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अफसरगिरी: आइएएस अफसर चपरासी के लिए चाय लेकर पहुंचे

एमडीडीए उपाध्यक्ष रहने के दौरान आइएएस अधिकारी डॉ आशीष श्रीवास्तव ने दिखाई थी ऐसी अफसरगिरी

Rajukumar Dhiman, Dehradun: नौकरशाही के चेहरों के कई रंग होते हैं। सभी में कुछ न कुछ खास हुनर और काम करने का अपना अलग अंदाज होता है। सरकार के प्रति यस बॉस और जनता के प्रति जिम्मेदारियों के बीच कई अफसर ऐसा कुछ कर जाते हैं, जिसे उनके अधीनस्थ और लोग गाहे-बगाहे अपनी जुबां पर ले ही आते हैं। ऐसी कहानियां सिर्फ गपशप तक सीमित न रहे, बल्कि दस्तावेज के रूप में दर्ज हो सकें, दूसरों के लिए अनुकरणीय या प्रेरणा बन सकें, इसी मकसद से हम खास कॉलम ‘अफसरगिरी’ शुरू रहे हैं। इसका पहला किस्सा है उस वरिष्ठ आइएएस अधिकारी का, जिन्होंने अपने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को न सिर्फ चाय पिलाई, बल्कि वह चाय की प्याली लेकर खुद कनिष्ठतम कर्मचारी तक पहुंचे। उनकी इस अफसरगिरी के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है।

डॉ आशीष श्रीवास्तव, आइएएस अधिकारी (उत्तराखंड)

यह आइएएस अधिकारी हैं डॉ आशीष श्रीवास्तव, जो वर्तमान में उत्तराखंड शासन में अपर सचिव पद पर तैनात हैं। लेकिन, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के लिए चाय लेकर आने की उनकी यह कहानी तब की है, जब वह करीब 04-05 साल पहले मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) में उपाध्यक्ष पद पर तैनात थे। एक रोज उन्हें कुछ पेपर की फोटोकॉपी करवानी थी। उस समय उनके कार्यालय में मौजूद एक महिला स्टाफ को उन्होंने निर्देश दिए कि वह संबंधित कर्मचारी को कहकर फोटोकॉपी निकाल लाएं।

महिला कर्मचारी कक्ष से बाहर निकलीं और संबंधित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को खोजने लगीं। पता चला कि वह उपस्थित नहीं हैं और शायद चाय पीने गए हैं। महिला कर्मी को मल्टीफंक्शनल मशीन से कॉपी करने में दिक्क्त हो रही थी। लिहाजा, उन्होंने यह बात आकर उपाध्यक्ष डॉ आशीष श्रीवास्तव को बताई। खैर, उन्होंने इंतजार करना उचित समझा। काफी देर बाद भी जब चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उपस्थित नहीं हुए तो उपाध्यक्ष साहब अचानक सीट से उठे और टॉप फ्लोर में स्थित कैंटीन में जा पहुंचे।

उन्होंने कैंटीन स्टाफ से एक कप चाय बनाने को कहा। थोड़ी देर बाद उन्होंने चाय का कप हाथ में पकड़ा और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को खोजते हुए उन तक जा पहुंचे। उन्होंने बेहद सादगी के साथ चाय की प्याली कर्मचारी को पकड़ाई और कहा कि ये लीजिए चाय पीजिए। फिर आपको कुछ फोटोकॉपी निकालनी है। कांपते हुए हाथों से कर्मचारी ने चाय का कप पकड़ तो लिया, लेकिन वह इस अफसरगिरी का मजमून भांप नहीं पाए। काफी देर तक वह किसी अनचाही कार्यवाही के डर के साए में रहे।

जब सब कुछ सामान्य ही रहा तो कर्मचारी की जान में जान आई। एमडीडीए के वर्तमान उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी भी अपने सादे अंदाज के लिए जाने जाते हैं। एमडीडीए में जब भी उपाध्यक्षों के कामकाज और व्यवहार को लेकर चर्चा होती है तो कई कर्मचारी इस चाय वाली अफसरगिरी की कहानी को बयां करना नहीं भूलते। राउंड द वाच न्यूज पोर्टल के प्रिय पाठकों से आग्रह है कि यदि उनके पास भी ऐसी ही किसी अफसरगिरी की कहानी मौजूद है तो वह हमें roundthewatchnews@gmail.com पर ईमेल के माध्यम से साझा कर सकते हैं।

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