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उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर पर रोक, अब तक लग चुके थे 3.30 लाख से अधिक मीटर

स्मार्ट मीटर पर खड़े हो रहे गंभीर सवालों के बीच ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक का कड़ा कदम, चीफ इंजीनियर ने जारी किया आदेश

Rajkumar Dhiman, Dehradun: बिजली के स्मार्ट मीटरों पर उत्तराखंड में बढ़ते बवाल के बीच ऊर्जा निगम के ताजा आदेश ने सभी को चौंका दिया। प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने के कार्यों पर तत्काल प्रभाव से कड़ी रोक लगा दी गई है। उत्तराखंड में स्मार्ट मीटरों को लेकर उपभोक्ताओं का महीनों से उठ रहा आक्रोश अब खुद उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) के आदेश से सही ठहरता दिख रहा है। निगम के ताज़ा आधिकारिक पत्र ने साफ संकेत दे दिए हैं कि स्मार्ट मीटरों की गुणवत्ता, कार्यप्रणाली और बिलिंग को लेकर उठे सवाल निराधार नहीं थे। सिर्फ चिंता इस बात की है कि निगम ने यह कदम तब उठाया है, जब प्रदेश में 3.30 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लग चुके हैं।

ताजा आदेश में यूपीसीएल ने स्वीकार किया है कि स्मार्ट मीटरों से जुड़ी बड़ी संख्या में शिकायतें सामने आई हैं। इन्हीं शिकायतों के दबाव में अब निगम के प्रबंध निदेशक अनिल यादव ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि जहां भी तकनीकी खामियां, गलत रीडिंग या उपभोक्ता आपत्तियां हैं, वहां स्मार्ट मीटर “जैसा-का-तैसा” नहीं चलेंगे, बल्कि बदले जाएंगे।

निगम का कबूलनामा: गलती मीटर में भी हो सकती है
वहीं, मुख्य अभियंता बीएमएस परमार के आदेश के मुताबिक, स्मार्ट मीटरों पर आ रही शिकायतों की गंभीर समीक्षा की जाएगी। उपभोक्ता की शिकायत सही पाए जाने पर मीटर हटाकर तकनीकी रूप से उपयुक्त नया स्मार्ट मीटर लगाया जाएगा। फील्ड स्तर पर अधिकारी सीधे शिकायतों का निस्तारण करेंगे, केवल कागजी जवाब से काम नहीं चलेगा।

यानी, अब तक जिन उपभोक्ताओं को “मीटर ठीक है, बिल सही है” कहकर टरकाया जाता रहा, उनके लिए यह आदेश निगम की चुप्पी तोड़ने वाला दस्तावेज़ बन गया है। हालांकि अब आदेश जारी हो गया, लेकिन सबसे बड़ा सवाल अब भी कायम है कि गलत मीटर लगने की जिम्मेदारी किसकी थी? क्या बिना ज़मीनी परीक्षण के मीटर लगाए गए? क्या ठेकेदारों पर आंख मूंदकर भरोसा किया गया?…और लाखों उपभोक्ताओं को बढ़े हुए बिल झेलने पर मजबूर किसने किया?

निगम का यह पत्र साफ बताता है कि स्मार्ट मीटर परियोजना में “स्मार्ट” उपभोक्ता नहीं, बल्कि सिस्टम की कमजोरियां उजागर हुई हैं। अब उपभोक्ता गलत बिल पर चुप बैठने को मजबूर नहीं होंगे।तकनीकी जांच और मीटर बदलने की लिखित मांग कर सकेंगे। निगम के आदेश का हवाला देकर फील्ड अधिकारियों से जवाब मांग सकेंगे।

आपको बता दें कि स्मार्ट मीटरों को लेकर जो सवाल सड़क से सोशल मीडिया तक उठ रहे थे, अब उन पर यूपीसीएल की मुहर लग चुकी है। यह सिर्फ एक प्रशासनिक आदेश नहीं, बल्कि उस नाराज़गी की स्वीकारोक्ति है जिसे लंबे समय तक अनसुना किया गया। अब देखना यह है कि यह आदेश कागज़ों तक सीमित रहता है या ज़मीन पर उतारकर उपभोक्ताओं को राहत भी मिलती है।

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