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मशहूर भोजपुरी गायिका ‘देवी’ बनीं बिन ब्याही मां, ऋषिकेश में स्पर्म बैंक से कराया गर्भधारण

ऋषिकेश एम्स में जर्मनी की आधुनिक चिकित्सकीय पद्धति से दिया बच्चे को जन्म

Round The Watch Desk, Dehradun: भोजपुरी गायिका देवी एक बार फिर चर्चा में हैं। अपनी मधुर आवाज और सभ्य गीतों के लिए जानी जाने वाली देवी अब एक नए कारण से सुर्खियों में हैं। अविवाहित रहते हुए सिंगल मदर बनने का साहसिक फैसला लेकर उन्होंने समाज की रूढ़िवादी सोच को चुनौती दी है।

बीते मंगलवार को एम्स ऋषिकेश में देवी ने आधुनिक चिकित्सकीय पद्धति से बच्चे को जन्म दिया। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, देवी ने जर्मनी में स्पर्म बैंक पद्धति के जरिए गर्भधारण किया था। सर्जरी के बाद मां और बच्चा दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं। बच्चे के जन्म के कुछ घंटे बाद ही देवी ने अपने नन्हे मेहमान की तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा कर प्रशंसकों के साथ इस खुशी का इज़हार किया।

देवी और विवादों का रिश्ता

देवी पहले भी कई बार सुर्खियों में रही हैं। वर्ष 2024 में पटना स्थित बापू सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मंच से “रघुपति राघव राजा राम, ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम” भजन गाया था। इस पर भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आपत्ति जताई और मंच पर हंगामा कर दिया था। देवी ने बाद में दावा किया था कि उन्हें धमकियां भी मिल रही हैं।

अश्लीलता के खिलाफ आवाज

बिहार के छपरा जिले की रहने वाली देवी भोजपुरी संगीत जगत में अपने संस्कारिक गीतों के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने हमेशा भोजपुरी गानों में बढ़ती अश्लीलता का खुलकर विरोध किया है। देवी सिर्फ भोजपुरी ही नहीं, बल्कि हिंदी, मैथिली और मगही में भी गाती हैं।

देवी के हिट गाने

देवी के कई गाने दर्शकों की जुबान पर चढ़े।

“पिया गईले कलकतवा ए सजनी…”

“कुएं का ठंडा पानी…”

“परवल बेचे जाईब भागलपुर…”

“ओ गोरी चोरी-चोरी…”

“पिया बंसिया बजावे आधी रतिया…

इन गीतों ने न सिर्फ भोजपुरी संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि देवी को लाखों श्रोताओं के दिलों में खास जगह दिलाई।

ऋषिकेश से खास लगाव

देवी का ऋषिकेश से भी खास लगाव है। कोविड काल के दौरान उन्होंने यहां लंबा समय बिताया और गंगा तट की शांति का आनंद लिया। वह अक्सर यहां आती रहती हैं और सोशल मीडिया पर ऋषिकेश की खूबसूरत तस्वीरें साझा करती रही हैं।

देवी का यह कदम न केवल साहसिक है, बल्कि उन महिलाओं के लिए भी प्रेरणा है जो समाज की परंपरागत सोच से बाहर निकलकर अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना चाहती हैं।

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