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सीईओ मदन सिंह के भ्रष्टाचार की कहानी, मंत्री तक ने की मेहरबानी

वर्ष 2018 में स्टिंग ऑपरेशन में पैसों का लेनदेन करते पाए गए पूर्व मुख्य शिक्षा अधिकारी पौड़ी मदन सिंह रावत की गिरफ्तारी के बाद भी सुलग रहे सवाल

Amit Bhatt, Dehradun: शिक्षा विभाग में अशासकीय विद्यालयों में नियुक्ति के नाम पर किस तरह पैसों का लेन-देन किया जाता रहा, यह केस इस बात की बानगीभर हो सकता है। यह केस भी इसलिए सार्वजनिक हुआ, क्योंकि पौड़ी के कोटागढ़ के अशासकीय विद्यालय के प्रबंधक और तत्कालीन मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) मदन सिंह रावत के बीच लेन-देन का गणित गड़बड़ा गया। आरोप के मुताबिक पूर्व मुख्य शिक्षा अधिकारी मदन सिंह रावत ने अपने भाई की नियुक्ति कोटागढ़ स्थित अशासकीय विद्यालय में व्यायाम शिक्षक के रूप में कराने के लिए प्रबंधक अनिल नेगी पर दबाव बनाया। इस नियुक्ति के लिए उन्होंने किसी तरह का पैसा न देने की बात कही और साथ ही मांग की कि विद्यालय में जिन अन्य अध्यापकों की नियुक्ति की गई है, उनके अनुमोदन के लिए उन्हें पैसा दिया जाए। यहीं से बात बिगड़ी और पूर्व मुख्य शिक्षा अधिकारी मदन सिंह रावत, जिला शिक्षा अधिकारी हरे राम यादव और पटल सहायक दिनेश गैरोला के पैसों के लेन-देन का स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो सार्वजनिक हो गया। इसी मामले में पौड़ी पुलिस ने मदन सिंह रावत को भ्रष्टाचार के आरोप में एक नवंबर को देहरादून के बिंदाल क्षेत्र के गिरफ्तार कर लिया। पटल सहायक दिनेश गैरोला को पुलिस 15 अक्टूबर को ही गिरफ्तार कर चुकी थी, जबकि तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी हरे राम यादव फरार चल रहे हैं।

वर्ष 2018 में शिकायतकर्ता ने पुलिस को दिया वीडियो, एफआईआर उल्टे शिकायतकर्ता पर हुई
मदन सिंह रावत के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए शिक्षा विभाग ने क्या कुछ नहीं किया। पैसों के लेन-देन का उनका वीडियो आशुतोष नेगी नाम के व्यक्ति ने वर्ष 2018 में सार्वजनिक किया था। तब उन्होंने इस वीडियो को अपर निदेशक गढ़वाल मंडल महावीर सिंह बिष्ट को दिखाया था और कार्रवाई की मांग भी की थी। आरोप है कि अपर निदेशक ने कार्रवाई करने के बजाए अधिकारियों को मामले को आपस में सेटल करने की नसीहत दे डाली। इसके बाद शिकायतकर्ता ने वीडियो को पौड़ी कोतवाली पुलिस को दिया और मुकदमा दर्ज करने के लिए कहा। पुलिस इस मामले में मुकदमा तो नहीं कर पाई, लेकिन शिकायतकर्ता के विरुद्ध झूठी एफआईआर जरूर दर्ज करा दी गई। जिसमें आरोप लगाया गया कि आशुतोष नेगी पटल सहायक दिनेश गैरोला को कनपटी पर बंदूक लगाकर ले गए और मनमाफिक बयान दर्ज कराए गए हैं। हालांकि, जांच में यह कहानी झूठी पाई गई और पुलिस को एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लगानी पड़ी।

