देहरादून: ऊर्जा निगम की ओर से फ्यूल एंड पावर परचेज एडजस्टमेंट (एफपीपीए) को मासिक आधार पर बिजली के बिल में जोड़ने के प्रस्ताव का औद्योगिक क्षेत्र के उपभोक्ताओं ने कड़ा विरोध किया है। जन सुनवाई में घरेलू और अघरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं ने ऊर्जा निगम के प्रस्ताव पर आपत्तियां व सुझाव दर्ज कराए। उपभोक्ताओं ने विद्युत आपूर्ति व्यवस्था में सुधार न किए जाने पर नाराजगी जताई।शुक्रवार को आइएसबीटी के निकट स्थित उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के कार्यालय में ऊर्जा निगम के एफपीपीए प्रस्ताव पर जन सुनवाई हुई। जिसमें उपभोक्ताओं ने इसका विरोध किया। बिजली खरीद में फ्यूल एंड पावर परचेज एडजेस्टमेंट के रूप में अब तक तीन-तीन माह में उपभोक्ताओं के बिल में जोड़ा जाता था, लेकिन अब निगम की ओर से हर माह यह एफपीपीए बिल में जोड़कर उपभोक्ताओं को भेजने की तैयारी है। इसका प्रस्ताव आयोग को भेजा गया था, जिसका उपभोक्ता विरोध कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता वीरू बिष्ट ने कहा कि आए दिन ऊर्जा निगम के उपकरण फुंक जाते हैं, लाइनें ट्रिप हो जाती हैं। विद्युत आपूर्ति लगातार प्रभावित रहती है। जबकि, निगम उपभोक्ताओं पर लगातार वित्तीय भार बढ़ा रहा है। आयोग के सचिव नीरज सती ने बताया कि इस प्रस्ताव पर नियामक आयोग ने आमजन से सुझाव व आपत्तियां मांगी थी। अब सभी पहलुओं का अध्ययन किया जा रहा है। एक सप्ताह के भीतर इस पर निर्णय कर लिया जाएगा। बताया कि एफपीपीए में बेसिक चार्ज से अधिकतम 20 प्रतिशत अधिक चार्ज ही उपभोक्ताओं से वसूलने का प्रविधान है। सालों से सुविधाओं के नाम पर कोरा आश्वासनउत्तराखंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सुनील उनियाल और फूड प्रोसेसिंग यूनिट उत्तराखंड के समन्वयक अनिल मारवाह ने कहा कि निर्बाध आपूर्ति का दावा करने वाला ऊर्जा निगम व्यवस्था सुधारने में नाकाम है। सेलाकुई में अधिक क्षमता के विद्युत सब स्टेशन की मांग काफी समय से की जा रही है। साथ ही हर बार वर्षा काल में क्षेत्र में विद्युत पोल-लाइनें और अन्य उपकरण क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। जिससे आपूर्ति प्रभावित होती है और उद्योगों को नुकसान पहुंचता है। वहीं, ऊर्जा निगम हर साल टैरिफ बढ़ा रहा है। अब मासिक आधार पर फ्यूल व पावर परचेज चार्ज भी जोड़ने से उपभोक्ताओं पर भार बढ़ेगा।