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अधिवक्ता विरमानी पुलिस हिरासत में, जल्द होगी गिरफ्तारी

सहारनपुर के केपी सिंह के साथ मिलकर जमीनों के फर्जी दस्तावेज बनाने का है आरोप, मुंशी के गिरफ्तार होने पर खुले राज, पहले से ही शक के घेरे में था अधिवक्ता विरमानी

Amit Bhatt, Dehradun: देहरादून के सब रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने वरिष्ठ अधिवक्ता कमल विरमानी को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। पुलिस उसे जल्द ही गिरफ़्तार कर सकती है। हालांकि, इस मामले में पुलिस अधिकारी अभी अधिकारिक रूप से कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं। जमीन फर्जीवाड़े में शुरू से ही अधिवक्ता का नाम सामने आ रहा था, लेकिन पुलिस पर्याप्त साक्ष्य न होने के चलते उस पर हाथ नहीं डाल पा रही थी। शनिवार को पुलिस ने साक्ष्य के आधार पर अधिवक्ता को हिरासत में लिया और उससे पूछताछ शुरू कर दी। सूत्रों की मानें तो रविवार को अधिवक्ता की गिरफ्तारी हो सकती है।
संदीप श्रीवास्तव सहायक महानिरीक्षक निबंधन की ओर से रजिस्ट्री कार्यालय प्रथम व द्वितीय में विभिन्न भूमि विक्रय विलेख से संबंधित धारित जिल्दाें विलेख संख्या 2719/2720 वर्ष 1972, विलेख संख्या 3193, विलेख संख्या 3192, विलेख संख्या 545 वर्ष 1969, विलेख संख्या 10802 व 10803 के साथ छेड़छाड़ कर अभिलेखों की कूटरचना के संबंध में तहरीर दी गई थी। प्रकरण की जांच के लिए आइपीएस सर्वेश कुमार के नेतृत्व में गठित एसआइटी ने एसओजी की टीम के सहयोग से रजिस्ट्रार कार्यालय से रिकार्ड लेते हुए रिंग रोड से संबंधित 50 से अधिक रजिस्ट्रियों का अध्ययन किया।
कुछ दिन पहले पुलिस ने आरोपित रोहताश को गिरफ्तार किया था, जो कि पूर्व में अधिवक्ता कमल विरमानी का मुंशी था। सहारनपुर का भूमाफिया कुंवरपाल जब अधिवक्ता के चैंबर में आता जाता था तो फर्जी रजिस्ट्रियों का सारा काम रोहताश ही करता था। जब उसे फर्जीवाड़े की पूरी जानकारी हो गई तो उसने वर्ष 2020 में काम छोड़कर अपना काम करना शुरू कर दिया।बताया जा रहा है कि अधिवक्ता के माध्यम से सहारनपुर निवासी कुंवरपाल का रजिस्ट्री कार्यालय में आना-जाना हुआ और उसने वहां के कर्मचारियों को रुपयों के लालच देकर फंसाया, कार्यालय से रजिस्ट्रियां बाहर निकलवाई, जबकि उनकी जगह पर फर्जी रजिस्ट्री लगवा दी।
इस मामले में एसआइटी की ओर से फर्जीवाड़े में अब तक आठ आरोपितों को गिरफ्तारी की जा चुकी है। इनमें संतोष अग्रवाल, दीपचंद अग्रवाल, रजिस्ट्रार कार्यालय पूर्व कर्मचारी डालचंद, अजय सिंह क्षेत्री व विकास पांडे, अधिवक्ता इमरान अहमद, पीलीभीत का रहने वाला मक्खन सिंह और अधिवक्ता का मुंशी रोहताश सिंह शामिल है। अब यह बात भी सामने आ रही है कि रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में अभी कई बिग शॉट की गिरफ्तारी भी संभव है। हालांकि, सब कुछ साक्ष्यों पर निर्भर करेगा।


 

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