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जैमिनी पैकटेक बिल्डर ने की धोखाधड़ी, रेरा ने 05 लाख का जुर्माना लगाया

रेरा ने सेरेन ग्रींस परियोजना के मामले में जैमिनी पैकटेक प्रा. लि. पर की गई कार्रवाई, मनमानी पर कार्रवाई कर सकेगा एमडीडीए

Rajkumar Dhiman, Dehradun: सेरेन ग्रींस आवासीय परियोजना लंबे समय से विवादों के घेरे में है। परियोजना का निर्माण करने वाली बिल्डर कंपनी जैमिनी पैकटेक प्रा. लि. पर कम चौड़े मार्ग को नक्शे में अधिक चौड़ा दर्शाकर धोखाधड़ी करने, ग्रीन एरिया पर अतिक्रमण करने, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण न करने, चाहरदीवारी की व्यवस्था में मनमाफिक बदलाव करने जैसे तमाम आरोप लगे हैं। यहां तक कि सेरेन ग्रींस की विला परियोजना के निवासियों को धमकाया भी गया है। अब उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) ने विला खरीदारों को धोखे में रखने के मामले में बिल्डर पर 05 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। हालांकि, परियोजना में की गई मनमानी पर कार्रवाई की गेंद मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के पाले में डाल दी गई है। कार्रवाई की दिशा तय करने के लिए यह भी स्पष्ट किया गया है कि बिल्डर ने खरीदारों की सहमति के बिना मनमाफिक बदलाव कर नियमों का उल्लंघन किया है।

रेरा में बिल्डर कंपनी जैमिनी पैकटेक की शिकायत सेरेन ग्रींस परियोजना के विला निवासी अशोक कुमार शर्मा और 15 अन्य निवासियों ने दर्ज कराई। जिसमें कहा गया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 72 के पास बंशीवाला में शिकायतकर्ताओं ने वर्ष 2020 से 2022 के बीच 125 से 149.79 वर्गमीटर के आवासीय प्लाट/डुप्लेक्स/अपार्टमेंट क्रय किए। इस परियोजना के ब्रोशर के अनुसार परियोजना में 1882.05 वर्गमीटर का हरित क्षेत्र (ग्रीन एरिया) तय किया गया था। जिसका उपयोग सामाजिक गतिविधियों, मनोरंजन और मानसिक विश्राम के लिए किया जाना था।

बावजूद इसके बिल्डर ने इस पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण शुरू करा दिया। यह सब परियोजना के लेआउट प्लान और खरीदारों के साथ किए गए वादे के विपरीत है। साथ ही यह अवैध कृत्य एमडीडीए के नियमों के भी विपरीत है। इस बारे में कई बार लिखित और मौखिक भी शिकायत दर्ज कराई गई। लेकिन, बिल्डर ने मनमर्जी जारी रखी। शिकायत में 05 लाख रुपये का मुआवजा मानसिक प्रताड़ना के लिए दिए जाने की मांग भी की गई।

शिकायत पर सुनवाई करते हुए रेरा सदस्य नरेश सी मठपाल ने पाया कि बिल्डर जैमिनी पैकटेक ने सेरेन ग्रींस परियोजना के सटाकर ओकवुड अपार्टमेंट्स परियोजना का पृथक नक्शा पास कराया है और रेरा में रजिस्ट्रेशन भी कराया है। इसके बाद भी इसे पूर्व की परियोजना का अगला चरण बताते हुए निर्माण किया गया है। साथ ही बिल्डर ने तर्क दिया कि यह सब अलग-अलग तीन चरण की परियोजना के निवासियों के लिए शॉपिंग सेंटर के रूप से सुविधा प्रदान करेगा।

बिल्डर ने ब्रोशर को मात्र ग्राफिक्स बताया और किसी भी वादे को खारिज कर दिया। यह पूरी जिम्मेदारी मार्केटिंग टीम पर डाल दी गई। इसके अलावा मार्ग की चौड़ाई महज नक्शे में दर्शाने को भी बेहद हल्के में लिया गया। रेरा सदस्य नरेश सी पाठपाल ने सुनवाई के दौरान पाया कि विला का विक्रय किए जाने के दौरान भी बिल्डर ने फेज एक, दो और तीन का कोई जिक्र नहीं किया। न ही वर्ष 2015 और 2017 में मानचित्र स्वीकृति के दौरान सक्षम प्राधिकारी के समक्ष इसका उल्लेख किया।

ब्रोशर में किए गए वादों को सिर्फ ग्राफिक्स और कल्पना मात्र का तर्क भी खारिज किया गया। इस तरह की बात भी सामने आई कि जब अवैध निर्माण और मार्गों की चौड़ाई में एमडीडीए ने बिल्डर की धोखाधड़ी पकड़ी तो ग्रीन एरिया पर अतिक्रमण कर चौड़ाई बढ़ाने का प्रयास भी किया गया। रेरा सदस्य नरेश सी मठपाल ने कहा कि मानचित्र या परियोजना में बदलाव के लिए दो तिहाई (2/3) खरीदारों से सहमति आवश्यक थी, जो नहीं ली गई है।

जिससे स्पष्ट है कि बिल्डर ने सेरेन ग्रींस परियोजना के विला खरीदारों को धोखे में रखा है। रेरा सदस्य मठपाल ने अपनी टिप्पणी में कहा कि सेरेन ग्रींस परियोजना के मानचित्र (2015/2017) में प्रवेश मार्ग 18 मी. एवं आंतरिक मार्ग 09.00 मी. एवं 07.50 मी. प्रावधानित हैं। इसी प्रकार प्रवेश मार्ग एवं आंतरिक मार्ग से जुड़े हरित क्षेत्र/पार्क का क्षेत्रफल 1746.39 वर्ग मी. प्रदर्शित है।

लेकिन, वर्ष 2022 मे ‘ओकवुड अपार्टमेंट्स परियोजना, जिसका आवागमन मार्ग सीरीन ग्रींस परियोजना के अंतर्गत ही प्रावधानित है, के स्वीकृत मानचित्र मे सेरेन ग्रींस परियोजना का मुख्य मार्ग 18 मी. से परिवर्तित/संकुचित कर 15 मी. किया गया है। इसी प्रकार हरित क्षेत्र से लगे हुए 7.50 मी. के आंतरिक मार्ग को चौड़ीकरण कर 12.00 मी. किया गया है। संबंधित सेरेन ग्रींस परियोजना के हरित क्षेत्र (1746.39 वर्ग मी.) का अतिक्रमण कर किया जाना दृष्टिगत होता है।अतः स्पष्ट है कि ‘सेरेन ग्रींस परियोजना की सामूहिक सुविधाओं में परिवर्तन एवं अतिक्रमण किया गया है, जैसा कि शिकायतकर्तागण द्वारा दावा किया गया है।

लिहाजा, बिल्डर पर 05 लाख का जुर्माना लगते हुए 45 दिन के भीतर इसे अनिवार्य रूप से जमा कराने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही इस तरह के प्रकरणों पर आवश्यक कार्रवाई के लिए आदेश की प्रति जिला विकास प्राधिकरणों के साथ ही सीडा और संबंधित अन्य विभागों को भी जारी की गई है। ताकि वह वर्तमान और भविष्य के लिहाज से बिल्डरों की मनमानी पर आवश्यक कदम उठा सकें।

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