मौत से पहले जमा पैसा भी समाज कल्याण विभाग खाते से निकालने पर आमादा, शासनादेश में नहीं प्राविधान
सूचना आयोग पहुंचे इस मामले में आयुक्त योगेश भट्ट ने जताया आश्चर्य, शासनादेश में प्राविधान न होने पर जिले के अफसरों ने कर दी मनमाफिक व्याख्या

Amit Bhatt, Dehradun: जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय देहरादून मृत्यु के बाद जारी पेंशन की राशि तो वापस निकलवा ही रहा है, साथ ही मृत्यु से पहले जो धनराशि लाभार्थी के खाते में जमा थी, उसे भी वापस मांग रहा है। इस अजब-गजब मामले में जब मृतक के पुत्र ने आरटीआई में जानकारी मांगी तो और चौंकाने वाली जानकारी समाने आई। जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल ने जवाब दिया कि मृत्यु से पहले लाभार्थी के खाते में जमा राशि को लेकर शासनादेश में स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है। जिसका मतलब यह हुआ कि अधिकारी अपने मुताबिक शासनादेश की व्याख्या कर रहे हैं। सूचना आयोग पहुंचे इस प्रकरण में राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
यह मामला देहरादून के मेहूंवाला माफी निवासी मेहरबान अली की अपील से जुड़ा है। प्रकरण के अनुसार उनकी मां बतूल बानो को समाज कल्याण विभाग से वृद्धावस्था पेंशन मिलती थी। 24 दिसंबर 2024 को उनकी मृत्यु हो गई थी। जिसके बारे में उन्होंने समाज कल्याण विभाग को भी अवगत करा दिया था। क्योंकि, मृत्यु के बाद उनकी मां के खाते में दो किश्तों में 3000 रुपये की पेंशन जारी की गई थी।
मेहरबान अली इस राशि को वापस करने को भी तैयार थे। लेकिन, समाज कल्याण अधिकारी देहरादून ने फरमान सुना डाला कि लाभार्थी के खाते में मृत्यु से पहले जो 7500 रुपये जमा हैं, उन्हें भी वापस करना पड़ेगा। इस तरह कुल 10 हजार 500 रुपये की वापसी का नोटिस जारी कर दिया गया। विभाग के अटपटे आदेश से खिन्न मेहरबान अली ने आरटीआइ में जानकारी मांगी। विभाग से पूछा कि किस नियम से वह मृत्यु से पहले खाते में जमा धनराशि वापस मांग रहे हैं।
तय समय के भीतर उचित सूचना न मिलने पर यह मामला सूचना आयोग पहुंचा। अपील पर सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल ने अपने जवाब में कहा कि शासनादेश संख्या 1575/XVII-2/21(33)/2006 दिनांक 23 नवंबर 2021 के अनुसार, यदि किसी पेंशन लाभार्थी की मृत्यु हो जाती है तो उसके नाम से आगे की पेंशन धनराशि का भुगतान उसके नामांकित व्यक्ति (Nominee) को नहीं किया जाता है, बल्कि शेष धनराशि समाज कल्याण विभाग को वापस भेजी जाती है। लेकिन, यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि मृत्यु से पूर्व खाते में जमा राशि वापस ली जाएगी या नहीं। इसको लेकर निदेशक समाज कल्याण से दिशा-निर्देश मांगे गए हैं।
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने अपनी टिप्पणी में ऐसी व्यवस्था पर हैरत जताते हुए कहा कि ऐसे प्रकरणों में विभागीय अस्पष्टता नागरिकों के अधिकारों और सूचना की पारदर्शिता पर प्रश्न उठाती है। अतः इस विषय में स्पष्ट नीतिगत व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। आयोग ने समाज कल्याण निदेशालय, हल्द्वानी (नैनीताल) तथा जिला समाज कल्याण अधिकारी, देहरादून को निर्देशित किया कि वह शासनादेश के इस बिंदु की व्याख्या संबंधी दिशा-निर्देश उच्च स्तर से प्राप्त करें और अपीलकर्ता को उसकी सत्यापित प्रति प्रदान करें। प्रकरण पर अगली सुनवाई अब 20 नवंबर को होगी।



