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कौन हैं पेपर लीक की आरोपी सुमन, इतिहास की हैं शिक्षिका, प्रदेश के भविष्य से छेड़छाड़ में कैसे घिरीं?

वर्ष 2020 में बनीं असिस्टेंट प्रोफेसर, चकराता क्षेत्र की हैं रहने वाली, पुलिस बांच रही पूरी कुंडली

Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में हरिद्वार के सेंटर में नकल कराने/पीपर लीक मामले में घेरे में आईं टिहरी की असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को लेकर बहुत सवाल सामने आ रहे हैं। जैसे कि सुमन कौन हैं, वह पेपर लीक से जुड़े परीक्षा केंद्र में अभर्थी बनकर परीक्षा दे रहे खालिद मलिक के संपर्क में कैसे आईं और सुमन की वास्तविक पृष्ठभूमि क्या है। क्योंकि, पुलिस के प्रेसनोट में भी पेपर लीक की आरोपी को सिर्फ सुमन नाम से ही संबोधित किया जा रहा है।

 

तो आपको बता दें कि प्राप्त जानकारी के अनुसार पेपर लीक की आरोपी का पूरा नाम सुमन चौहान है। वह ससुराल से चकराता क्षेत्र से ताल्लुक रखती हैं और वैसे ऋषिकेश की रहने वाली हैं। वर्ष 2018 में ऋषिकेश नगर निगम में कर निरीक्षक के पद पर तैनात रहीं। वर्ष 2020 में वह असिस्टेंट प्रोफेसर बनी बनीं और वर्तमान में वह प्रताप नगर टिहरी में डिग्री कॉलेज अमरोडा में तैनात है। उन्हें इतिहास की शिक्षक बताया जा रहा है।

 

सुमन के पति प्रताप नगर के ही पास लंबगांव क्षेत्र में खाद्य निरीक्षक पद पर तैनात हैं। भर्ती परीक्षा शुरू होने के महज 35 मिनट के भीतर जब हरिद्वार के बहादराबाद के परीक्षा केंद्र (आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज) से पेपर के तीन पन्ने और उनमें दर्ज सवालों के हस्तलिखित जवाब बाहर आकर वायरल हुए तो एक नाम भी तेजी से जांच एजेंसियों की जुबां पर तैरने लगा था। वह था असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन और दूसरे आरोपी खालिद का। इसके आलावा खालिद की बहन साबिया और हिना भी जांच के केंद्र में आ गई। पुलिस ने एक अज्ञात समेत सभी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया है।

फिलहाल, खालिद फरार है और बाकि तीनों आरोपी पुलिस हिरासत में बताए जा रहे हैं। इन सभी में सुमन चौहान का नाम इसलिए भी चर्चा के केंद्र में आया, क्योंकि उसी ने पेपर के सवाल हल किए थे। हालांकि, सुमन को आरोपी बनाने से पहले उसे आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया और पुलिस के बीच बैठाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस का हिस्सा बनाया गया।

फिर अगले ही दिन वह आरोपी भी बन गईं। वह जल्द सरकारी गवाह बन सकती हैं। क्योंकि, उसने जो कहानी पुलिस को बताई है, उसमें कहा गया है कि अनभिज्ञता में उसने सवाल हल किए और उसे खालिद की बहनों को भेज दिया। वह पुलिस के पास जाने की भी सोच रही थीं, लेकिन बेरोजगार संघ के पूर्व अध्यक्ष बॉबी पंवार से बात होने के बाद उसने सवाल और हल किए जवाब उसे ही भेज दिए। इसके बाद मामला तूल पकड़ गया और चारों तरफ परीक्षा की सुचिता पर सवाल खड़े होने लगे।

इसी की परिणीति है कि प्रदेशभर के युवा दून में कल से सड़क पर हैं और आंदोलन की चिंगारी निरंतर ज्वाला का रूप ले रही है। खैर, सुमन के परिचय पर वापस लौटते हैं और बताते हैं कि सुमन को जानने वाले कुछ शिक्षकों के अनुभव को भी शामिल करते हैं। सुमन को जानने वाले कुछ शिक्षकों का कहना है कि वह खुद सकते हैं। कैसे इतिहास की शिक्षका का नाम प्रदेश के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने के मामले में जुड़ गया।

फिलहाल, किसी ने भी सुमन की पृष्ठभूमि को संदिग्ध नहीं बताया है। साथ ही यह भी कहा है कि वह किसी के मन में तो नहीं झांक सकते, लेकिन यकीन नहीं हो रहा है कि असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन ऐसे किसी गंभीर मामले में आरोपी बन गई हैं। खैर, सच्चाई क्या है, यह तो पुलिस जांच से ही साफ हो पाएगा। …और वह खालिद के संपर्क में कैसे आईं और उसने भर्ती परीक्षा के सवाल हल क्यों किए, इनके ठोस जवाब भी मिलने अभी बाकी हैं।

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