Amit Bhatt, Dehradun: नशे के सौदागर नागरिकों की जान से खिलवाड़ करने से जरा भी नहीं चूक रहे। जिन दवाओं को नारकोटिक्स एक्ट के तहत शामिल किया गया है और केमिस्ट भी बिना डॉक्टर के निर्देश से ऐसी दवाओं की बिक्री नहीं करते हैं, उनका निर्माण महज फूड लाइसेंस पर किया जा रहा था। सूचना पर औषधि विभाग, पुलिस और एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) की टीम ने संयुक्त रूप से छापेमारी कर सहसपुर के लांघा रोड पर चल रही ग्रीन हर्बल फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया। मौके से 03 आरोपी गिरफ्तार किए गए, जबकि 02 फरार होने में सफल रहे। इस दौरान संयुक्त टीम ने फैक्ट्री से 1921 कैप्सूल/टैबलेट, सिरप आदि की 592 बोतलें और 342 खाली रैपर बरामद किए।
औषधि नियंत्रक ताजबर जग्गी के अनुसार सूचना मिली थी कि लांघा रोड पर हर्बल ग्रीन फैक्ट्री में नशे में प्रयोग के लिए दवाओं का निर्माण किया जा रहा है। जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए औषधि विभाग, दून पुलिस और एएनटीएफ की टीम ने छापा मारा। पता चला कि हर्बल ग्रीन फैक्ट्री के पास फूड लाइसेंस है, जो वर्ष 2023 में प्राप्त किया गया था। जिन नारकोटिक्स दवाओं का वहां निर्माण किया जा रहा था, उसका लाइसेंस ही नहीं था। लिहाजा, फैक्ट्री और उसमें किया जा रहा निर्माण फर्जी माना जाएगा।
फर्जीवाड़े पर कार्रवाई करते हुए संजय कुमार (उम्र 39 वर्ष) निवासी ग्राम मुसकीपुर जिला सहारनपुर (हाल निवासी टीचर कालोनी सहसपुर), शिव कुमार (उम्र 36 वर्ष) हाल निवासी प्रगति विहार सेलाकुई और रहमान (उम्र 38 वर्ष) निवासी ग्राम भूसी जिला चंदौली (हाल निवासी परवल उमेदपुर) को गिरफ्तार किया गया। वहीं, कन्हैया और ऋषभ की तलाश की जा रही है। सभी फैक्ट्री संचालक और पार्टनर की भूमिका में हैं।
संयुक्त टीम ने मौके से भारी मात्रा में दवा और उनके रैपर बरामद किए हैं। दवाओं को जांच के लिए एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी) भेजा जा रहा है। जहां उनमें प्रयुक्त सॉल्ट और अन्य तत्वों का परीक्षण किया जाएगा। नारकोटिक्स दवा बनाने के लिए प्रयुक्त उपकरण भी कब्जे में लिए गए हैं। कार्रवाई करने वाली टीम में ड्रग इंस्पेक्टर मानवेंद्र राणा, एफडीए विजिलेंस से जगदीश रतूड़ी, संजय सिंह नेगी समेत स्थानीय पुलिस और एएनटीएफ के कार्मिक शामिल रहे।
साइकोएक्टिव दवाओं के नाम पर चल रहा खेल होगा उजागर
जिन दवाओं का निर्माण फूड लाइसेंस पर चल रहा था, वह साइकोएक्टिव (मन प्रभावी) हैं और इनका अधिक सेवन व्यक्ति को नशे की हालत में ले आता है। नशे के विकल्प के रूप ऐसी दवाओं का चलन बढ़ रहा है। इस पूरे खेल को उजागर किया जाएगा और दोषियों को सख्त सजा दिलाई जाएगी।
ताजबर जग्गी, ड्रग कंट्रोलर
नेटवर्क का लगा रहे पता
यह रफजई फैक्ट्री करीब एक साल से संचालित की जा रही थी। यहां से अब तक कितनी खेप बेची और और उसे कहां खपाया गया, इसका ब्योरा जुटाया जा रहा है। यदि दवाओं को सामान्य केमिस्ट के यहां बेचा गया है तो उसे एकत्रित करवाया जाएगा। पुलिस हर कोण से जांच कर रही है। किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
अजय सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, देहरादून।
फर्जी दवा फैक्ट्री से बरामदगी
1-900 कैप्सूल Paracetamol Dicyclomine Hydrochloride & Tramadol hydrochloride Capsules
2- 694 टेबलेट Buprenorphine 2mg & Naloxone 0.5 mg Sublingual Tablets USP
3-327 टेबलेट Tramadol Hydrochloride 100mg
4-192 बोतल Syrup LYKAREX-TM Syrup 100 ml. व 400 भरी बोतलें बिना रैपर
5-31 खाली रैपर Buprenorphine 2mg & Naloxone 0.5 mg Sublingual Tablets के
6-311 खाली रैपर Codeine Phosphate & Triprolidine Hydrochloride Syrup XCOF-T Syrup 100 ml