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राजपुर हादसे ने हिलाया पुलिस महकमा, सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वाले पुलिसकर्मी भी कार्रवाई की जद में

एसएसपी ने कहा, उच्चाधिकारियों के फैसले पर सवाल उठाना अनुशासनहीनता

Amit Bhatt, Dehradun: राजपुर के थानाध्यक्ष (अब निलंबित) शैंकी कुमार के मामले में पुलिस के उच्चाधिकारियों को त्वरित कार्रवाई पर सवाल उठा रहे/टिप्पणी कर रहे पुलिस कर्मी भी रडार पर हैं। क्योंकि, जिस तरह नशे में धुत्त हालत के बाद शैंकी ने देर रात कई वाहनों को टक्कर मार दी और पब्लिक भड़क उठी, इसे शांत करने के लिए ऐसे ही त्वरित कदमों की जरूरत होती है। एसएसपी अजय सिंह ने इस मामले में स्पष्ट कर दिया कि पुलिस कर्मी भी मनमानी करेंगे तो बख्शे नहीं जाएंगे। हालांकि, पुलिस अधिकारियों को इस बात की जानकारी मिली कि कुछ पुलिस कार्मिक सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे शैंकी के वीडियो को लेकर खुलेआम टिप्पणी कर रहे हैं या राय दे रहे हैं। जिससे स्थिति फिर से पेचीदा होने लगी।

क्योंकि, राजपुर क्षेत्र में हुई सड़क दुर्घटना के बाद ऐसी स्थिति पुलिस महकमे की साख पर फिर से सवाल खड़े करती दिखती है। कुछ पुलिसकर्मी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ही उच्चाधिकारियों के फैसलों पर सवाल उठाने और अपनी राय देने लगे हैं। एसएसपी अजय सिंह ने इसे अनुशासनहीनता करार देते हुए साफ चेतावनी दी है कि ऐसे किसी भी कमेंट को आचरण नियमावली और सोशल मीडिया पॉलिसी का खुला उल्लंघन माना जाएगा।

बख्शे नहीं जाएंगे कमेंट करने वाले
एसएसपी देहरादून ने सभी थाना व शाखा प्रभारियों को कड़े शब्दों में निर्देश दिए कि वे अधीनस्थों को आगाह कर दें कि किसी भी सरकारी आदेश या निर्णय पर सोशल मीडिया पर उंगली उठाना भारी पड़ेगा। उन्होंने दो टूक कहा कि नियम तोड़ने वालों को सीधे अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना होगा।

पुलिस की छवि पर गहरा सवाल
राजपुर दुर्घटना से जुड़े घटनाक्रम ने पहले ही महकमे की छवि पर दाग लगा दिया है और अब सोशल मीडिया पर खुद पुलिसकर्मियों की टिप्पणियों ने यह साबित कर दिया है कि अनुशासन की कसौटी पर भी पुलिस को कड़ा इम्तिहान देना पड़ रहा है।

थानाध्यक्ष पर केस, जांच सीनियर इंस्पेक्टर को
एसएसपी देहरादून ने इस प्रकरण में सख्त रुख अपनाते हुए तत्कालीन थानाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा संख्या 192/25, धारा 281 और 324(4) बीएनएस के तहत केस दर्ज कराया है। जांच एक वरिष्ठ इंस्पेक्टर को सौंपी गई है ताकि कार्रवाई पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष रहे।

मेडिकल और एफएसएल जांच
संवेदनशील मामले को देखते हुए आरोपी थानाध्यक्ष का मेडिकल परीक्षण कराया गया और उनके ब्लड सैंपल भी लिए गए हैं। इन्हें अब फॉरेंसिक साइंस लैब भेजा जाएगा ताकि किसी भी तरह की संभावना पर पूरी तरह से पर्दा हट सके।

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