सरकार से अनुमति लेकर 4.4 हेक्टेयर भूमि खरीदी, फिर गुपचुप बेच दी
जिला प्रशासन ने पकड़ा थानो मार्ग स्थित बड़ासी ग्रांट में स्टांप ड्यूटी का घपला, भूमि खरीद में भू-अधिनियम के नियमों को भी दरकिनार किए जाने की बात आई सामने
Round The Watch: थानो मार्ग स्थित बड़ासी ग्रांट में 4.4360 हेक्टेयर भूमि की खरीद में स्टांप घपला पकड़ में आया है। जिला प्रशासन की ओर से तहसील सदर से कराई गई जांच में पता चला है कि मुख्य मार्ग से भूमि की दूरी बढ़ाकर मानक से काफी कम स्टांप शुल्क अदा किया गया है। अब प्रशासन ने स्टांप शुल्क की वसूली के साथ नियमानुसार अर्थदंड लगाने की कार्रवाई शुरू कर दी है।
अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) रामजी शरण शर्मा को शिकायत मिली थी कि बड़ासी ग्रांट में न सिर्फ भूमि खरीद में स्टांप ड्यूटी जमा कराने में अनियमितता बरती गई है, बल्कि इसमें भू-अधिनियम के नियमों का भी उल्लंघन किया गया है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए अपर जिलाधिकारी ने तहसील सदर को इसकी जांच सौंपी। अब जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन को प्राप्त हो चुकी है।
अपर जिलाधिकारी रामजी शरण शर्मा के मुताबिक बड़ासी ग्रांट में मूल खातेदार पणजी निवासी थंपी सीसी ने पांच अलग-अलग विक्रय पत्र में 4.4360 हेक्टेयर भूमि गिरवीर सिंह नेगी व खुशाल सिंह नेगी को बेची। वर्ष 2013 में बेची गई भूमि में स्टांप ड्यटी अदा करने के लिए भूमि की थानो मुख्य मार्ग से दूरी 350 मीटर से अधिक दर्शाई गई। हालांकि, जांच में यह दूरी 180 मीटर तक पाई गई है। स्टांप शुल्क भी 350 मीटर की दूरी के हिसाब से जमा कराया गया है। बताया जा रहा है कि विक्रय के दौरान ही 25 लाख रुपये के करीब स्टांप कम थे, जिसकी राशि अब अर्थदंड के साथ बढ़कर एक करोड़ रुपये के करीब हो सकती है। अपर जिलाधिकारी के मुताबिक जांच रिपोर्ट के आधार पर स्टांप कमी की गणना कराई जा रही है। शीघ्र ही वास्तविक रूप से इसकी स्थिति स्पष्ट कर कार्रवाई की जाएगी।
शासन की अनुमति रिसार्ट व उद्यान के लिए खरीदी भूमि, मनमर्जी से बेच डाली
पूर्व खातेदार थंपी सीसी ने बड़ासी ग्रांट में करीब साढ़े चार हेक्टेयर की जो भूमि खरीदी, उसे भू-अधिनियम 2003 के तहत शासन की अनुमति से खरीदा। इस समय दूसरे राज्यों के व्यक्तियों के लिए कृषि भूमि की अधिकतम खरीद 250 वर्गमीटर थी। लिहाजा, इससे अधिक भूमि खरीद के लिए थंपी ने शासन से अनुमति प्राप्त की। भूमि होटल, रिसार्ट व उद्यान के नाम पर खरीदी गई। हालांकि, शासन की अनुमति के विपरीत भूमि पर निर्माण नहीं किया गया। शासन ने वर्ष 2012 में अनुमति को अंतिम रूप से एक साल के लिए बढ़ाया था, लेकिन इसके बाद भी प्रस्तावित निर्माण नहीं किया गया। इसके बाद थंपी ने शासन की बिना अनुमति के भूमि को चुपचाप गिरवीर सिंह और खुशाल सिंह को बेच दिया। इस खरीद फरोख्त में राजस्व कार्मिकों की अनदेखी भी सामने आई। क्योंकि, शासन की अनुमति पर खरीदी गई भूमि को श्रेणी ग में दर्ज किया जाना चाहिए था। ताकि इसकी निगरानी की जा सके। ऐसा न कर राज्य के निवासियों पर लागू नियम की भांति भूमि को श्रेणी क में दर्ज किया गया। यही कारण है कि भूमि को बिना अनुमति के बेच दिया गया और अधिकारियों को भनक तक नहीं लगी। अपर जिलाधिकारी रामजी शरण शर्मा के मुताबिक भू-अधिनियम के नियमों के उल्लंघन पर भी विधिक व अन्य कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। प्रकरण को गंभीरता से लिया जा रहा है।