बिग ब्रेकिंग: यूपी निर्माण निगम में 137 करोड़ का घपला, 05 अफसरों पर 06 मुकदमे दर्ज
राजकीय निर्माण निगम देहरादून इकाई में तैनात रहे पूर्व अधिकारियों ने जमकर किया घपला, अपर परियोजना निदेशक ने दर्ज कराई एफआईआर
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Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड में हमेशा विवादों से घिरी रहने वाली कार्यदाई संस्था उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) में 137 करोड़ रुपये से अधिक का घपला सामने आया है। यह घपला निगम की देहरादून इकाई-1 में तैनात रहे अधिकारियों ने किया। विभागीय जांच में घपले की पुष्टि हो जाने के बाद निगम के वर्तमान अपर परियोजना प्रबंधक सुनील कुमार मलिक ने पूर्व महाप्रबंधक समेत 05 अधिकारियों पर नेहरू कालोनी थाने में 06 मुकदमे दर्ज कराए हैं। आरोपियों में एक को पूर्व में बर्खास्त किया जा चुका है, जबकि बाकी रिटायर हो चुके हैं। दर्ज कराई गई एफआइआर में एक पूर्व अधिकारी 05 एफआईआर में आरोपी है, दो पर 03 एफआईआर, एक अधिकारी 02 एफआईआर, जबकि एक अधिकारी 01 एफआईआर में आरोपी है।
सबसे बड़ा घपला 109 करोड़ का
नेहरू कालोनी थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर के अनुसार सबसे बड़ा घपला करीब 109 करोड़ रुपये का है। इसमें पूर्व महाप्रबंधक शिव आसरे शर्मा, पूर्व महाप्रबंधक प्रदीप कुमार शर्मा, पूर्व सहायक लेखाधिकारी राम प्रकाश गुप्ता और पूर्व में बर्खास्त किए जा चुके सहायक लेखाधिकारी वीरेंद्र कुमार रवि को आरोपी बनाया गया है। विभगीय जांच में पाया गया था कि इन तत्कालीन अधिकारियों ने प्राप्त धनराशि से अधिक खर्च कर डाला और एक कार्य का धन अन्यत्र भी खर्च दर्शाया गया। इस पूरी राशि की वसूली नहीं की जा सकी।
दून मेडिकल कालेज के ओपीडी ब्लॉक निर्माण में बिना एमबी 9.93 करोड़ का भुगतान
दूसरी एफआईआर दून मेडिकल कॉलेज के ओपीडी ब्लॉक के निर्माण से संबंधित है। इसमें तत्कालीन अधिकारियों ने बिना एमबी (मेजरमेंट बुक/माप पुस्तिका) के ही 9.93 करोड़ रुपये का संदिग्ध भुगतान दिखाया। जिसे यह राशि निगम में वित्तीय हानि के रूप में दर्ज की गई है। इस प्रकरण में तत्कालीन इकाई प्रभारी (अब रिटायर) सतीश कुमार उपाध्याय पर एफआइआर दर्ज की गई है। प्रकरण में जांच के बाद आरोपी सतीश कुमार को 96 लाख रुपये के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदाई पाया गया है।
काम शुरू नहीं हुए और ठिकाने लगाए 06 करोड़
तीसरी एफआईआर 15 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण एसपीए (आर) योजना में की गई धांधली से संबंधित है। कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग ने निगम को 15.17 करोड़ रुपये दिए थे। जिसमें भूमि उपलब्ध न हो पाने के कारण कमशत बसुकेदार, चिरबटिया, बडावे, थल, गंगोलीहाट और कठपुडियाछीना में काम शुरू नहीं किया जा सका। इसके बाद भी करीब 06 करोड़ रुपये अन्य विभागों के कार्यों में खर्च करना दिखाया गया। इस व्यय का समायोजन भी संभव नहीं किया गया और पूरी राशि डकार ली गई। इस मामले में पूर्व महाप्रबंधक शिव आसरे शर्मा, पूर्व परियोजना प्रबंधक प्रदीप कुमार शर्मा, बर्खास्त सहायक लेखाधिकारी वीरेंद्र कुमार रवि पर एफआइआर दर्ज की गई।
प्राप्त धनराशि और ब्याज की कमाई भी लुटाई, 5.62 करोड़ का फटका
चौथी एफआइआर में एकीकृत औधोगिक आस्थानों में स्ट्रीट लाइटों, बैकअप इनर्जी, एबीसी कंडक्टर लाइन बिछाने और स्ट्रीट लाइटों के पुनरुद्धार के लिए मिले बजट में धांधली का जिक्र है। आरोप है कि पूर्व परियोजना प्रबंधक प्रदीप कुमार शर्मा ने इन कार्यों के लिए प्राप्त धनराशि और उस पर अर्जित ब्याज से अधिक का खर्च दर्शाया। जिसके चलते उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को 5.62 करोड़ रुपये से अधिक की चपत लग गई।
काम के लिए जमीन प्राप्त किए बिना 4.28 करोड़ का भुगतान
निर्माण निगम के अधिकारियों ने डिजास्टर रिलीफ सेंटर्स के निर्माण के लिए जमीन प्राप्त किए बिना ही 4.28 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया। साथ ही इस राशि का समायोजन अन्य कार्यों में दर्शाया गया। इसके बाद भी प्राप्ति और खर्च के अंतर को दूर नहीं किया जा सका। जांच में पाया गया है कि इस अनियमितता के लिए तत्कालीन परियोजना प्रबंधक सत्येदव शर्मा (अतिरिक्त महाप्रबंधक पद से रिटायर), बर्खास्त सहायक लेखाधिकारी वीरेंद्र कुमार रवि जिम्मेदार हैं। लिहाजा, इस प्रकरण में दोनों पर एफआईआर दर्ज की गई।
बिना सेंटेज के कराए कार्य, 1.59 करोड़ का चूना
छठी एफआईआर के अनुसार पूर्व महाप्रबंधक शिव आसरे शर्मा, तत्कालीन परियोजना प्रबंधक सत्येदव शर्मा और पूर्व सहायक लेखाधिकारी राम प्रकश गुप्ता ने पर्यटन विभाग से संबंधित कार्य बिना सेंटेज की गणना के ही करा दिए थे। इससे राजकीय निर्माण निगम को 1.59 करोड़ रुपये की वित्तीय हानि हो गई। लिहाजा, तीनों आरोपियों पर मुकदमा दर्ज किया गया।
किस पूर्व अधिकारी पर कितनी एफआईआर
नाम, आखिरी पद, एफआईआर
शिव आसरे शर्मा, पूर्व महाप्रबंधक, 03
प्रदीप कुमार शर्मा, पूर्व महाप्रबंधक, 05
वीरेंद्र कुमार, सहायक लेखाकधिकारी (बर्खास्त) 03
राम प्रकाश गुप्ता, सहायक लेखाधिकारी, 02
सतीश कुमार उपाध्याय, स्थानिक अभियंता 01