crimeDehradunUttarakhand

एक आईएएस से 20 करोड़ के घपले की फाइल गुम हुई, उसी विभाग के दूसरे आईएएस को जांच में लगाया

उत्तराखंड शासन के अधिकारियों ने सूचना आयोग को दी जांच अधिकारी नामित करने और फाइल दोबारा तैयार कराने की जानकारी, सचिवालय की व्यवस्था पर उठे थे गंभीर सवाल

Amit Bhatt, Dehradun: आय से 2626 प्रतिशत अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में सुद्धोवाला जेल में निरुद्ध चल रहे रिटायर्ड आईएएस अधिकारी डॉ राम विलास यादव के कार्यकाल (तत्कालीन अपर सचिव कृषि) में बीज घपले की जांच की जो फाइल उनके दफ्तर से गायब हो गई थी, उसे दोबारा तैयार कराया जा रहा है। साथ ही इस प्रकरण की जांच के लिए अपर सचिव कृषि को जांच अधिकारी नामित किया गया है। यह जानकारी कृषक कल्याण अनुभाग उत्तराखंड शासन ने सूचना आयोग को दी है। इसके लिए भी शासन के अधिकारी तब जाकर तैयार हुए, जब राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए सचिवालय की व्यवस्था को कठघरे में खड़ा किया। इसी फाइल के आधार पर एसआईटी या अन्य उच्च स्तरीय जांच/कार्रवाई का निर्णय किया जाना था।

बीज प्रमाणीकरण अभिकरण में बीज बिक्री एवं टैग घोटाले की मूल पत्रावली 14 अक्टूबर 2020 को अंतिम बार तत्कालीन अपर सचिव कृषि डॉ राम विलास यादव को भेजी गई थी और इसके बाद से ही किसी को नहीं मिल रही। सूचना का अधिकार अधिनियम में फाइल की जानकारी मधवापुर बैरहना निवासी हरिशंकर पांडे ने मांगी तो शासन के अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए थे। सूचना आयोग पहुंचे इस प्रकरण में राज्य सूचना आयुक्त की सख्ती के बाद अधिकारियों ने औपचारिकता निभाते हुए धारा चौकी में गुमशुदगी की तहरीर दे दी थी।

सूचना आयुक्त भट्ट ने इस खानापूर्ति पर भी अधकारियों को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि महज जवाबी खानापूर्ति के लिए अब जाकर गुमशुदगी दर्ज कराई जा रही है, जबकि शासकीय कार्यालयों को गायब कर देना, उनसे छेड़छाड़ करना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। इस मामले में आयोग ने सचिव कृषि को कराने और लोक सूचनाधिकारी/अनुभाग अधिकारी को फाइल मूवमेंट के मूल रजिस्टर के साथ उपस्थित होने को कहा था। जिससे स्पष्ट हुआ कि पत्रावली गायब होने की सूचना पुलिस को 04 जुलाई 2022 को दर्ज कर दी गई थी और 16 अगस्त 2023 को इसकी जांच रिपोर्ट में पाया गया कि फाइल का किसी भी स्तर पर पता नहीं चल पा रहा है। लिहाजा, पुलिस की कार्रवाई यहीं समाप्त कर दी गई।

अपर सचिव करेंगे जांच, पत्रावली तैयार करने को भी किया इंतजाम
इसके अलावा सूचना आयोग को बताया गया कि फाइल गायब होने की जांच अपर सचिव कृषि को सौंप दी गई है। साथ ही उत्तराखंड स्टेट सीड्स एंड ऑर्गेनिक प्रोडक्शन सर्टिफिकेशन एजेंसी में बीजों के विक्रय और टैग के फर्जीवाड़े संबंधी पत्रावली को दोबारा तैयार करने के लिए 21 अगस्त 2023 को समिति का गठन कर दिया गया है। समिति के निर्णय के मुताबिक फाइल दोबारा तैयार करने के लिए तत्कालीन जांच अधिकारी/तत्कालीन आयुक्त कुमाऊं मंडल व तत्कालीन अपर सचिव/जांच अधिकारी डॉ आशीष श्रीवास्तव व बीज प्रमाणीकरण एजेंसी के निदेशक से सहयोग की अपेक्षा की गई है। इस क्रम में पत्रावली शीघ्र तैयार करने का आश्वासन आयोग को दिया गया।

