढंग से कर रहा हो। अदालत ने यह भी कहा कि यह मसला केवल ग्राम पंचायत चुनाव से जुड़ा है, न कि किसी उच्च प्रशासनिक पद से।
मामले का व्यापक प्रभाव
यह मामला उत्तराखंड सहित देश के अन्य राज्यों में कार्यरत उन अधिकारियों के लिए महत्वपूर्ण बन गया है, जिनकी मातृभाषा हिंदी या कोई अन्य भारतीय भाषा है। यह निर्णय प्रशासनिक सेवाओं में भाषाई विविधता और समावेशिता को लेकर एक अहम नज़ीर साबित हो सकता है।