DehradunEducationUttarakhand

शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार से तंग अफसर ने दिया इस्तीफा, मंत्री बेखबर और सचिव को भेजा त्याग पत्र

टिहरी के मुख्य शिक्षा अधिकारी एसपी सेमवाल ने 08 माह तक अपर निदेशक पद पर पदोन्नति के इंतजार के बाद दिया इस्तीफा, विभाग और मंत्री के भविष्य पर भारी पड़ सकता है यह कदम

Amit Bhatt, Dehradun: यह बहुत बड़ी बात है कि एक सरकारी अफसर सिर्फ इसलिए अपने पद से त्याग पत्र दे रहा है कि विभाग उनके वाजिब प्रमोशन को देने तक में असमर्थ है। यह उसी शिक्षा विभाग का हाल है, जहां तमाम अफसर समय से पहले प्रभारी व्यवस्था पर उच्च पद पर आसीन करा दिए गए थे। लेकिन, जब ईमानदार अफसर को प्रमोशन देने की बारी आई तो उन्हें 08 माह से टहलाया जा रहा है। आखिर, ईमानदारी की एक गरिमा और सीमा होती है। जब यह पार हुई तो उस अफसर ने अपनी सेवा से त्याग पत्र देना ही उचित समझा। बात हो रही है, टिहरी के मुख्य शिक्षा अधिकारी एसपी सेमवाल की। जिन्होंने विभाग की भ्रष्ट व्यवस्था से तंग आकर शिक्षा सचिव रविनाथ रमन को अपना इस्तीफा भेज दिया है। हालांकि, रेड टेपिज्म के आरोप के चलते यह इस्तीफा भी सरकार के गले की फांस बनने वाला है। क्योंकि, इस तरह के मामलों के निस्तारण के बिना आप इस्तीफा भी स्वीकार नहीं कर सकते।


टिहरी के मुख्य शिक्षा अधिकारी एसपी सेमवाल का त्याग पत्र।

अब आपको लगभग हू-ब-हू वह इस्तीफा पढ़ाने का प्रयास करेंगे, जिसे टिहरी के मुख्य सचिव एसपी सेमवाल ने मंगलवार 23 सितंबर 2025 को शिक्षा सचिव रविनाथ रमन को भेजा है। सचिव को संबोधित करते हुए कहा गया है कि यह अर्धशासकीय पत्र विनम्रता के साथ आपकी सेवा में स्वयं के राजकीय सेवा से त्याग पत्र के निमित्त प्रेषित है। 27 मार्च 1999 को शैक्षिक प्रशासन में सेवा में योगदान से आरंभ कर अवकाश/सेवा तक संपूर्ण निष्ठा के साथ विभाग, राज्य एवं हितधारकों की सेवा की है तथा शैक्षिक विभाग की सभी योजनाओं एवं नीतियों के क्रियान्वयन एवं नवप्रवर्तन पहल में अपनी भूमिका निभाई है।

बेशक शासकीय आदेशों/प्रदत्त दायित्वों का अनुपालन राज्य के प्रत्येक अधिकारी का नियमित कर्तव्य था, पर उसका उचित सम्मान नहीं मिला। इस संदर्भ में मैं अपने अनुभव एवं अन्य तथ्य निम्नानुसार प्रस्तुत कर रहा हूं। वर्ष 2002 में राज्य के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री ने नवोदय/राजकीय विद्यालय की स्थापना के संबंध में राज्य की राजधानी में प्रथम नवोदय विद्यालय के विचार को अमल में लाने के लिए मुझे नोडल अधिकारी बनाया था।

इसी क्रम में तत्कालीन जिलाधिकारी राधा रतूड़ी (अब मुख्य सचिव पद से रिटायर) ने ननूरखेड़ा में भूमि चिह्नित करने की जानकारी देते हुए आगे की कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया। मैंने भी पूरी लगन से वहां पर भूमि समतलीकरण एवं अन्य कार्यवाही करते हुए 09 नवंबर 2002 को मुख्यमंत्री कर कमलों से राज्य के प्रथम राजकीय/राजीव गांधी नवोदय विद्यालय का शिलान्यास करवा दिया। हालांकि, इस कार्य के लिए स्थानीय निवासियों, ग्राम प्रधान और तत्कालीन श्रम मंत्री हीरा सिंह बिष्ट के कोप का भाजन भी बनना पड़ा था।

आज यहां पर राजीव गांधी नवोदय विद्यालय फूल-फल रहा है। इसी परिसर में 10 वर्षों तक एससीईआरटी का संचालन किया गया और वर्चुअल स्टूडियो भी संचालित किया गया। विभाग के लिए मेरा अथक योगदान नहीं खत्म नहीं होता है। वर्ष 2004 में निदेशक, विद्यालयी शिक्षा एसके माहेश्वरी ने मुझे शिक्षा अधिनियम एवं विभिन्न कार्यों की सेवाओं हेतु नवीन ड्राफ्ट तैयार करने को संयोजक नियुक्त किया।

उत्तर प्रदेश में लागू इंटरमीडिएट एक्ट–1921 तथा बेसिक शिक्षा अधिनियम–1972 को एकीकृत कर उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा अधिनियम भी तैयार किया। शिक्षकों एवं अन्य कार्मिक संवर्गों की सेवा के संबंध में 300 के लगभग न्यायालय वाद एवं उनमें दिए गए निर्णयों का अध्ययन करते हुए मिनिस्टीरयल संवर्ग, प्रारंभिक शिक्षा सेवा नियम, प्रशिक्षित स्नातक सेवा नियम, निरीक्षक सेवा नियम और प्रधानाध्यापक से लेकर निदेशक स्तर तक के लिए सेवा नियमों का ड्राफ्ट तैयार किया।

इसी आधार पर उत्तर प्रदेश में लागू बेसिक शिक्षा परिषद को भंग कर प्रारंभिक शिक्षा का राजकीयकरण किया गया। अनुसचिव उत्तराखंड शासन एवं महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा के माध्यम से आपकी सेवा से प्रेषित 03 बिंदुओं का उल्लेख केवल इस उद्देश्य से किया जा रहा है कि फरवरी 2025 में घोषित रिक्तियों के साथ ही अर्हता होने के बावजूद 08 माह से अपर निदेशक पद पर पदोन्नति की प्रतीक्षा हताशा में बदल गई है। न ही इस विलंब के लिए सूचित कर कोई ठोस कारण बताया गया है। लिहाजा, ऐसी स्थिति में मुझे शासकीय कार्यों से मुक्त करने की कृपा करें। यह उस विभाग का हाल है, जहां कई अफसर प्रभारी व्यवस्था पर ही पदोन्नति के पद पर आसीन हो जाते हैं। ऐसे भी अफसर हैं, जो वाजिब ट्रांसफर के आवेदन पर कार्रवाई की जगह फाइल दबाने में महारत हासिल कर चुके हैं। ऐसे अफसर आज भी इसी विभाग में फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button