दून को महिलाओं के लिए असुरक्षित बताने वाली कंपनी पर शिकंजा, महिला आयोग में हुई पेशी
महिला आयोग अध्यक्ष कंडवाल ने सर्वे कंपनी पीवैल्यू एनालिटिक्स के एमडी को पेश होने के लिए कहा

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड राज्य महिला आयोग ने राजधानी देहरादून को महिलाओं के लिए असुरक्षित करार देने वाली राष्ट्रीय वार्षिक रिपोर्ट एवं सूचकांक (नारी) 2025 को लेकर सख्त कदम बढ़ाया है। आयोग ने रिपोर्ट जारी करने वाली पीवैल्यू एनालिटिक्स कंपनी को कठघरे में खड़ा करते हुए समूचे दस्तावेजों के साथ अगली सुनवाई में कंपनी के प्रबंध निदेशक और पूरी रिसर्च टीम की अनिवार्य उपस्थिति के आदेश दिए हैं।
सोमवार को महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल की अध्यक्षता में हुई सुनवाई में कंपनी की ओर से प्रतिनिधि मयंक ढैय्या उपस्थित रहे। लेकिन आयोग द्वारा पूछे गए सवालों पर वह कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए। मयंक ढैय्या ने आयोग से क्षमा मांगते हुए दलील दी कि यह रिपोर्ट केवल “एकेडमिक रिसर्च” का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य किसी शहर की छवि खराब करना नहीं था।
हालांकि, आयोग उनकी दलीलों से संतुष्ट नहीं हुआ। अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि—“कंपनी के प्रतिनिधि के पास बुनियादी जानकारी का अभाव है। यह बेहद गंभीर और संदेहास्पद स्थिति है। यदि रिपोर्ट के पीछे ठोस आधार नहीं है तो यह केवल धारणा-आधारित आंकड़े हैं, जिनसे समाज और महिलाओं की सुरक्षा की वास्तविक तस्वीर को गुमराह किया जा रहा है।” क्योंकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि देहरादून देश के सर्वाधिक 10 असुरक्षित शहरों में शामिल है।
एक सप्ताह में सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने के आदेश
आयोग ने कंपनी को सख्त निर्देश दिए हैं कि: अगली सुनवाई 15 सितंबर 2025 को प्रबंध निदेशक एवं प्रमुख/सहायक अन्वेषक की उपस्थिति अनिवार्य होगी। रिसर्च और सर्वे से संबंधित सभी दस्तावेज, सर्वे प्रश्नावली, प्रक्रिया, और मीटिंग की मिनट्स रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर आयोग को उपलब्ध कराई जाए।
सर्वे पर उठे गंभीर सवाल, स्पष्ट ब्यौरा नहीं
आयोग की जांच में रिपोर्ट और इंडेक्स को लेकर कई खामियां सामने आई हैं। किन महिलाओं से सर्वे किया गया–वर्किंग वूमेन या गृहिणी–इसका कोई स्पष्ट ब्योरा नहीं है। टेलीफोनिक सर्वे में पूछे गए सवाल सार्वजनिक नहीं किए गए। एकेडमिक रिसर्च के मानकों और पारदर्शिता की घोर कमी भी पाई गई।
अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने चेतावनी दी कि—“यदि कंपनी संतोषजनक स्पष्टीकरण और प्रमाण प्रस्तुत करने में विफल रहती है, तो आयोग आवश्यक कानूनी कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगा।” इस तरह किसी भी कंपनी को अपने लाभ के लिए किसी शहर की छवि खराब करने नहीं दी जाएगी। उन्होंने साफ किया कि देहरादून में कानून व्यवस्था महिलाओं की सुरक्षा के लिए तमाम प्रयास कर रही है।