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कॉर्बेट प्रकरण: वन मुख्यालय में सीबीआई का छापा, आईएफएस अधिकारियों में हड़कंप

पाखरो टाइगर सफारी ज़ोन में अनियमितता पर अधिकारियों से की पूछताछ

Amit bhatt, Dehradun: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में टाइगर सफारी जोन में सामने आई अनियमितता पर सीबीआई की जांच तेज़ हो गई है। गुरुवार को सीबीआई की टीम ने देहरादून स्थित वन मुख्यालय में छापा मारकर कई आईएफएस अधिकारियों से पूछताछ की। अचानक पहुंची सीबीआई की टीम को देखकर वन मुख्यालय में हड़कंप मच गया। प्रकरण में रिटायर्ड आईएफएस किशनचंद के बाद अब कई अन्य अधिकारी भी जांच के दायरे में हैं। इस मामले में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है।

पाखरो रेंज

दरअसल, कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कालागढ़ वन प्रभाग की पाखरो रेंज में टाइगर सफारी ज़ोन तैयार करने के लिए पेड़ों के अवैध कटान व निर्माण कार्यों में अनियमितता की बात सामने आई थी। मामले में तत्कालीन प्रभागीय वन अधिकारी किशनचंद समेत दो आरोपियों पर सेंट्रल ब्यूरो आफ इंवेस्टीगेशन (सीबीआइ) ने बीते शुक्रवार को मुकदमा दर्ज किया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च न्यायालय ने जांच सीबीआइ से कराने के आदेश दिए थे। मुकदमा दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने हरिद्वार में आरोपी किशनचंद के घर और देहरादून में पूर्व रेंजर बृज बिहारी शर्मा के घर दबिश दी थी। इस दौरान मामले से जुड़े दस्तावेज कब्जे में लिए थे। अब वन मुख्यालय में छापा मारकर सीबीआई ने कुछ अन्य अधिकारियों से भी पूछताछ की है, साथ ही दस्तावेज भी जुटाए।

मामले में रिटायर्ड आईएफएस किशनचंद जेल में है और तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत की भी मामले में संलिप्तता की बात सामने आई। जिस पर विजिलेंस ने हरक सिंह रावत की ओर से अपने दो ठिकानों पर अवैध रूप से रखवाए गए जनरेटर भी जब्त किए गए। अब सीबीआई भी पूर्व मंत्री से भी पूछताछ कर सकती है। हालांकि, हरक सिंह रावत की ओर से मीडिया के माध्यम से खुद को निर्दोष बताया जा रहा है।

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मामला प्रकाश में आने के बाद जांच पर भी उठे सवाल

यह प्रकरण तब प्रकाश में आया था, जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने इस संबंध में मिली शिकायत की स्थलीय जांच की। साथ ही शिकायत को सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की। इस प्रकरण की अब तक कई एजेंसियां जांच कर चुकी हैं। ये बात सामने आई कि सफारी के लिए स्वीकृति से अधिक पेड़ों के कटान के साथ ही बड़े पैमाने पर बिना वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति के निर्माण कराए गए। मामले की विजिलेंस जांच कराई गई, लेकिन एक याचिका की सुनवाई में उत्तराखंड हाइकोर्ट ने सरकार की ओर से कराई जा रही विजिलेंस जांच पर सवाल खड़े किए और सीबीआई जांच के आदेश दिए।

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