Uttarakhand

वन विभाग के दो फॉरेस्ट गार्ड 20 हजार की घूस लेते गिरफ्तार, विजिलेंस की कार्रवाई से हड़कंप

गिरे हुए पेड़ को ले जाने की एवज में मांगे थे 40 हजार, मुख्यमंत्री धामी के सख्त रुख के बाद कार्रवाई तेज

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड में भ्रष्टाचार पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रहार लगातार जारी हैं। ताजा मामले में सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) सेक्टर हल्द्वानी की टीम ने शुक्रवार को वन विभाग के दो कर्मियों को 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया। आरोप है कि दोनों फॉरेस्ट गार्ड ने शिकायतकर्ता से गिरे हुए चीड़ के पेड़ को ले जाने के बदले 40 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी।

गिरफ्तार फॉरेस्ट गार्डों की पहचान दीपक जोशी (पुत्र बसंत बल्लभ जोशी, निवासी ग्राम लटोली, चंपावत) और भुवन चंद्र भट्ट (पुत्र राम दत्त भट्ट, निवासी जूप वार्ड, नियर एमईएस कैंप, चंपावत) के रूप में हुई है।

रिश्वत मांगने का मामला ऐसे खुला

शिकायतकर्ता अपनी गौशाला निर्माण के लिए लकड़ी की व्यवस्था करना चाहता था। जंगल में एक टूटा हुआ चीड़ का पेड़ पहले से गिरा पड़ा था, जिसे वह ले जाना चाहता था। इसी सिलसिले में जब उसने वन विभाग से संपर्क किया, तो आरोपी वनरक्षकों ने उसकी गाड़ी रोककर डराया-धमकाया और पेड़ को ले जाने की अनुमति के बदले 40 हजार रुपये की मांग की। पीड़ित ने इसकी शिकायत विजिलेंस से की। जांच के दौरान विजिलेंस टीम ने दोनों फॉरेस्ट गार्ड को 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ लिया। इसके बाद दोनों को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया।

भ्रष्टाचार पर निगरानी और सख्ती

इस कार्रवाई से यह संदेश गया है कि राज्य सरकार वन विभाग सहित सभी सरकारी तंत्रों में भ्रष्टाचार पर सख्त निगरानी बनाए हुए है। जंगल और वन संसाधन आम जनता की आजीविका से सीधे जुड़े हैं, इसलिए इस तरह की पारदर्शी कार्रवाई बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

उत्तराखंड विजिलेंस की अब तक की बड़ी उपलब्धियां

विजिलेंस विभाग के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2022 से सितंबर 2025 के बीच कुल 9,424 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से 1,421 शिकायतें विजिलेंस प्रकृति की थीं।

इस अवधि में:

62 ट्रैप (घूस पकड़ने) की कार्रवाई की गईं।

92 सरकारी अधिकारी गिरफ्तार हुए — जिनमें 13 गजैटेड और 79 गैर-गजैटेड अधिकारी शामिल हैं।

37 मामलों में मुकदमा चला, और 28 मामलों में दोषसिद्धि हुई — यानी लगभग 71 प्रतिशत की सजा दर दर्ज की गई।

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