
राउंड द वाच ब्यूरो (देहरादून)
मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) में नक्शा सिंडिकेट फिर हावी होता दिख रहा है। जिन अभियंताओं के बच्चे आर्किटेक्ट हैं और अपनी फर्म/एजेंसी चलाते हैं, उन्हें नक्शा निस्तारण की अहम जिम्मेदारी दे दी गई है।
एमडीडीए उपाध्यक्ष सोनिका की तरफ से जारी ट्रांसफर लिस्ट में इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि यहां नक्शा सिंडिकेट हावी हो गया है। ट्रांसफर सूची के मुताबिक दो सहायक अभियंताओं को अलग-अलग सेक्टर में समस्त प्रकार के आवासीय व व्यवसायिक मानचित्रों का काम दिया गया है। इनके बच्चे आर्किटेक्ट हैं और इनके माध्यम से जमा होने वाले मानचित्रों में पास होने की गारंटी दी जाती है। यहां तक कि बच्चों की फर्म से जमा होने वाले मानचित्रों के निस्तारण में इन अभियंताओं का दखल भी देखने को मिलता है। बताया जा रहा है कि इन अभियंताओं को फील्ड में नक्शों का काम देने के पीछे एक अधिशासी अभियंता का विशेष हाथ रहा है। हालांकि, बड़ा सवाल यह भी है कि कामकाज के मामले में सख्त रुख अपनाने वाली उपाध्यक्ष सोनिका को इन अभियंताओं ने कैसे सहमत करा लिया। हो सकता है कि उपाध्यक्ष को इस बात की जानकारी ही न दी गई हो। क्योंकि कुछ समय पहले जब अभियंताओं के बच्चों की फर्म के नक्शों में बढ़ रहे दखल को लेकर ड्राफ्ट्समैन ने आक्रोश व्यक्त किया था, तब उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी बीके संत के पास थी। उस समय किसी तरह विरोध की चिंगारी को दबा दिया गया था। तत्कालीन उपाध्यक्ष ने ऐसी मनमानी रोकने के लिए कदम उठाए थे। जबकि अब दोबारा से दोनों अभियंता मनचाही तैनाती पाने में सफल हो गए हैं। इस पूरे प्रकरण में एमडीडीए की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यदि जल्द कुछ नहीं किया गया तो प्रकरण में उठने वाली चिंगारी बड़ा गुल खिला सकती है। हो सकता है कि यह मामला मुख्यमंत्री दरबार तक भी शिकायत के रूप में जा सकता है। क्योंकि कुछ समय पहले ऐसे ही मामले में एक शिकायती पत्र भी खूब वायरल हुआ था। तब भी किसी तरह यह मामला संभाल लिया गया था। हालांकि बार-बार उसी ढर्रे पर चलने की प्रवृत्ति से एमडीडीए की छवि धूमिल होती दिख रही है।