शिकायतकर्ता आशुतोष नेगी, मदन सिंह रावत की गिरफ्तारी में अहम भूमिका निभाई।

हाई कोर्ट के निर्देश पर दर्ज करना पड़ा मुकदमा, गिरफ्तारी से पूर्व सुबह 06 बजे रिटायर
शिकायतकर्ता आशुतोष नेगी पर दर्ज झूठी एफआईआर का पटाक्षेप हो जाने के बाद कुछ व्यक्तियों ने मदन सिंह रावत के भ्रष्टाचार पर नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट के निर्देश के क्रम में प्रकरण पर पुलिस ने 07 दिसंबर 2022 को तीनों आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया। इस बीच मदन सिंह रावत गिरफ्तारी से बचने के लिए हाई कोर्ट भी पहुंचे, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। कोर्ट ने छह सप्ताह के भीतर सरेंडर करने के आदेश दिए। यह मियाद भी 26 सितंबर को पूरी हो गई थी। मदन सिंह रावत पुलिस को चकमा देकर इधर-उधर भागते रहे और गिरफ्तारी से पहले रिटायर होने के लिए खूब जतन किए। वर्तमान में वह एससीईआरटी उत्तराखंड में तैनात थे और यहां से रिटायर होने के लिए वह सुबह 06 बजे ही कार्यालय पहुंच गए थे। कार्यालय पहुंचते ही उन्होंने हस्ताक्षर किए और फिर गायब हो गए। हालांकि, इसी बीच उन्हें बिंदाल क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया गया। फिलहाल वह सुद्धोवाला जेल में न्यायिक हिरासत में हैं।

एससीईआरटी उत्तराखंड।

सचिव ने की बर्खास्तगी की संस्तुति, मंत्री ने डिमोशन में निपटाया
पूर्व मुख्य शिक्षा अधिकारी मदन सिंह रावत पर लगे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने वर्ष 2022 में उनकी बर्खास्तगी की संस्तुति करते हुए फाइल शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत को भेजी थी। 26 अक्टूबर 2022 को चलाई गई ई-फाइल में मंत्री ने वार्ता के लिए मार्क किया। मंत्री से वार्ता के बाद सचिव रमन ने दोबारा 28 अक्टूबर 2022 को फाइल अग्रसारित (फॉरवर्ड) की। जिस पर मंत्री डॉ धन सिंह ने मदन सिंह रावत को डिमोट (पदावनत) करने के निर्देश जारी कर दिए।

डिमोशन की जगह बनाया जेडी और फिर डीडी पद पर किया पदावनत
शिक्षा मंत्री के निर्देश के क्रम में पूर्व मुख्य शिक्षा अधिकारी मदन सिंह रावत को पदावनत करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी बनाया जाना चाहिए था। लेकिन, उन्हें संयुक्त निदेशक (जेडी) बनाकर एससीईआरटी की कमान सौंप दी जाती है। इसके बाद बेहद तकनीकी ढंग से मदन सिंह रावत को उप निदेशक (डीडी) पद पर डिमोट कर दिया जाता है। एक तरह से देखें से बर्खास्तगी के मुहाने पर खड़े मदन सिंह को मुख्य शिक्षा अधिकारी से उप निदेशक बना दिया जाता है। इस खेल में अधिकारियों ने ऐसे घुमाकर कान पकड़े कि पूरी व्यवस्था चित्त हो गई।

एलईडी घोटाले के भी लगे आरोप
भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किए गए पूर्व मुख्य शिक्षा अधिकारी मदन सिंह रावत पर पौड़ी के कार्यकाल के दौरान एलईडी घोटाले के आरोप भी लगे हैं। यह आरोप चौबट्टाखाल में स्मार्ट क्लासेस के नाम पर एलईडी खरीद के हैं। विभागीय जांच और शिकायतकर्ता के आरोप के मुताबिक जिस सिक्स्थ सेंस कंपनी से यह खरीद की गई, उसमें टेंडर प्रक्रिया का खुला उल्लंघन किया गया। साथ ही एलईडी उस कंपनी अपट्रॉन के पाए गए, जो उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार में अस्तित्व में थी। बाद में यह कंपनी बंद हो गई थी।

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