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01 लाख के वेतन पर 06 माह का अनुभव! समाज कल्याण की भर्ती पर सवाल

राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने किया समाज कल्याण विभाग की भर्ती प्रक्रिया को कठघरे में खड़ा

Round The Watch News (Uttarakhand): समाज कल्याण विभाग में कोऑर्डिनेटर पद पर भर्ती की प्रक्रिया को लेकर राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। सेमवाल ने इस विज्ञप्ति को न केवल संदिग्ध बताया, बल्कि इसे उत्तराखंड के युवाओं के साथ खुला अन्याय करार दिया।

 

सेमवाल ने कहा कि विभाग की ओर से निकाले गए भर्ती के विज्ञापन में महज 30 वर्ष की न्यूनतम आयु सीमा और सिर्फ 6 माह के अनुभव की शर्त रखी गई है, जबकि वेतनमान सीधा 1 लाख रुपये प्रतिमाह तय किया गया है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि क्या विभाग इतने बड़े पैकेज पर सिर्फ छह माह का अनुभव रखने वाले कच्चे हाथों को मौका देकर जिम्मेदारी सौंपना चाहता है?

उन्होंने कहा कि यदि वास्तव में विभाग को योग्य और परिपक्व उम्मीदवार चाहिए थे तो आयु सीमा 40–45 वर्ष तक रखी जानी चाहिए थी और न्यूनतम 5–6 साल का अनुभव मांगा जाना चाहिए था। इससे यह सुनिश्चित होता कि 1 लाख रुपये मासिक वेतन वाले पद पर अनुभवी, सक्षम और जिम्मेदार हाथ मिल पाते।

उत्तराखंड के युवाओं से भेदभाव क्यों
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी अध्यक्ष ने इस भर्ती की एक और शर्त को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि विभाग ने देश के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों से पढ़ाई करने वालों को ही आवेदन का पात्र माना है। इस शर्त का सीधा मतलब यह है कि उत्तराखंड की विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों से पढ़ाई करने वाले अभ्यर्थियों को दरकिनार कर दिया जाएगा।

आरआरपी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने तल्ख शब्दों में कहा कि यह राज्य के युवाओं की प्रतिभा और शिक्षा को अपमानित करने वाली शर्त है। जाहिर है कि इस तरह की नियमावली बनाकर विभाग खास वर्ग या चहेते लोगों को उपकृत करने की कोशिश कर रहा है।

सचिव और निदेशक से भी की आपत्ति दर्ज
सेमवाल ने बताया कि इस मामले को लेकर उन्होंने समाज कल्याण विभाग के सचिव श्रीधर बाबू अदांकी से बात की है और लिखित आपत्ति भी दर्ज कराई है। अदांकी ने भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा करने और इसे रोकने का आश्वासन दिया है। इसके साथ ही, उन्होंने समाज कल्याण निदेशक चंद्र सिंह धर्म सत्तू के सामने भी अपनी आपत्ति दर्ज कराई, जिन्होंने भर्ती के परीक्षण की बात कही है।

सरकार की मंशा पर सवाल
शिवप्रसाद सेमवाल ने उत्तराखंड सरकार की नीयत पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह जांच होना जरूरी है कि आखिर इस तरह की भर्तियों की आड़ में कहीं किसी “अपने खास” को उपकृत करने की साजिश तो नहीं रची जा रही।

“सरकार को स्पष्ट करना होगा कि समाज कल्याण जैसे संवेदनशील विभाग में इतने बड़े पैकेज पर नियुक्ति के लिए इस तरह की संदिग्ध शर्तें क्यों रखी गईं। यदि यह प्रक्रिया तत्काल नहीं रोकी गई तो राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी सड़क से सदन तक आंदोलन करेगी।”

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