कार्बेट प्रकरण में बड़ा अपडेट: हाई कोर्ट ने पूर्व निदेशक राहुल के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति पर लगाई रोक
कोर्ट ने सरकार और सीबीआई से जवाब मांगा, अब दिसंबर में होगी सुनवाई

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कार्बेट नेशनल पार्क के पूर्व निदेशक राहुल के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने के राज्य सरकार के निर्णय पर फिलहाल रोक लगा दी है। न्यायालय ने राज्य सरकार और सीबीआई दोनों को 04 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई दिसंबर माह में तय की गई है।
न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की एकलपीठ में बुधवार को यह सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता राहुल की ओर से दलील दी गई कि कालागढ़ टाइगर रिजर्व के पाखरो क्षेत्र में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई से संबंधित प्रकरण में सीबीआई जांच चल रही थी। जांच के बाद एजेंसी ने 4 सितंबर को कुछ अधिकारियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करते हुए मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी, लेकिन तत्कालीन निदेशक राहुल को उसमें शामिल नहीं किया गया था।
हालांकि, राज्य सरकार ने 01 सप्ताह बाद समाचार पत्रों में छपी खबरों के आधार पर उनके खिलाफ भी मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह अनुमति बिना किसी ठोस जांच या सबूत के दी गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले तो सरकार ने जांच की अनुमति देने से इनकार किया, और बाद में मीडिया रिपोर्ट के आधार पर अचानक रुख बदल लिया।
राहुल की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि एक ही प्रकरण में बिना नई जांच के, बार-बार अनुमति देना न्यायिक प्रक्रिया के विरुद्ध है। मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार और सीबीआई से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है और तब तक मुकदमा चलाने की अनुमति पर स्थगन आदेश जारी कर दिया है।
गौरतलब है कि राउंड द वॉच न्यूज पोर्टल ने इस मामले में पहले भी रिपोर्ट किया था कि कार्बेट नेशनल पार्क के पाखरो रेंज में कथित निर्माण और पेड़ कटान को लेकर सीबीआई की जांच जारी है, जिसमें कई अधिकारियों की भूमिका की जांच की जा रही है। यह आदेश उसी प्रकरण में सामने आया है। आगे भी प्रकरण से आपको अपडेट करवाया जाता रहेगा।
अब अदालत के निर्देशों के बाद साफ है कि दिसंबर में होने वाली अगली सुनवाई इस पूरे मामले की दिशा तय कर सकती है। वहीं, कार्बेट टाइगर रिजर्व के तत्कालीन निदेशक राहुल को ईडी से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में क्लीनचिट मिल चुकी है। ईडी को उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले।