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बिग ब्रेकिंग: 130 करोड़ की बिटकॉइन जब्त करने के बाद अब 9.67 करोड़ की संपत्ति कुर्क

ईडी ने हल्द्वानी निवासी अंतर्राष्ट्रीय ड्रग तस्कर बनमीत सिंह और उसके भाई परविंदर की संपत्ति को किया कुर्क, अमेरिका के अनुरोध पर इस केस पर काम कर रही ईडी की देहरादून शाखा

Amit Bhatt, Dehradun: हल्द्वानी निवासी अंतर्राष्ट्रीय ड्रग तस्कर बनमीत सिंह और उसके भाई पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का शिकंजा कसता जा रहा है। मई माह में बनमीत के भाई परविंदर से 130 करोड़ रुपये के बिटकॉइन जब्त करने के बाद अब ईडी की देहरादून शाखा ने दोनों भाइयों की 9.67 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर दी है। ईडी इस मामले की जांच पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) 2002 के प्रावधानों के तहत सीमा पार आपराधिक गतिविधियों को देखते हुए अमेरिकी अधिकारियों से पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) अनुरोध के आधार पर कर रहा है। यह तमाम कार्रवाई इसी का हिस्सा है।

ईडी के मुताबिक बनमीत सिंह और उसके भाई परविंदर सिंह व अन्य ने सिंह डीटीओ (ड्रग ट्रैफिकिंग ऑर्गनाइजेशन) के रूप में एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी समूह चला रहे थे। दोनों भाइयों ने सिल्क रोड 1, अल्फा बे और हंसा सहित विभिन्न डार्क वेब प्लेटफ़ॉर्म पर “लिस्टन” उपनाम का इस्तेमाल कर ड्रग तस्करी का अवैध कारोबार किया। इसी क्रम में सिंह बंधुओं से जुड़े स्थानों पर 26 अप्रैल 2024 और 01 मई 2024 को तलाशी अभियान चलाए गए। जिसके बाद परविंदर सिंह और बनमीत सिंह को क्रमशः 27 अप्रैल 2024 और 29 जुलाई 2024 को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। ईडी की हिरासत के दौरान हल्द्वानी में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत दोबार तलाशी ली गई, जिसमें 268 बिटकॉइन बरामद हुए, जिनकी कीमत 130 करोड़ रुपये से अधिक की है। वर्तमान में आरोपी देहरादून की सुद्धोवाला जेल में न्यायिक हिरासत में हैं।

अमेरिका में 2000 करोड़ के बिटकॉइन सरेंडर, बाकी कसर ईडी ने पूरी की
ईडी ने अमेरिकी अधिकारियों की ओर से एमएलए के तहत अनुरोध के आधार पर बनमीत सिंह की जांच शुरू की थी। जिसमें पीएमएलए, 2002 की धारा 2 (आरए) के एक अनूठे प्रावधान को लागू किया गया, जिसमें सीमा पार प्रभाव का अपराध शामिल है। अनुसूचित अपराध एनडीपीएस अधिनियम के अनुरूप हैं। दरअसल, बनमीत सिंह और उसके भाई परविंदर सिंह अन्य लोगों के साथ मिलकर यूएसए, यूके और अन्य यूरोपीय देशों में ड्रग्स बेचने के लिए डार्क वेब पर विक्रेता विपणन साइटों, स्पष्ट वेब साइटों पर कई मुफ्त विज्ञापनों और नशीले पदार्थों और नियंत्रित-पदार्थ वितरकों और वितरण कोशिकाओं के नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे थे।

सिंह संगठन ने डार्क वेब बाजारों पर बिक्री के माध्यम से नशीली दवाओं की तस्करी की आय प्राप्त की और फिर क्रिप्टो मुद्रा लेनदेन के माध्यम से अवैध आय अर्जित की। दोनों भाइयों ने सिल्क रोड 1, अल्फा बे और हंसा सहित विभिन्न डार्क वेब बाजारों पर “लिस्टन” मोनिकर का इस्तेमाल किया। जानकारी के अनुसार, उनसे ‘लिस्टन’ मोनिकर से जुड़े कम से कम 8088 बिटकॉइन मिले, जो विभिन्न देशों में ड्रग्स की बिक्री के माध्यम से अपराध की आय के अलावा और कुछ नहीं था। बनमीत सिंह ने अमेरिकी अधिकारियों के सामने 3838 बिटकॉइन सरेंडर किए हैं, जिसकी कीमत 2000 करोड़ रुपये (लगभग) के बराबर है। जिसके बाद रही सही कसर ईडी की देहरादून शाखा ने पूरी की और आरोपियों के पुश्तैनी घर से 130 करोड़ रुपये से अधिक के बिटकॉइन जब्त किए। अब इसी क्रम में आपराधिक आय से अर्जित 9.67 करोड़ की संपत्ति की कुर्की की गई है।

