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ईगास पर्व पर उत्तरकाशी में झलकी लोकसंस्कृति की अनूठी छटा, जिलाधिकारी बोले-“ईगास हमारी सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक”

पूरे प्रदेश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया ईगास पर्व, बांटी खुशियां

Neeraj Uttarakhandi, Uttarkashi: उत्तराखंड की पारंपरिक लोक अस्मिता का प्रतीक ईगास (बूढ़ी दीपावली) पर्व शुक्रवार को पूरे उत्तरकाशी जनपद में हर्षोल्लास, भक्ति और उत्साह के साथ मनाया गया। जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने कहा कि ईगास हमारी गौरवशाली संस्कृति, परंपरा और आस्था का प्रतीक है, जो हमें अपनी जड़ों और सांस्कृतिक पहचान से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि लोकसंस्कृति के संरक्षण और प्रसार के लिए जिला प्रशासन हरसंभव प्रयास करेगा।

रामलीला मैदान में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में पारंपरिक वेशभूषा में सजे ग्रामीणों और युवाओं ने लोकगीतों की मधुर धुनों पर भैलो नृत्य प्रस्तुत कर सदियों पुरानी लोक परंपरा को जीवंत कर दिया। चीड़ की लकड़ियों और रस्सियों से बनी जलती मशालों की लौ जब ढोल-दमाऊं की थाप के साथ गूंजी, तो पूरा मैदान लोक उल्लास में डूब गया।

ईगास पर्व का शुभारंभ गंगा घाट पर जिलाधिकारी प्रशांत आर्य की उपस्थिति में गंगा आरती और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। राज्य स्थापना की रजत जयंती वर्ष में इस बार गंगा घाट को दीपों से सजाकर भव्य स्वरूप दिया गया। इस दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने पारंपरिक व्यंजनों की सुगंध से पर्व की रौनक और बढ़ा दी।

कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष रमेश चौहान, नगर पालिका अध्यक्ष भूपेन्द्र चौहान, मुख्य विकास अधिकारी जय भारत सिंह, अपर जिलाधिकारी मुक्ता मिश्र, जिला समाज कल्याण अधिकारी सुधीर जोशी सहित बड़ी संख्या में अधिकारी, जनप्रतिनिधि और नागरिकों ने सहभागिता की।

जनप्रतिनिधियों ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को ईगास पर्व की शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह पर्व सामुदायिक एकजुटता, भाईचारा और सांस्कृतिक चेतना को सशक्त बनाता है। देर रात तक पूरे जनपद में पारंपरिक गीत, नृत्य और दीपों की रोशनी से ईगास का उल्लास छाया रहा।

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