उत्तराखंड की राजधानी में आपस में कूच-कूच खेल रहे भाजपा और कांग्रेस
दोनों राष्ट्रीय दल अब एक दूसरे के कार्यालयों पर कूच कर प्रदर्शन कर रही हैं, जनता के मुद्दे गौण

Round The Watch, Desk: उत्तराखंड में इन दिनों राजनीतिक दलों ने एक नया ड्रामा शुरू किया है। प्रदेश के विकास और जनता का भला सोचने की तो इनसे उम्मीद भी क्या की जाए, लेकिन दोनों राष्ट्रीय पार्टियां निजी खींचतान में जुटे हैं। देहरादून इन दिनों राजनीतिक दलों के “कूच-युद्ध” का नया अखाड़ा बन गई है। भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों पार्टियां मानो सत्ता की कुर्सी छोड़ बाकी सब भूल चुकी हैं। नतीजा ये कि सड़कें जाम, ट्रैफिक ठप, स्कूली बच्चों की फजीहत और आम जनता हलाकान, लेकिन नेताओं का जोश कम होने का नाम नहीं ले रहा।
चार दिन पहले भाजपा कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस मुख्यालय कूच कर राहुल गांधी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी। शहर की सड़कें घंटों जाम रहीं और माहौल में राजनीतिक “तापमान” तेज़ हो गया। अब बीते बुधवार तीन सितंबर को कांग्रेस ने पलटवार किया और भाजपा प्रदेश कार्यालय का घेराव करने निकल पड़ी। लेकिन पुलिस पहले से ही तैयार थी। भाजपा मुख्यालय से आधा किलोमीटर पहले ही बैरिकेडिंग खड़ी कर दी गई। बलबीर रोड पूरी तरह बंद, आवाजाही ठप। स्कूली बच्चों से लेकर ऑफिस जाने वालों तक सभी को वैकल्पिक रास्तों की तलाश करनी पड़ी। स्थानीय लोगों की नाराजगी भी साफ झलक रही थी।
गोबर-गोमूत्र लेकर भाजपा कार्यालय कूच
महिला सुरक्षा के मुद्दे पर महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदेश अध्यक्ष ज्योति रौतेला के नेतृत्व में भाजपा कार्यालय की ओर कूच किया। प्रदर्शन में “गोबर के कलश” और “गोमूत्र की शीशियां” लहराते हुए भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी होती रही।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को भाजपा दफ्तर से करीब आधा किलोमीटर दूर ही रोक दिया, लेकिन यहीं से माहौल गरमाने लगा। कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की हुई। इसी दौरान पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत बैरिकेडिंग पर चढ़ गए और पुलिस से तीखी बहस में उलझ गए। आखिरकार पुलिस ने करीब 80 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर पुलिस लाइन भेज दिया, हालांकि थोड़ी देर बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
भाजपा कार्यालय का प्रतीकात्मक “शुद्धिकरण”
महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला ने भाजपा पर तीखा वार करते हुए कहा, “जब ‘नारी 2025 रिपोर्ट’ देहरादून को देश के सबसे असुरक्षित शहरों में गिनाती है और एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं, तब भाजपा सरकार सवालों से क्यों भाग रही है?”
महिला उत्पीड़न कर रहे भाजपा के नेता?
कांग्रेस नेता रंजीत रावत ने भी भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए, “प्रदेश में जितने भी महिला उत्पीड़न के मामले हो रहे हैं, उनमें भाजपा के मंत्री, विधायक और कार्यकर्ता शामिल हैं। भाजपा को अपने दामन पर लगे दाग छुपाने के बजाय जवाब देना चाहिए।”
हरक सिंह रावत का हल्लाबोल
पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने पुलिस से झड़प के बाद मीडिया से कहा, “भाजपा सरकार महिलाओं के प्रति पूरी तरह असंवेदनशील है। दुष्कर्म और उत्पीड़न के मामलों में भाजपा के बड़े-बड़े नेता लिप्त हैं, लेकिन सरकार अपनी पीठ थपथपाने में व्यस्त है।”
प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर निशाना साधा, “महिलाओं के खिलाफ रोजाना घटनाएं हो रही हैं, लेकिन ‘धाकड़’ धामी का अंदाज इन मामलों में कहीं नजर नहीं आता।”
आम जनता का दर्द, नेताओं की राजनीति
जहां एक ओर भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, वहीं देहरादून की जनता ट्रैफिक जाम, धक्कामुक्की और अफरातफरी के बीच पिस रही है। शहरवासी पूछ रहे हैं कि महिला सुरक्षा, बेरोजगारी और आपदा प्रबंधन जैसे अहम मुद्दों पर बहस कब होगी?
फिलहाल, देहरादून की सड़कों पर सियासी ‘कूच-युद्ध’ जारी है… और जनता को इंतजार है उस दिन का, जब सड़कें फिर से आम लोगों के लिए खुली होंगी, न कि राजनीतिक प्रदर्शन के लिए।