गुरुतेग बहादुर गली तिकोनिया हल्द्वानी निवासी बनमीत सिंह नरूला को अमेरिकी अदालत ने 05 साल की सजा सुनाई है। बनमीत डार्क वेब के माध्यम से अमेरिका सहित 8 देशों और 50 राज्यों में ड्रग्स का धंधा करता था। अदालत में उसने अपना जुर्म भी स्वीकार किया। प्रकरण में जब ईडी ने एंट्री ली तो बनमीत के साथ उसके भाई परविंदर का नाम भी जुड़ गया। बनमीत उर्फ एल चापो ने अमेरिका, कनाडा, आयरलैंड, स्कॉटलैंड सहित आठ देश और 50 राज्यों में ड्रग्स के धंधे से 150 मिलियन डॉलर से अधिक कमाए। माना जा रहा है कि इसका बहुत बड़ा हिस्सा बनमीत ने अपने भाई परविंदर तक पहुंचाया।


बनमीत सिंह के हल्द्वानी स्थित आवास पर छापेमारी के दौरान की तस्वीर।

अप्रैल 2019 में लंदन में गिरफ्तार, मार्च 2023 में अमेरिका प्रत्यर्पित
बनमीत को अप्रैल 2019 में लंदन से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद मार्च 2023 में उसे अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया। कोर्ट की कार्यवाही के बीच इस जनवरी 2024 में उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया था। जब वह जमानत पर रिहा हुआ तो भारत आया और अंडरग्राउंड हो गया। हालांकि, ईडी की निगाह से अधिक दिन बच नहीं पाया। इस दौरान यह बात भी सामने आई कि ड्रग्स खरीदने वाले ग्राहक बनमीत के ग्रुप को क्रिप्टोकरेंसी के जरिए पेमेंट करते थे। इसके बाद बनमीत खुद ड्रग्स की शिपिंग का जिम्मा संभालता था। वो यूएस मेल या दूसरी सेवाओं के जरिए यूरोप से अमेरिका तक ड्रग्स पहुंचाता था। वर्ष 2012 से जुलाई 2017 के बीच बनमीत के पास अमेरिका में ड्रग्स बेचने के 8 सेंटर थे। ये सभी ओहायो, फ्लोरिडा, मैरीलैंड, न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन में मौजूद थे।

बनमीत को मिला एल चापो का नाम, ऐसे फैलाया ड्रग का नेटवर्क
1957 में मैक्सिको के सिनालोआ के ला टूना गांव में किसान के घर जन्मा अकीन गुजमैन लोएरा उर्फ एल चापो ने 15 साल की उम्र में ड्रग्स का धंधा शुरू किया था। कुछ ही सालों में उसने अमेरिका सहित कई देशों में अपना वचर्स्व बना लिया। ड्रग्स बेचकर उसने इतनी दौलत कमाई कि फोर्ब्स मैगजीन को उसे छापना पड़ा। ड्रग्स के धंधे से अकूत संपत्ति हासिल करने वालों को अब अमेरिका की ड्रग ईन्फोर्समेंट एजेंसी ‘एल चापो’ के नाम से बुलाती है और बनमीत सिंह नरूला को भी एजेंसी ने यही नाम दिया है।

50 राज्य, 8 देश के बाद भारत बन रहा था 9वां देश
रुद्रपुर से ड्रग्स तस्करी की शुरुआत करने वाले बनमीत ने अमेरिका समेत 8 देशों और 50 राज्यों तक अपना धंधा फैलाया। अब उसके निशाने पर 9वां देश भारत था। सूत्रों का कहना है कि वह यहां अपने करीबियों के बूते नया ग्रुप खड़ा कर रहा था। भारत में कई बड़े ड्रग माफिया उसके संपर्क में थे, लेकिन वो गांजा और अफीम नहीं बल्कि स्पेशल ड्रग्स (गोलियां) बेचने की योजना बना रहा था। हालांकि इससे पहले ही ईडी ने उसे दबोच लिया। माना जा रहा है कि बनमीत की गिरफ्तारी से उसके ग्रुप की कमर टूट चुकी है।

रुद्रपुर से कुरियर के जरिये शुरू की थी तस्करी
बनमीत और परविंदर ने मिलकर कुछ साल पहले रुद्रपुर स्थित सिडकुल में एक फार्मा फैक्ट्री खोली, जिस पर फिलहाल ताला लटका है। इसी फैक्ट्री में दवाओं की आड़ में स्मैक और हेरोइन का धंधा शुरू हुआ। फैक्ट्री में ड्रग्स की पैकिंग होती थी और फिर कुरियर के जरिये उसे देश से बाहर भेज दिया जाता। दिल्ली में ऐसा ही एक कुरियर पकड़ा गया तो बनमीत का नाम सामने आया। फैक्ट्री पर ताला लग गया और बनमीत फरार हो गया। तब से उसे ऊधमसिंहनगर पुलिस के दस्तावेजों में फरार घोषित कर दिया गया था।

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