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अधिवक्ता तिवारी पर एक और मुकदमा, मंदिर ट्रस्ट की जमीन बेची

रायवाला में गौरीशंकर मंदिर ट्रस्ट की जमीन के फर्जी दस्तवेज तैयार करने से जुड़ा है मामला 

Amit Bhatt, Dehradun: रक्षा मंत्रालय की माजरा स्थित 55 बीघा जमीन के फर्जी दस्तावेज बनाने के आरोप में जेल भेजे गए देहरादून के वरिष्ठ अधिवक्ता देवराज तिवारी पर एक मुकदमा और दर्ज किया गया है। यह मुकदमा रायवाला में गौरीशंकर मंदिर ट्रस्ट की भूमि के फर्जी दस्तवेज तैयार करने से जुड़ा है। फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाने के बाद यह जमीन कई व्यक्तियों को बेची गई। एसपी देहात की देखरेख में बनी एक कमेटी की जांच के बाद आरोपित देवराज तिवारी के खिलाफ रायवाला थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। प्रकरण की जांच अब एसआइएस शाखा को सौंपी गई है।
पुलिस गिरफ्त में अधिवक्ता देवराज तिवारी।

पुलिस महानिदेशक को दी शिकायत में स्वामी ब्रह्मदेव मुख्य ट्रस्टी गौरीशंकर मंदिर ट्रस्ट रायवाला ने बताया कि ट्रस्ट की ओर से गांव रायवाला में 15 नवंबर 1973 को रामाधर से खरीदी थी। न्यायालय तहसीलदार के आदेश के बाद 14 मार्च 1976 से रामाधर का नाम खारिज होकर गौरी शंकर मंदिर ट्रस्ट का नाम दर्ज हो गया। आरोपित अधिवक्ता देवराज तिवारी निवासी नेहरू कालोनी ने ट्रस्ट की संपत्ति बेचने के लिए ट्रस्ट के नाम से ही गलत तथ्यों के आधार पर मंदिर ट्रस्ट सब रजिस्ट्रार द्वितीय कार्यालय में पंजीकृत करा दिया।

अधिवक्ता व अन्य लोग फर्जी ढंग से ट्रस्ट में ट्रस्टी बने और विभागीय मिलीभुगत से राजस्व अभिलेखों में अपना नाम दर्ज करवा लिया। आरोपितों ने कई लोगों को गुमराह कर उन्हें ट्रस्ट की संपत्ति बेच दी। शिकायतकर्ता ने बताया कि आरोपित ने अपने रसूख का प्रयोग करके फर्जी तरीके से अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर ट्रस्ट की संपत्ति बेच है। इस मामले में पुलिस महानिदेशक ने एसपी देहात कमलेश उपाध्याय की अध्यक्षता में एक एसआइटी बनाकर शिकायत की जांच करवाई तो मामला सही पाया गया है। जिस आधार पर रायवाला थाने में आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया।

गोल्डन फॉरेस्ट की जमीन बेचने की बात भी सामने

एसआइटी की जांच में यह भी सामने आया है कि अधिवक्ता तिवारी ने शहर में गोल्डन फॉरेस्ट की कई संपत्तियों को बेचा है, उसकी जांच में भी चल रही है। गोल्डन फॉरेस्ट की जमीन सरकार की निगरानी में दी गई हैं और सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण गतिमान है। ताकि गोल्डन फारेस्ट की संपत्तियों की नीलामी कर गोल्डन फॉरेस्ट कंपनी में निवेश करने वाले लोगों का पैसा लौटाया जा सके। हालांकि, समय के साथ यह संपत्तियां भी खुर्दबुर्द की जाती रही हैं। इसके अलावा डालनवाला में भी करोड़ों की संपत्ति बेचे जाने का प्रकरण संज्ञान में आया है, जिसकी जांच अभी प्रचलित है।

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