वीडियो: बेरोजगार युवाओं के आंदोलन को कमजोर करने का आरोप, सरकार के षड्यंत्र रचने का दावा
रातों रात एक नए संगठन को खड़ा कर सरकार के पक्ष में माहौल बनाने का आरोप, बुधवार को आरआरपी समेत विभिन्न संगठनों ने दिया समर्थन

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ियों और पेपर लीक मामले को लेकर सड़कों पर उतरे बेरोजगार युवाओं का आंदोलन लगातार उग्र होता जा रहा है। परेड ग्राउंड में धरने पर बैठे बेरोजगार संघ ने अब सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि आंदोलन को कमजोर करने के लिए षड्यंत्र रचा जा रहा है। उधर, पेपर लीक के खिलाफ संघर्ष कर रहे बेरोजगारों के समर्थन में राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईस्टवाल के नेतृत्व में हर तरह के सहयोग का आश्वासन दिया। इस अवसर पर राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय डोभाल, प्रचार सचिव विनोद कोठियाल, वन एवं पर्यावरण प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश ईस्टवाल, वरिष्ठ पदाधिकारी नवीन पंत, रजनी कुकरेती, जिला महामंत्री दयानंद मनोरी, कार्यालय प्रभारी सुभाष नौटियाल, सुरेंद्र चौहान आदि तमाम पदाधिकारी और अन्य कार्यकर्ता शामिल थे।
मंगलवार देर रात बेरोजगार संघ के पूर्व अध्यक्ष व संरक्षक बॉबी पंवार ने परेड मैदान के बाहर सड़क पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि सरकार की शह पर कुछ छात्रों को जबरन प्रदर्शन कराने लाया गया। उन्होंने कहा कि उनका प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिला था, लेकिन ठोस आश्वासन न मिलने पर आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया गया। इसके बाद, सरकार ने रणनीति के तहत रुड़की और हरिद्वार से कॉलेज व इंस्टीट्यूट के स्नातक प्रथम व द्वितीय वर्ष के छात्रों को पांच बसों में भरकर देहरादून बुलाया। इन छात्रों से परीक्षा को नकलविहीन बताने और परीक्षा रद्द न करने की मांग कराने का दबाव बनाया गया।
बॉबी पंवार का दावा है कि जब ये छात्र शाम को हरिद्वार लौट रहे थे तो बेरोजगार संघ के सदस्यों ने नेपाली फार्म पर उनकी बसों को रोका और पूछताछ की। छात्रों ने स्वीकार किया कि उन्हें शैक्षणिक भ्रमण के बहाने देहरादून लाया गया था और मजबूरन प्रदर्शन में शामिल होना पड़ा। बेरोजगार संघ ने इसके वीडियो सबूत होने की भी बात कही है।
इसी बीच, सचिवालय में एक अन्य प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री के सचिव शैलेष बगोली से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। इशांत रौथाण के नेतृत्व में पहुंचे इस समूह ने दावा किया कि यूकेएसएसएससी की स्नातक स्तरीय परीक्षा पूरी तरह निष्पक्ष व पारदर्शी रही। उनका कहना था कि परीक्षा के दौरान किसी प्रकार की धांधली नहीं हुई और प्रश्नपत्र की कुछ तस्वीरें वायरल होने से केवल भ्रम की स्थिति बनी। उन्होंने मांग की कि परीक्षा को निरस्त न किया जाए और जल्द से जल्द परिणाम जारी हों, ताकि मेहनती अभ्यर्थियों का भविष्य सुरक्षित रह सके।
बेरोजगार संघ ने इस संगठन पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सरकार द्वारा खड़ा किया गया एक “फर्जी संगठन” है, जिसका उद्देश्य आमजन को गुमराह करना और असली आंदोलन को कमजोर करना है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम कंडवाल ने साफ चेतावनी दी कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।
बेरोजगार संघ की मुख्य मांगें
- सभी भर्ती परीक्षाओं की सीबीआई जांच हो
- हाल ही में हुई स्नातक स्तरीय परीक्षा तत्काल निरस्त की जाए
- एक माह में नई परीक्षा कराई जाए
- यूकेएसएसएससी अध्यक्ष जी.एस. मर्तोलिया को हटाया जाए
- आरक्षी भर्ती नियमावली में तत्काल संशोधन किया जाए
धरना स्थल पर संघ के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि युवाओं पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं, जबकि असली गड़बड़ी करने वालों को संरक्षण मिल रहा है। महासचिव संजेंद्र कठैत, उपाध्यक्ष सुरेश सिंह, जसपाल चौहान, विशाल चौहान, बिट्टू वर्मा और अखिल तोमर समेत बड़ी संख्या में युवा सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे।
नतीजा यह कि एक ओर बेरोजगार संघ भर्ती परीक्षाओं को लेकर सरकार पर दबाव बनाए हुए है, वहीं दूसरी ओर विरोधी सुर में खड़ा हुआ संगठन परीक्षा को पारदर्शी बताकर परिणाम जारी करने की मांग कर रहा है। इस टकराव ने आंदोलन को और गर्मा दिया है।