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बिग ब्रेकिंग: पीसीएस अफसर डीपी सिंह पर ईडी का छापा, उत्तराखंड से उत्तर प्रदेश तक कार्रवाई

शासन के अफसरों में भी हड़कंप, खुल सकती है कारनामों की फाइल

Rajkumar Dhiman, Dehradun: एनएच 74 घोटाले में आरोपी उत्तराखंड सरकार के पीसीएस अफसर डीपी सिंह पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीमें गुरुवार सुबह से ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है। ईडी ने उनके राजपुर रोड स्थित आवास से लेकर उत्तर प्रदेश के बरेली और सीतापुर के आवासीय ठिकानों को कवर किया।

इसके साथ ही ईडी की टीम हरिद्वार में एनएच के एक अफसर और काशीपुर में एक अधिवक्ता के अवसर पर भी कार्रवाई कर रही है। ईडी की इस कार्रवाई से एनएच 74 से जुड़े आरोपियों और अन्य व्यक्तियों में हड़कंप की स्थिति है।

इससे पहले ईडी सितंबर 2014 में डीपी सिंह समेत 08 आरोपियों के विरुद्ध न्यायलय में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। वहीं, अक्टूबर 2024 में कोर्ट भी डीपी को झटका दे चुकी है। करीब 500 करोड़ के इस घोटाले में शासन की अनुशासनिक जांच में डीपी को क्लीनचिट दे दी गई थी।

तब ऊधम सिंह नगर के एडीजी द्वितीय ने सुनवाई जारी रखने को कहा था। यह आदेश डीएम ऊधम सिंह नगर के मुकदमा बंद करने के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के क्रम में।दिए गए थे।

खैर, ईडी की इस कार्रवाई के बाद पूर्व में कार्रवाई की जद में आए अफसर भी सकते में हैं। माना जा रहा है कि ईडी की कार्रवाई का दायरा बढ़ सकता है। ऐसे में कई बड़े अफसरों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

डीपी सिंह सहित 22 पीसीएस अफसरों और कर्मियों की हुई थी गिरफ्तारी
पीसीएस अफसर दिनेश प्रताप सिंह के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी ने एक बार फिर एनएच 74 घोटाला चर्चा में आ गया है। सितारगंज से हरिद्वार तक 252 किमी दूरी के एनएच-74 के निर्माण के लिए वर्ष 2012-13 में प्रक्रिया शुरू की गई थी। यह काम दो हिस्सों में होना था। एक हिस्सा सितारगंज से काशीपुर तो दूसरा हिस्सा काशीपुर से नगीना होते हुये हरिद्वार का था। वर्ष, 2016 में इस घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ था, जब तत्कालीन मंडलायुक्त डी सेंथिल पांडियन ने भूमि अधिग्रहण से संबंधित फाइलें तलब की थीं। कृषि भूमि को गैर कृषि दर्शाकर उनके दाम बढ़ाए गए और भारी भरकम मुआवजा लेकर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया गया।

इस घोटाले में भू-स्वामी किसानों से लेकर सफेदपोश नेता व अधिकारी और बिल्डर तक शामिल थे। मामला उजागर होने के बाद सरकार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाकर जांच कराई। सामने आया कि भूमि अधिग्रहण का यह खेल करीब 211 करोड़ का था। मामले में एसआईटी ने पीसीएस अफसर दिनेश प्रताप सिंह सहित कई अन्य पीसीएस अधिकारियों, तहसीलदार, कर्मचारी, बिचौलिए, किसान सहित 22 लोगों की गिरफ्तारी की थी।

घोटाले में प्रमुख अपडेट
वर्ष 2017
11 मार्च: एडीएम प्रताप शाह की तहरीर पर रुद्रपुर की सिडकुल चौकी में एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, नजीबाबाद और रुद्रपुर एनएचएआई, देहरादून क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी, कर्मचारी, जसपुर, गदरपुर, खटीमा, किच्छा, रुद्रपुर, बाजपुर और सितारगंज के एसडीएम, एसडीएम कार्यालय में तैनात रीडर, पेशकार, तहसीलदार राजस्व निरीक्षक, खतौनी से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज।

12 मार्च: एसएलओ, उनके कार्यालय में तैनात कर्मचारियों का नाम रिपोर्ट में दर्ज।

03 जून: जसपुर से निलंबित पेशकार विकास चौहान की गिरफ्तारी।

7 नवंबर: एसआईटी ने निलंबित एसडीएम भगत सिंह फोनिया, संग्रह अमीन अनिल कुमार, तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार मदन मोहन पलड़िया, रिटायर्ड तहसीलदार भोले लाल, अनुसेवक रामसमुझ, स्टांप वेंडर जीशान और किसान ओमप्रकाश, चरन सिंह को बंदी बनाया गया।

24 नवंबर: घोटाले के मुख्य आरोपी पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह ने एसएसपी के आगे सरेंडर किया, डीपी को जेल भेजा गया।

24 नवंबर: राजस्व अहलमद संजय चौहान, डाटा एंट्री ऑपरेटर अर्पण कुमार गिरफ्तार कर जेल भेजे गए थे।

वर्ष, 2018
14 जनवरी: एसआईटी ने पीसीएस अफसर अनिल शुक्ला, तहसीलदार मोहन सिंह और किसान अमर सिंह को गिरफ्तार किया।

16 जनवरी: सितारगंज से राजस्व अहलमद संतराम गिरफ्तार।

8 फरवरी: एसआईटी ने निलंबित पीसीएस अधिकारी एनएस नगन्याल, चकबंदी अधिकारी अमर सिंह, सहायक चकबंदी अधिकारी गणेश प्रसाद निरंजन को जेल भेजा।

20 मार्च: पुलिस ने गुड़गांव के एक मॉल से एलाइड इंफ्रा की एमडी प्रिया शर्मा और सुधीर चावला को गिरफ्तार किया।

7 जुलाई: बेरीनाग के नायब तहसीलदार रघुवीर सिंह गिरफ्तार कर जेल भेजे गए।
नौ जुलाई: निलंबित पीसीएस अधिकारी तीरथपाल गिरफ्तार कर जेल भेजे गए।

10 जुलाई: एसआईटी ने शासन को जांच रिपोर्ट सौंपी।

11 सिंतबर: शासन ने एसआईटी की जांच आख्या पर आईएएस अफसर डॉ. पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश कुमार यादव को निलंबित कर दिया गया था।

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