दून में संपत्ति गिफ्ट डीड करा अपने ही घर से बेदखल कर रहा था बेटा, डीएम ने सिखाया सबक
डीएम के फैसले से बुजुर्ग दंपति को मिला इंसाफ, वापस कराई गई संपत्ति

Rajkumar Dhiman, Dehradun: उम्र के उस पड़ाव पर जब माता-पिता को अपने बच्चों के सहारे की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है, उसी समय अगर वही संतान उन्हें घर से बाहर का रास्ता दिखा दे, तो इससे बड़ा अन्याय क्या होगा? ऐसा ही एक मार्मिक लेकिन प्रेरणादायक मामला देहरादून में सामने आया, जहां डीएम सविन बंसल के न्यायिक हस्तक्षेप से एक बुजुर्ग दंपति को 3080 वर्ग फीट की संपत्ति पुनः मिल गई।
सरदार परमजीत सिंह और उनकी पत्नी अमरजीत कौर, जिन्होंने अपने बेटे पर भरोसा करते हुए गिफ्ट डीड के ज़रिए उसे अपना बंगला ट्रांसफर कर दिया था, वही बेटा कुछ समय बाद न केवल उन्हें घर से बेदखल करने लगा, बल्कि पोते-पोती से मिलने तक पर रोक लगा दी।
बुजुर्ग दंपति ने पहले तहसील, थाना और निचली अदालतों के चक्कर काटे, लेकिन जब कोई राहत नहीं मिली तो उन्होंने अंततः डीएम न्यायालय की शरण ली।
डीएम बंसल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ नागरिक भरणपोषण एवं कल्याण अधिनियम के तहत विशेष अधिकारों का प्रयोग करते हुए पहली ही सुनवाई में गिफ्ट डीड को शून्य घोषित कर दिया।
डीएम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह सिद्ध हो गया कि गिफ्ट डीड की जिन शर्तों पर संपत्ति बेटे को दी गई थी, उनका घोर उल्लंघन हुआ है। बेटे ने न केवल माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार किया, बल्कि उन्हें मानसिक पीड़ा भी दी।
स्पष्टीकरण का पर्याप्त अवसर देने के बाद, जब यह प्रमाणित हो गया कि बेटे ने अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया और माता-पिता के साथ घोर तिरस्कार का व्यवहार किया, तो डीएम ने गिफ्ट डीड को निरस्त कर संपत्ति पुनः बुजुर्ग दंपति के नाम दर्ज करने का आदेश दिया।
आदेश सुनते ही बुजुर्ग दंपति की आंखों से आंसू छलक पड़े, और न्याय के इस फैसले को उन्होंने अपने जीवन की सबसे बड़ी राहत बताया।