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छलका प्रधानाध्यापिका का दर्द, बताया छात्र क्यों ढो रहे थे बजरी, लगाए गंभीर आरोप

राजकीय प्राथमिक विद्यालय बंजारावाला की प्रधानाध्यापिका अंजू को निलंबित किए जाने के बाद उन्होंने मीडिया को जारी की दर्दभरी चिट्ठी

Amit Bhatt, Dehradun: सोमवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल होता है। जिसमें देहरादून के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बांध विस्थापित बंजारावाला के कुछ छात्र सिर पर बजरी ढोते हुए नजर आर रहे हैं। यह वीडियो यह कहकर वायरल किया गया कि छात्रों से मजदूरी कराई जा रही है। वीडियो के सार्वजानिक होते ही शिक्षा विभाग ने इसका संज्ञान लिया और जिला शिक्षा अधिकारी ने विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका अंजू मनादुली को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इस कार्रवाई और घटना को बयां करने के तरीके से प्रधानाध्यापिका बेहद आहत हैं।

प्रधानाध्यापिका (अब निलंबित) अंजू मनादुली ने मीडिया को एक दर्दभरी चिट्ठी जारी की है। जिसमें उन्होंने कहा है कि छात्रों से स्वेच्छा से भोजनावकाश के दौरान यह कार्य किया। इसकी जानकारी उन्हें थी ही नहीं। दरअसल, स्कूल के मुख्य द्वार के पास कक्षा तक पहुंचने वाले मार्ग पर बारिश के कारण कीचड़ की स्थिति है। छात्र और शिक्षक भी यहां फिसल चुके हैं।

छात्रों ने इस भाग पर स्कूल में पड़ी बजरी/रेत आदि को भरने का पहले भी आग्रह किया था, लेकिन उन्हें मना कर दिया गया था। लेकिन, सोमवार को छात्रों ने अचानक यह बीड़ा उठाया स्कूल में चल रहे रेन वाटर हार्वेस्टिंग के कार्य में जुटे श्रमिकों के तसले उठा लिए। छात्रों ने सेवाभाव के तहत कीचड़ वाले भाग पर बजरी भरने का काम किया। उनकी मंशा थी कि के सहयोग से प्रधानाध्यापिका खुश हो जाएंगी। लेकिन, इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से दुष्प्रचारित किया गया।

प्रधानाध्यापिका अंजू ने आरोप लगाया कि स्कूल के विपरीत भाग पर निवास करने वाले वीरेंद्र डंगवाल नाम का व्यक्ति उन्हें आए दिन परेशान करता है। उसे इस बात से चिढ़ है कि यहां गरीब परिवारों के बच्चे और मुस्लिम समुदाय के छात्र क्यों पढ़ते हैं। वह असहाय परिवारों और अन्य समुदाय के बच्चों के दाखिले को माहौल खराब करने वाला बताते हैं।

प्रधानाध्यापिका का यह भी आरोप है कि स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को लेकर वह पूर्व में भी धमकी दे चुके हैं। जब तीन वर्षों की धमकी से उनसे कुछ नहीं हो पाया तो सोमवार को छात्रों का वीडियो गलत मंशा से वायरल कर दिया। उन्होंने छात्रों के स्वैच्छिक कार्य को मजदूरी बताते हुए स्कूल और उनकी व्यक्तिगत छवि को भी धूमिल किया है। शिक्षिका अंजू ने कहा कि 58 वर्ष की आयु में उन पर गलत मंशा के आरोप असहनीय हैं।

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