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दून के प्रतिष्ठित स्कूल में छात्रा से जुड़ा गंभीर मामला, बाल अधिकार आयोग सख्त

बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने अपनाया गंभीर रुख, एक स्कूल की एनओसी भी निरस्त

Amit Bhatt, Dehradun: देहरादून के एक नामी निजी विद्यालय में शिक्षक के छात्रा की ड्रेस को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी का मामला अब उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के संज्ञान में है। आयोग ने इस प्रकरण को छात्रा की गरिमा और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर विषय मानते हुए कड़ा रुख अपनाया है।

डॉ गीता खन्ना, अध्यक्ष, उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग।

आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना की अध्यक्षता में निजी विद्यालयों से संबंधित कई मामलों की सुनवाई की गई। इस दौरान साफ कहा गया कि बाल अधिकारों, शिक्षा की निरंतरता और संस्थानों की वैधानिक प्रक्रिया से किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा। नियमों की अनदेखी करने वाले स्कूलों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

छात्रा पर शिक्षक की टिप्पणी, शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
कान्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी (सीजेएम) स्कूल की एक छात्रा ने शिकायत दर्ज कराई थी कि एक शिक्षक ने उसकी ड्रेस को लेकर अभद्र टिप्पणी की। छात्रा ने जब इस व्यवहार की शिकायत विद्यालय की प्रधानाचार्य से की, तो शिक्षक पर कार्रवाई करने के बजाय मामले को दबाने का प्रयास किया गया। इससे छात्रा मानसिक तनाव में चली गई। आयोग ने स्कूल प्रशासन को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए थे, लेकिन सुनवाई के दौरान विद्यालय का कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं हुआ। इसे गंभीरता से लेते हुए आयोग ने आगामी 17 जनवरी को खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) कार्यालय से संबंधित अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के आदेश दिए हैं। चूंकि पीड़ित छात्रा की 12वीं की बोर्ड परीक्षा नजदीक है, इसलिए उसकी पढ़ाई प्रभावित न हो, इस उद्देश्य से आयोग ने उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई से जोड़ने के निर्देश दिए हैं।

बिना पंजीकरण दाखिलों पर लूसेंट स्कूल की एनओसी समाप्त
लूसेंट विद्यालय का मामला भी आयोग के सामने आया, जहां पूर्व वर्षों में बिना पंजीकरण छात्रों को प्रवेश देने की बात सामने आई। हालांकि उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से कुछ छात्रों को परीक्षा की अनुमति मिली थी, लेकिन इसके बाद भी विद्यालय प्रबंधन ने शिक्षा विभाग के नोटिसों का जवाब नहीं दिया। शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने विद्यालय की एनओसी रद्द करने के आदेश दिए।

साथ ही बीईओ को निर्देश दिए गए कि विद्यालय परिसर के बाहर सूचना बोर्ड लगाया जाए, ताकि अभिभावकों को वास्तविक स्थिति की जानकारी मिल सके। वहीं, ब्राइटलैंड्स स्कूल से जुड़े एक मामले में छात्र का जबरन स्थानांतरण प्रमाण पत्र (टीसी) जारी करने और शुल्क वापसी से संबंधित आयोग के आदेशों का पालन न करने का मामला सामने आया था। हालांकि, बाद में विद्यालय ने अपनी गलती स्वीकार कर सुधारात्मक कदम उठाए, जिसके बाद आयोग ने संतोष व्यक्त किया।

दूसरी तरफ कैम्ब्रियन हॉल स्कूल की सुनवाई में सामने आया कि विद्यालय बिना वैध लीज़ के संचालित हो रहा है और संबंधित सोसायटी का पंजीकरण भी लंबित है। आयोग ने शिक्षा विभाग से यह स्पष्ट करने को कहा कि भूमि की वैधता और पंजीकरण की जांच किए बिना एनओसी कैसे जारी की गई। इसी तरह मदरसा जामिया इस्ताफ़तिमातुज़्ज़हारा के मामले में प्रबंधन और शिक्षक आवश्यक दस्तावेजों के साथ उपस्थित हुए। कागजात संतोषजनक पाए जाने पर आयोग ने प्रकरण का निस्तारण कर दिया।

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