फाइल में दर्ज थी कारगुजारी, की गई थी संस्तुति
डा० आशीष कुमार श्रीवास्तव, जांच अधिकारी / तत्कालीन अपर सचिव, कृषि उत्तराखंड शासन द्वारा उपलब्ध कराई गई जांच आख्या दिनांक 30/10/2017 में यह उल्लेख किया गया कि एजेंसी द्वारा बीजों की बिक्री व टैग मामले को फौरी तौर पर पर्दा डालने की कार्यवाही की गई, जबकि बीजों की बिक्री व टैग प्रकरण में घोर अनियमितता हुई है, जिससे संस्था की साख पर प्रश्नचिन्ह लगा है। तदोपरांत कार्यालय ज्ञाप संख्या 23 / XIII- 11/2018 – 04 (3) /2017 दिनांक 09/01/2018 के द्वारा प्रश्नगत प्रकरण की पुनः विस्तृत जांच किए जाने हेतु आयुक्त कुमाऊं मंडल नैनीताल को जांच अधिकारी नामित किया गया। जांच अधिकारी द्वारा अपनी निष्कर्ष आख्या दिनांक 18/03/2018 में यह उल्लेख किया गया है कि प्रकरण की सत्यता को सामने लाने के लिए विभागीय जांच अथवा अभिलेखीय जांच पर्याप्त नहीं है। प्रकरण का विस्तार उत्तर प्रदेश राज्य सीमा के अंतर्गत भी विस्तारित है। इस कार्य हेतु अपराधिक जांच करने में सक्षम कोई एजेंसी अथवा पुलिस की विशेष जांच टीम एसआईटी के माध्यम से जांच किए जाने की संस्तुति की गई।

रामबिलास यादव (रिटायर्ड आईएएस अधिकारी )

जानिए राम विलास यादव का आय से अधिक संपत्ति का प्रकरण
आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में देहरादून की सुद्धोवाला जेल में निरुद्ध चल रहे रिटायर्ड आइएएस अधिकारी रामबिलास पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कुछ समय पहले बड़ी कार्रवाई की। ईडी रामबिलास की 20.33 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति को अटैच कर चुकी है। अटैच की गई संपत्तियों में लखनऊ स्थित आवास, शिक्षण संस्थान, ट्रस्ट आदि समेत दो करोड़ रुपये से अधिके की एफडी शामिल है।

ईडी की देहरादून शाखा ने मई माह में रामबिलास यादव को चार दिन कि कस्टडी में लिया था। इस दौरान उससे आय से अधिक संपत्ति अर्जित किए जाने को लेकर तमाम सवाल पूछे गए। इस आधार पर पर ईडी अधिकारियों ने आरोप के मुताबिक यह तथ्य स्थापित करने में सफलता पाई की रामबिलास ने आय से 20.61 करोड़ रुपये की अतिरिक्त संपत्ति अर्जित की है। अधिकारियों ने पाया कि रामबिलास ने सेवा में रहते हुए भ्रष्टाचार के माध्यम से स्वयं और परिवार के सदस्यों के नाम पर चल-अचल संपत्ति अर्जित की है।

इसके बाद ईडी ने कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ते हुए लखनऊ स्थित आवास, जनता विद्यालय गुडंबा लखनऊ, भवन समूह और स्व. रामकरन दादा मेमोरियल ट्रस्ट गाजीपुर को अटैच कर लिया। इसमें एक फ्लैट और चार भूखंड भी शामिल हैं। अचल संपत्तियों को मूल्य 18.33 करोड़ रुपये आंका गया। साथ ही रामबिलास की 2.03 करोड़ रुपये की बैंक एफडी को भी अटैचमेंट का हिस्सा बनाया गया। इसके साथ ही इस संपत्ति के कुर्की आदेश भी अनंतिम रूप से जारी किए गए हैं।

रिटायरमेंट से पहले विजिलेंस ने किया था गिरफ्तार, मई 2023 में ईडी ने भी की गिरफ्तारी
उत्तराखंड में समाज कल्याण विभाग के अपर सचिव समेत उत्तर प्रदेश में लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव रहे रामबिलास यादव पर विजिलेंस ने सात अप्रैल 2022 को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मुकदमा दर्ज किया था। 30 जून 2022 को रिटायर हुए यादव को इस मामले में 23 जून 2022 को ही गिरफ्तार कर सुद्धोवाला जेल भेज दिया था। विजिलेंस की एफआइआर के आधार पर अक्टूबर 2022 में ईडी ने भी रामबिलास पर प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग (पीएमएलए) का मुकदमा दायर किया। साथ ही 19 मई 2023 को को इस मामले में गिरफ्तारी की। इसके बाद ईडी ने रामबिलास को चार दिन की कस्टडी में भी लिया।

2013 से 2016 के बीच बटोरी संपत्ति
विजिलेंस और ईडी ने रामबिलास यादव की जनवरी 2013 से 31 दिसंबर 2016 के बीच की सेवा की जांच की। जिसमें पाया गया कि उसने ज्ञात 78 लाख 51 हजार 777 रुपये अर्जित किए, जबकि कुल अर्जित संपत्ति 21.40 करोड़ रुपये पाई गई। इस अवधि में जायज खर्चों को हटाकर 20.60 करोड़ रुपये की संपत्ति अतिरिक्त पाई गई।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button