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वीडयो: देहरादून के आंगनबाड़ी केंद्रों में सड़े अंडों की आपूर्ति, बच्चों की सेहत से खिलवाड़!

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर उठाए सवाल, विभाग पर भ्रष्टाचार के आरोप

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड के महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग में लापरवाही और भ्रष्टाचार का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। राजधानी देहरादून के रायपुर क्षेत्र में आंगनबाड़ी केंद्रों को वितरित किए जाने वाले अंडों की खेप सड़ी हुई पाई गई। इनमें कीड़े पड़ गए थे। यह अंडे छोटे बच्चों के पोषण आहार के तहत केंद्रों में भेजे गए थे। जानकारी के अनुसार, अंडों की आपूर्ति का ठेका दूसरे राज्य की एक फर्म को दिया गया था, जिस पर विभागीय अधिकारियों की सांठगांठ और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं।

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का कहना है कि उन्होंने पहले भी घटिया खाद्य सामग्री की शिकायतें की थीं, लेकिन विभाग ने कार्रवाई करने के बजाय मीडिया और सोशल मीडिया पर बयान देने पर रोक लगा दी। वहीं, दीपनगर क्षेत्र के केंद्रों में पहले भी गेहूं और चावल की गुणवत्ता पर सवाल उठ चुके हैं। लगातार मिल रही इन शिकायतों ने विभाग की कार्यप्रणाली और सरकार के “जीरो टॉलरेंस” दावे की सच्चाई पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

उत्तराखंड आंगनबाड़ी कार्यकत्री-सहायिका संगठन की प्रांतीय नेता रेखा नेगी ने सड़े अंडों की आपूर्ति पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “क्या उत्तराखंड में कोई अंडे का सप्लायर नहीं है, जो बाहर की फर्म से घटिया सामान मंगाया जा रहा है?” उन्होंने कहा कि यह मामला बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ और भ्रष्टाचार की मिलीभगत का प्रतीक है।

इस बीच, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के उप निदेशक विक्रम सिंह ने कहा है कि मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं और यदि किसी स्तर पर या अनुबंधित फर्म की ओर से गड़बड़ी पाई गई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

वहीं, जिला कार्यक्रम अधिकारी जितेंद्र सिंह से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने इस आरोप को निराधार बताते हुए कुछ लोगों पर मामले को सनसनीखेज बनाने का आरोप लगाया। साथ ही अंडों की आपूर्ति निदेशालय से होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया। कहा कि अंडों की आपूर्ति को लेकर निदेशालय से जानकारी ली जाए।

राजधानी में ही सड़े अंडे मिलने के इस प्रकरण ने विभाग की कार्यप्रणाली, आपूर्ति तंत्र और जवाबदेही पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि नौनिहालों की सेहत से खुला खिलवाड़ है।

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